कुक को दिखाना होगा चार साल पहले वाला खेल
विजाग और मोहाली की तरह ऑलराउंड प्रदर्शन करते हुए भारतीय टीम वानखेड़े में सीरीज अपने नाम करना चाहेगी।
(सुनील गावस्कर का कॉलम)
विजाग और मोहाली की तरह ऑलराउंड प्रदर्शन करते हुए भारतीय टीम वानखेड़े में सीरीज अपने नाम करना चाहेगी। बल्लेबाजों ने हालांकि अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन उन्हें अश्विन, जडेजा और जयंत का शुक्रिया अदा करना चाहिए, जिन्होंने निचले क्रम में अच्छी बल्लेबाजी की और टीम को मुश्किल स्थिति से निकालकर जीत दिलाई। पिछले दोनों टेस्ट मैचों में भारतीय गेंदबाजों ने शानदार गेंदबाजी की। अश्विन को तो श्रेय जाता ही है, साथ ही दूसरे गेंदबाजों ने भी उनका भरपूर साथ निभाया। तेज गेंदबाजों ने अंग्रेजों से से ज्यादा अच्छी गेंदबाजी की। शमी और उमेश यादव ने स्पीड के साथ- साथ गेंद को दोनों ओर मूव कराया। जडेजा ने एक छोर से रन नहीं दिए तो जयंत ने अपनी ऑफ स्पिन से परेशान किया।
मजबूत शुरुआत के लिए इंग्लैंड की निगाहें एक बार फिर से अपने कप्तान एलिस्टेयर कुक पर होंगी। 2012 में मुंबई में ही इंग्लैंड ने सीरीज का पासा पलटा था। उस समय कुक ने एक छोर थामे रखा था, जबकि केविन पीटरसन ने बेहतरीन पारी खेली थी। इंग्लैंड को इस समय ऐसे बल्लेबाज की कमी खल रही है। जो रूट में क्षमता है, लेकिन पता नहीं क्यों वह बड़ी पारी नहीं खेल पा रहे हैं। अगर वह ऐसा करते हैं, तो इंग्लैंड की समस्या हल हो सकती है। बटलर को तीसरे नंबर पर उतारने का आइडिया बुरा नहीं कहा जा सकता। वह ऐसे बल्लेबाज हैं, जो इस नंबर पर अपना प्रभाव छोड़ सकते हैं। चौथे नंबर पर रूट और उसके बाद फॉर्म में चल रहे बेन स्टोक्स और बेयरस्टॉ की मौजूदगी से बल्लेबाजी लाइन अप मजबूत हो सकती है। हालांकि यह जरूरी है कि इंग्लैंड अच्छी शुरुआत करे और इसके लिए कप्तान को चार साल पहले जैसी पारी खेलनी होगी।
एंडरसन को मोहाली की तुलना में मुंबई की पिच से ज्यादा मदद मिलेगी। ब्रॉड की वापसी उनके लिए बोनस है। अंग्रेजों की समस्या बल्लेबाजी है। उनके बल्लेबाज उस पिच पर लड़खड़ा रहे हैं, जो अच्छी है। ऐसे में इंग्लैंड की वापसी उनके बल्लेबाजों की प्रतिबद्धता पर निर्भर करती है। पहले टेस्ट मैच में वे ऐसा कर चुके हैं। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो मुंबई में ही सीरीज उनके हाथ से निकल जाएगी।
(पीएमजी)