IND vs AUS: इस दिग्गज ने उठाया सवाल, खेल को रोमांचक बनाने के लिए स्लेजिंग की जरूरत क्यों?
मैं निजी रूप से कहना चाहूंगा कि मैं बीच पिच पर इस तरह की बातचीत के सख्त विरोध में हूं।
(जैफ थॉमसन का कॉलम)
दो टेस्ट मैच हो चुके हैं, स्कोर 1-1 की बराबरी पर है, दो मैच अभी होने बाकी हैं। हम सभी अब मेलबर्न में होने वाले बॉक्सिंग-डे टेस्ट मैच के लिए तैयार हैं। मुझे लगता है कि भारत पहले टेस्ट में सही खेला। मैं यह नहीं कहूंगा कि वह पूरे मैच के दौरान शानदार खेले, लेकिन जीत दर्ज करने के लिए यह काफी था। उन्होंने एडिलेड में टेस्ट जीता, लेकिन वह पर्थ में इसे जारी नहीं रख सके और मुझे लगता है कि बीच में मैच को हल्का छोड़ना भारत के पक्ष में नहीं गया। ऑस्ट्रेलियाई हमेशा से ही विरोधी टीम के कप्तान पर निशाना साधते हैं। उन्होनें 90 के दशक में इसकी शुरुआत की, जब स्टीव वॉ कप्तान थे।
ऐसे में इस टीम ने भी कोहली को निशाना बनाने की सोची जो ना सिर्फ उनके कप्तान हैं बल्कि उनके सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी भी हैं। कोहली एक आक्रामक खिलाड़ी हैं जिन्हें मैदान पर खुद को जाहिर करना पसंद हैं। कंगारू जानते थे कि उनकी जुबानी भाव में वह जवाब देंगे, जो विराट ने पर्थ में किया। मुङो लगता है कि यह रणनीति ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के लिए कामगर रही क्योंकि कोहली को कई बार ऑस्ट्रेलियाई कप्तान से बहस करते हुए देखा गया।
मैं निजी रूप से कहना चाहूंगा कि मैं बीच पिच पर इस तरह की बातचीत के सख्त विरोध में हूं। हमारे समय में हमने कभी भी स्लेजिंग नहीं की है। आपके हाथ में गेंद है जिससे आप बल्लेबाज को डरा सकते हैं। आपको उनका ध्यान भटकाने के लिए उनसे बात करने की क्या जरूरत है, मुझे यह समझ नहीं आता। पर्थ टेस्ट के दौरान मैंने स्टंप माइक्रोफोन में कई बातों का आदान-प्रदान सुना, लेकिन मेरे लिए यह सही नहीं था। आप सिर्फ क्रिकेट खेलो और खेल के साथ आगे बढ़ो। बल्ले और गेंद को बातचीत करने दो।
मैंने कई विशेषज्ञों को इन मुददों का पक्ष लेते देखा। उनका मानना है कि इससे खेल का व्यक्तित्व बढ़ता है, लेकिन मैं कभी इसे समझ नहीं सका। क्यों आपको खेल को रोमांचक बनाने के लिए स्लेजिंग की जरूरत है। कुछ अच्छा क्रिकेट खेलो, बिना किसी बात के और मैं कह सकता हूं कि लोगों को यह पसंद भी आएगा। अब जब मैंने भारत की पर्थ में हार के कारणों को जाना तो कई चीज सामने आईं।