न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के भारत दौरे से सीख सकता है ऑस्ट्रेलिया
ग्लेन मैक्सवेल को श्रीलंका के खिलाफ वनडे सीरीज से बाहर बैठाकर ऑस्ट्रेलियाई चयनकर्ताओं ने दिखा दिया कि उन्हें खिलाड़ी के कद से कोई मतलब नहीं है
(गावस्कर का कॉलम)
ग्लेन मैक्सवेल को श्रीलंका के खिलाफ वनडे सीरीज से बाहर बैठाकर ऑस्ट्रेलियाई चयनकर्ताओं ने दिखा दिया कि उन्हें खिलाड़ी के कद से कोई मतलब नहीं है। हालांकि टीम से हटाए जाने का फैसला मैक्सवेल के लिए अच्छा साबित हुआ और उन्होंने टी-20 मुकाबले में 145 रनों की विशाल पारी खेलते हुए वापसी की। अगले मैच में भी उन्होंने 69 रनों की तेज तर्रार पारी खेलकर ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए जरूरी लय दिला दी। इससे तीनों टेस्ट मैच हारने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम श्रीलंकाई दौरे का सुखद समापन कर सकी।मैक्सवेल वीरेंद्र सहवाग की तरह ही विध्वंसक हैं और उन्हीं की तरह ही वे गेंदबाज को यह सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि आखिर मैंने यह खेल क्यों चुना या फिर वे बल्लेबाज, विकेटकीपर या अंपायर ही होते।
उन्हीं की तरह वो भी क्रीज पर उतरने के बाद हाथ खोलने में बहुत ही कम समय लेते हैं। हालांकि पहली गेंद से ही बड़े शॉट लगाना काफी मुश्किल होता है। मैक्सवेल एक अच्छे फील्डर होने के साथ-साथ उपयोगी ऑफ स्पिनर भी हैं। ऐसे में पहली बार आइसीसी टी-20 विश्व कप जीतने में उनकी भूमिका अहम हो सकती है।जेम्स फॉकनर भी गेंद और बल्ले से मैच का पासा पलटने में सक्षम हैं। हालांकि उनकी गेंदबाजी ऑस्ट्रेलिया के लिए ज्यादा उपयोगी साबित हो रही है। इसी वजह से श्रीलंका डीएम डिसिल्वा की साहसिक पारी के बावजूद वापसी नहीं कर पाया। टेस्ट सीरीज में निराशाजनक हार के बाद अपनी वापसी से ऑस्ट्रेलियाई टीम खुश होगी, लेकिन उन्हें पता है कि उपमहाद्वीप में टेस्ट मैच जीतने के लिए उन्हें काफी मेहनत करनी होगी। अगले साल उन्हें भारत में टेस्ट सीरीज खेलनी है, जो कतई आसान नहीं होने वाली। लेकिन वे न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के भारत दौरे से काफी कुछ सीख सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो अपने कभी न हार मानने वाले स्वभाव से वे श्रीलंका की तुलना में ज्यादा बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। (पीएमजी