एशिया कप के दौरान सामने आ गई भारत के मध्यक्रम बल्लेबाजी की समस्या
पिछले 18 महीनों से तीन शीर्ष बल्लेबाज रोहित शर्मा, शिखर धवन और विराट कोहली रन बना रहे हैं।
(वीवीएस लक्ष्मण का कॉलम) भारतीय टीम को सातवीं बार एशिया कप का खिताब जीतने के लिए बेहद बधाई। बधाई देना सही है क्योंकि इस मैच में कई दिल को रोक देने वाले लम्हे आए। बांग्लादेश को भी बधाई जिन्होंने एक छोटे से लक्ष्य के सामने गजब की क्षमता दिखाई।
हालांकि भारत के लिए अभी समस्याएं कम नहीं हुई हैं। पिछले 18 महीनों से तीन शीर्ष बल्लेबाज रोहित शर्मा, शिखर धवन और विराट कोहली रन बना रहे हैं। जो आप वनडे में चाहते भी हैं। तीनों में से कोई ना कोई लंबी पारी खेलता है और अपना काम पूरा कर देता है, लेकिन जब मध्यक्रम पर जिम्मेदारी आती है तो मुश्किलें बढ़ जाती है। शुक्रवार की रात को एक बार दोबारा ऐसा देखा गया। जब तक रोहित क्रीज पर खड़े होकर बांग्लादेशी गेंदबाजों का सामना कर रहे थे उस समय भारत की जीत पक्की लग रही थी। इसके बाद जैसे ही कप्तान आउट हुए तो बांग्लादेश के खिलाडि़यों में अचानक से जोश आ गया।
मशरफे मुर्तजा सही समय पर गेंदबाजी में बदलाव कर रहे थे। खुद मुर्तजा, रूबेल हुसैन और मुस्तफिजुर रहमान ने बेहद ही शानदार गेंदबाजी की। तीनों ही दिनेश कार्तिक और एमएस धौनी को बांधने को कामयाब रहे। अनुभवी मध्यक्रम को लगातार स्ट्राइक बदलने से रोका जा रहा था, जिससे धीरे-धीरे दबाव बढ़ गया। लक्ष्य को दूर पाता देख दोनों ने शॉट खेलने चाहे और आउट हो गए। एमएस का भी ध्यान शायद केदार जाधव की चोट के कारण भटक गया था। बाद में अच्छा रहा कि रवींद्र जडेजा और भुवनेश्वर कुमार की बिना दबाव की पारी से भारत इस मैच को जीत पाया।
यह मैच आखिरी गेंद तक जाने वाला नहीं था, वो भी तब जब 200 गेंद में 140 रन चाहिए हों और सात विकेट हाथ में हों। बांग्लादेश ने लिटन दास की अच्छी शुरुआत का फायदा नहीं उठाया। यह देखकर अच्छा लगा कि एक युवा बल्लेबाज इतने बड़े मैच में सामने आया। उनका पहला शतक बांग्लादेश को 260 रन तक पहुंचा सकता था, लेकिन मैं इससे बेहद प्रसन्न हुआ जिस तरह से दबाव में रोहित ने कप्तानी की। एक बार जब बांग्लादेश के मध्यक्रम ने गलतियां की तो भारत ने मैच में पकड़ बना ली। मैच का रुख तब बदला जब बांग्लादेश की टीम ने 102 रन के अंदर अपने 10 विकेट गंवा दिए।