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युवराज सिंह को हो रही थीं खून की उल्टियां, खुद से बोला था- भले ही मैं मर जाऊं लेकिन इंडिया...

साल 2011 का वर्ल्ड कप भारतीय टीम ने जीता था क्योंकि उस पूरे टूर्नामेंट में युवराज सिंह ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया था।

By Vikash GaurEdited By: Published: Fri, 20 Mar 2020 11:26 AM (IST)Updated: Fri, 20 Mar 2020 11:26 AM (IST)
युवराज सिंह को हो रही थीं खून की उल्टियां, खुद से बोला था- भले ही मैं मर जाऊं लेकिन इंडिया...
युवराज सिंह को हो रही थीं खून की उल्टियां, खुद से बोला था- भले ही मैं मर जाऊं लेकिन इंडिया...

नई दिल्ली, जेएनएन। महेंद्र सिंह धौनी की कप्तानी में 28 साल के बाद भारतीय टीम ने साल 2011 का क्रिकेट वर्ल्ड कप जीता और इतिहास रचा। भारतीय टीम ने वो विश्व कप इसलिए जीता था, क्योंकि उस पूरे टूर्नामेंट में सिक्सर किंग युवराज सिंह ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया था। युवराज सिंह को प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब भी मिला था, लेकिन वर्ल्ड कप के दौरान उनको खून की उल्टियां हो रही थीं, जिसकी परवाह न करते हुए भी उन्होंने खेलना जारी रखा।

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20 मार्च 2011 को भारत बनाम वेस्टइंडीज लीग मैच था, जो चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में खेला गया था। इस मैच में भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग बाहर थे। यहां तक कि जब भारतीय टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया तो पहले सचिन तेंदुलकर और फिर गौतम गंभीर आउट हो गए। इसके बाद बल्लेबाजी करने युवराज सिंह आए और उन्होंने चेन्नई की गर्मी में वेस्टइंडीज के गेंदबाजों के पसीने छुड़ा दिए।

युवी ने जड़ा था दमदार शतक

युवराज सिंह ने इस मैच में शतक जड़ा था। युवी 123 गेंदों में 10 चौकों और 2 छक्कों की मदद से 113 रन बनाकर आउट हुए थे, लेकिन इसी शतकीय पारी के दौरान उनके मुंह से खून निकलने लगा था। एक दो बार उनको मैदान पर ही खून की उल्टियां हुईं। दरअसल, उनको कैंसर था, जिसकी जानकारी न टीम मैनेजमेंट को थी और न ही खुद युवराज सिंह को। बावजूद इसके युवराज सिंह ने पूरा टूर्नामेंट खेला और भारत को विश्व विजयी बनाया।

चेन्नई के धीमे विकेट पर उन्होंने शतक जड़ा, गर्मी की वजह से उन्हें लगा था कि उनकी तबियत खराब है और वे खून की उल्टियां कर रहे थे। कैंसर से इलाज कराने के बाद साल 2014 में उन्होंने एक इंटरव्यू दिया था और कहा था, “मुझे पहले लगा था कि ये(खून की उल्टियां) चेन्नई की गर्मी की वजह से हुआ है। मैं हमेशा से वर्ल्ड कप में शतक चाहता था, लेकिन कभी नहीं हुआ था, क्योंकि मैं 6 नंबर पर बल्लेबाजी करता था, लेकिन वीरू वर्ल्ड कप से बाहर हुए तो मैंने फैसला किया कि मैं ऊपर जाऊंगा और बड़ा स्कोर करूंगा। वहीं, जब उल्टियां हुईं तो मैंने भगवान से प्रार्थना की कि जो भी हो जाए, यहां तक कि मैं मर जाऊं फिर भी भारत वर्ल्ड कप जीतना चाहिए।”

और फिर भारत ने जीता वर्ल्ड कप

वेस्टइंडीज के खिलाफ ये वर्ल्ड कप 2011 का भारत का आखिरी लीग मैच था और इसके बाद मेजबान भारत ने ऑस्ट्रेलिया को क्वार्टरफाइनल और पाकिस्तान को सेमीफाइनल में हराकर फाइनल में जगह बनाई। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए वर्ल्ड कप 2011 के फाइनल में भारत ने श्रीलंका को 6 विकेट से हराकर 1983 के बाद दूसरा वर्ल्ड कप जीता। इसी वर्ल्ड कप में युवराज सिंह ने बल्ले से 362 रन बनाए थे, जबकि गेंदबाजी करते हुए उन्होने अहम मौकों पर 15 विकेट निकाले थे, जिसमें एक फाइव विकेट हॉल भी शामिल था।


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