तेज गेंदबाजों ने बनाया दबदबा
दो अतिरिक्त गेंदें, एक फ्री हिट भी बहुत ज्यादा साबित नहीं हुए।
(रवि शास्त्री का कॉलम)
जसप्रीत बुमराह का तनावपूर्ण सुपर ओवर इस आइपीएल का बहुत लंबे समय तक याद रखा जाने वाला प्रदर्शन साबित होगा। उन्होंने नोबॉल और वाइड बॉल फेंकी और फिर भी मैकुलम और फिंच मुश्किल से बल्ले का गेंद से संपर्क करा सके। हालांकि, उनकी ज्यादातर गेंदें यॉर्कर थीं। वह जिस गति से गेंदबाजी कर रहे थे उस पर बल्लेबाज सही से खेल भी नहीं पा रहे थे। दो अतिरिक्त गेंदें, एक फ्री हिट भी बहुत ज्यादा साबित नहीं हुए।
इस आइपीएल के शुरुआती दौर में राशिद, बद्री और ताहिर के शानदार प्रदर्शन के बाद तेज गेंदबाजों ने अपना दबदबा हासिल कर लिया है। यह सच है कि सुनील नरेन का अब भी प्रभुत्व कायम है और कुलदीप यादव उनके वास्तविक उत्तराधिकारी हैं, लेकिन लगभग हर टीम के तेज गेंदबाज बल्लेबाजी क्रम का सफाया कर रहे हैं। मुंबई बनाम दिल्ली और कोलकाता बनाम बेंगलूर मैचों में उन्होंने पूरी तरह से शीर्ष क्रम को तहस-नहस कर दिया। स्पिन दिमाग में घूमती है, लेकिन शुरुआती डर तेज गेंदबाजी पैदा करती है।
दिल्ली के खिलाफ कोलकाता के नाथन कल्टर नील का प्रदर्शन भी देखने लायक था। हालांकि मैच में उनके पैर के अंगूठे में चोट आई थी। उमेश यादव अक्सर स्टंप को निशाना बनाकर गेंदबाजी करते हैं। मिशेल जॉनसन और कैगिसो रबादा देर से चमकने वाले हो सकते हैं, लेकिन वे 24 कैरेट से कम नहीं हैं। एंड्यू टाइ ने एकदम से आकर अपनी प्रतिभा दिखाई। पैट कमिंस ने बिना कोई सुर्खियां बटोरे विकेट झटके हैं। बासिल थांपी और सिद्धार्थ कौल दो ऐसे युवा हैं जो अब उभरकर आए हैं। और कोई भी भुवी को नहीं भूल सकता। उत्तर प्रदेश के स्विंग गेंदबाज के खिलाफ लगभग हर दूसरा बल्लेबाज अनुमान लगाता रह जाता है। इनमें से ज्यादा लोग मारक यॉर्कर डालते हैं। ज्यादातर कप्तान इनसे अब आक्रामक क्षेत्ररक्षण के साथ गेंदबाजी कराते हैं। यह एक ऐसा विश्वास है जिस पर तेज गेंदबाज पूरी तरह खरे उतर रहे हैं।
(टीसीएम)