दबाव में मुरझा गए कीवी
अंत में यह भयावह एकतरफा फाइनल मैच रहा। न्यूजीलैंड को रौंदते हुए ऑस्ट्रेलिया ने एक और विश्व खिताब पर कब्जा जमाया। पिछली पांच चैंपियनशिप में चौथा खिताब। एक के बाद एक शीर्ष खिलाड़ी देने वाली उनकी प्रणाली को यह जीत एक सलामी है। उनकी प्रणाली में हर किसी की जवाबदेही
(सुनील गावस्कर का कॉलम)
अंत में यह भयावह एकतरफा फाइनल मैच रहा। न्यूजीलैंड को रौंदते हुए ऑस्ट्रेलिया ने एक और विश्व खिताब पर कब्जा जमाया। पिछली पांच चैंपियनशिप में चौथा खिताब। एक के बाद एक शीर्ष खिलाड़ी देने वाली उनकी प्रणाली को यह जीत एक सलामी है। उनकी प्रणाली में हर किसी की जवाबदेही है, भावनाओं की वहां कोई जगह नहीं है और केवल योग्य खिलाड़ी को ही देश के लिए खेलने को मिलता है।
पिछले कुछ समय में जूनियर स्तर पर भारतीय खिलाडि़यों ने दिखाया है कि वे ऑस्ट्रेलियाई टीम से बेहतर हैं। भारतीय टीम जब भी ऑस्ट्रेलिया में इमर्जिग प्लेयर टूर्नामेंट खेलने जाती है तो वहां शीर्ष पर ही रहती है। तो आखिरी में वह कौन सी बात है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऑस्ट्रेलियाई टीम को इतना मजबूत बना देती है? क्लब स्तर के जमीनी क्रिकेट में मौजूद प्रतिस्पर्धात्मक प्रकृति इसकी मुख्य वजह हो सकती है, जहां खिलाडि़यों के बीच स्वस्थ्य प्रतियोगिता के साथ साथियों व संस्थान के प्रति निष्ठा की भरपूर भावना होती है।
न्यूजीलैंड मैच में कहीं भी टक्कर देते नजर नहीं आई और शायद टूर्नामेंट में इससे पहले देश से बाहर एक भी मैच नहीं खेलने का उन्हें सबसे ज्यादा नुकसान है। उन्होंने अचानक खुद को एमसीजी में पाया, जहां ऑस्ट्रेलियाई टीम के समर्थकों का हुजूम मौजूद था। ऐसा माहौल आसान से आसान काम को भी मुश्किल बना देता है और यह तो विश्व कप का फाइनल था, जो न्यूजीलैंड के क्रिकेटरों और वहां की क्रिकेट प्रेमी जनता के लिए सबसे बड़ा दिन था। उस दबाव में वे मुरझा गए और जिस निर्ममता के साथ ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने अपनी रणनीतियों को लागू किया, उसने कीवियों के बच निकलने के सारे रास्ते बंद कर दिए।
ब्रेंडन मैकुलम का टॉस जीतना टीम के पक्ष में था। इसका मतलब यह था कि पहली बार फाइनल खेल रही टीम पर लक्ष्य का पीछा करते हुए रनरेट को बनाए रखने का दबाव नहीं होगा। उनके बल्लेबाज खुलकर बल्लेबाजी कर सकते थे। यह बहुत जरूरी था कि उन्हें अच्छी शुरुआत मिले, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। मैकुलम ने हमेशा की तरह अपने निर्भीक अंदाज में बल्लेबाजी करने की कोशिश की, लेकिन मिशेल स्टार्क की एक खूबसूरत गेंद पर वह बोल्ड हो गए और पार्ट टाइम गेंदबाज मैक्सवेल की गेंद पर गुप्टिल के आउट होने के साथ मैच की दिशा तय हो गई। टेलर और सेमीफाइनल के हीरो इलियट के बीच हुई साझेदारी ने थोड़ी उम्मीद जगाई, लेकिन इस दौरान उन्होंने बहुत सारी गेंद भी बर्बाद की। तीन गेंदों के अंतराल पर टेलर और खतरनाक एंडरसन के आउट होने के साथ कीवी टीम की रही सही उम्मीद भी भाप बन गई।
इसके बावजूद, उन्होंने भारत द्वारा 1983 विश्व कप में बनाए गए स्कोर से अपने स्कोर की बराबरी के संयोग को जोड़ते हुए जीत की उम्मीद नहीं छोड़ी। लेकिन सत्र के सबसे शानदार खिलाड़ी स्टीवन स्मिथ और अपना आखिरी वनडे मैच खेल रहे कप्तान माइकल क्लार्क ने कोई गलती नहीं करते हुए अपनी टीम की जीत सुनिश्चित कर दी। हालांकि क्लार्क विजयी रन बनाने से पहले आउट हो गए, लेकिन वह एक विजेता कप्तान के रूप में रिटायर हुए। ऑस्ट्रेलिया एक बार फिर चैंपियन बन गया है और अब एक बार फिर उनकी पकड़ से कप को छुड़ाने के लिए अन्य टीमों को असाधारण प्रदर्शन करने की जरूरत होगी।
(पीएमजी)
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