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खिलाड़ियों का अभद्र व्यवहार अस्वीकार्य: गावस्कर

खिलाड़ियों को अपने खेल केे दौरान अपनी भाषा और बर्ताव पर काबू रखना चाहिए।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sat, 18 Feb 2017 06:40 PM (IST)Updated: Sat, 18 Feb 2017 06:45 PM (IST)
खिलाड़ियों का अभद्र व्यवहार अस्वीकार्य: गावस्कर
खिलाड़ियों का अभद्र व्यवहार अस्वीकार्य: गावस्कर

(गावस्कर का कॉलम)

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ऑस्ट्रेलियाई खिलाडिय़ों का भारत दौरा एक उत्साहजनक टेस्ट सीरीज की गारंटी देता है। अपने घरेलू सीजन की शुरुआत दक्षिण अफ्रीका की टीम के खिलाफ हारने से करने के बाद भी ऑस्ट्रेलिया ने काफी अच्छे ढंग से खुद को संभाला और पाकिस्तान के खिलाफ शानदार मैच खेलते हुए उन्हें तीनों प्रारूपों में धूल चटाई। इस दौरान उनके कुछ खिलाड़ी काफी खराब फॉर्म में भी आए। भारत ने इस पर ध्यान न देकर अच्छा ही किया। कभी हार न मानने वाली ऐसी टीम को लेकर किसी भी तरह की तसल्ली रखना काफी नुकसानदायक हो सकता है। जब ऐसी टीम खराब स्थिति में होती है, तब और भी खतरनाक हो जाती है। ज्यादातर ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी आइपीएल में खेलते हैं। इसीलिए वे सभी भारतीय मैदानों से अच्छी तरह परिचित हैं और यहां की स्थितियों को समझते हैं। आने वाले छह हफ्तों में उनका इनसे फिर सामना होगा। दुर्भाग्यवश ऑस्ट्रेलियाई खिलाडिय़ों की इस शानदार वापसी के बावजूद सुर्खियां सिर्फ स्लेजिंग के बारे में हैं। मैं थोड़ी बहुत छींटाकशी के खिलाफ नहीं हूं, जहां आपस में मजाक चलता रहता है। मगर जब खिलाड़ी एक-दूसरे के खिलाफ गुस्से से भिड़ते हैं, उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। खिलाड़ी वर्षों से उन पर छींटाकशी करते आए हैं, लेकिन जब यह निजी और अभद्र हो जाता है, तो इसे मजाक नहीं कहा जा सकता है। इस पर लगाम लगाना जरूरी हो जाता है। अपने देश के लिए अच्छा करने और गर्मजोशी में किसी का भी पारा चढ़ सकता है, लेकिन बात एक सीमारेखा से बाहर नहीं जानी चाहिए।

लाखों युवा खिलाड़ी हैं, जो टीवी देख रहे होते हैं। जब वे अपने हीरोज को इस तरह का बर्ताव करते देखते हैं, तो उन्हें लगता है कि यह भी खेल का ही एक हिस्सा है। फिर जब वे खेलते हैं तो ऐसा ही करने की कोशिश करते हैं। इसीलिए खिलाडिय़ों के लिए यह समझना जरूरी है कि वे लाखों लोगों का आदर्श हैं और उन्हें अपने गुस्से और भाषा पर काबू रखना चाहिए। कुछ खिलाडिय़ों को गुस्से की वजह से बाहर कर दिया जाता है, लेकिन अगर ऐसा नहीं किया जाता तब भी वे अक्सर अपना उद्देश्य भूलकर खराब खेलने लगते हैं। इस तरह वे टीम के लिए नुकसानदायक साबित होते हैं। गुस्से पर काबू करके शानदार पारी खेलने वाले खिलाड़ी का सबसे बड़ा उदाहरण हैं भारतीय कप्तान विराट कोहली। अब वह लंबे समय तक ध्यान केंद्रित कर पाते हैं और खुद को भ्रमित नहीं होने देते। इसी वजह से अब वह दोहरे शतक लगा रहे हैं और धुआंधार खेल रहे हैं। भारत को उनकी जरूरत है ताकि वे इसी अंदाज में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेल सकें। बांग्लादेश के खिलाफ दोहरा शतक जडऩे के लिए कोहली इस हफ्ते के सीएट इंटरनेशनल क्रिकेटर हैं।

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