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ऑस्ट्रेलिया के प्रदर्शन से निराशा हुई

[वीवीएस लक्ष्मण का कॉलम] दूसरे टेस्ट में भारत ने जिस तरह से चार दिन में पारी से जीत दर्ज की वह खुशी देने वाला है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के इस तरह से हथियार डालने से मुझे काफी निराशा हुई। मैं ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ खिलाफ खेल चुका हूं। मैं यह कह सकता हूं कि कभी हार ना मानने का जज्बा उनके खेल की पहचान है और यही उन्हें खतरनाक टीम बनाता है।

By Edited By: Published: Wed, 06 Mar 2013 09:54 PM (IST)Updated: Wed, 06 Mar 2013 09:54 PM (IST)
ऑस्ट्रेलिया के प्रदर्शन से निराशा हुई

[वीवीएस लक्ष्मण का कॉलम] दूसरे टेस्ट में भारत ने जिस तरह से चार दिन में पारी से जीत दर्ज की वह खुशी देने वाला है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के इस तरह से हथियार डालने से मुझे काफी निराशा हुई। मैं ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ खिलाफ खेल चुका हूं। मैं यह कह सकता हूं कि कभी हार ना मानने का जज्बा उनके खेल की पहचान है और यही उन्हें खतरनाक टीम बनाता है।

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दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया ने जिस तरह का खेल दिखाया वह आश्चर्यचकित करने वाला है। टॉस जीतने के अलावा कुछ भी ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में नहीं गया। इसके अलावा कंगारू टीम ने कुछ गलत फैसले भी किए। नाथन लियोन को टीम से बाहर रखना भी समझ से परे है, जबकि पिछले दो साल में वह उनके मुख्य स्पिनर रहे हैं। यहां वह उपयोगी साबित हो सकते थे। ऑस्ट्रेलियाई शीर्ष क्रम को आक्रामकता के साथ सावधानी से खेलना होगा। उन्हें परिस्थितियों और पिच के मिजाज को समझना होगा। ऑस्ट्रेलिया के लिए सबसे खराब बात है कि उनके सबसे सफल बल्लेबाज कप्तान माइकल क्लार्क अब भी नीचे बल्लेबाजी करने उतर रहे हैं। अगर वह नंबर चार पर उतरते हैं तो टीम को फायदा होगा।

भारत की बात करें तो युवा खिलाडि़यों ने जिस तरह से प्रदर्शन किया वह लाजवाब है। इनमें से कुछ अपने करियर के शुरुआती पड़ाव में हैं। उम्मीद है कि भुवनेश्वर कुमार, विराट कोहली, आर अश्विन, चेतेश्वर पुजारा और रवींद्र जडेजा ऐसा ही प्रदर्शन जारी रखेंगे। मुझे और भी खुशी होती अगर प्रज्ञान ओझा भी दोनों टेस्ट जीत का हिस्सा होते। वह बायें हाथ के सर्वश्रेष्ठ स्पिनर हैं। भुवनेश्वर ने भी मुझे प्रभावित किया, उनमें लंबे स्पैल करने की काबिलियत है। पहले दिन उन्होंने नौ ओवर किए और तीन विकेट झटके। वह विदेश में और भी खतरनाक साबित हो सकते हैं, जहां उन्हें स्विंग और उछाल मिलेगा। पुजारा और मुरली विजय की जितनी भी तारीफ की जाए कम है। दूसरे दिन का पहला सत्र काफी महत्वपूर्ण था और दोनों ने संयम से खेलते हुए सिर्फ 49 रन जोड़े। दूसरे सत्र में दोनों ने खुलकर हाथ दिखाए। पुजारा 11 टेस्ट मैचों में दो दोहरे शतक लगा चुके हैं और यह रनों के प्रति उनकी भूख को दर्शाता है। विजय के लिए भी यह पारी काफी अहम होगी। चेन्नई में दोनों पारियों में वह फ्लॉप रहे और उन पर काफी दबाव था। यहां उन्होंने नैसर्गिक खेल दिखाते हुए बेहतरीन पारी खेली। माही और उनकी टीम को बधाई। सफलता का जश्न मनाएं, लेकिन मोहाली में तरोताजा होकर उतरें क्योंकि सीरीज अभी खत्म नहीं हुई है। [360 कार्पोरेट रिलेशंस]

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