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EXCLUSIVE: अभी बहुत मेहनत करने व फोकस रखने की जरूरत है : यशस्वी जयसवाल

यशस्वी जयसवाल ने विजाय हजारे ट्रॉफी टूर्नामेंट में छह पारियों में 112.80 की औसत और 104.05 के स्ट्राइक रेट से 564 रन बनाए। उन्होंने तीन शतक भी जड़े।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Thu, 24 Oct 2019 08:29 PM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 09:01 PM (IST)
EXCLUSIVE: अभी बहुत मेहनत करने व फोकस रखने की जरूरत है : यशस्वी जयसवाल
EXCLUSIVE: अभी बहुत मेहनत करने व फोकस रखने की जरूरत है : यशस्वी जयसवाल

मुंबई के लिए खेलने वाले 17 साल के यशस्वी जायसवाल ने विजय हजारे ट्रॉफी के जरिये लिस्ट-ए क्रिकेट में पदार्पण किया। इस दौरान उन्होंने अपने पहले ही टूर्नामेंट में छह पारियों में 112.80 की औसत और 104.05 के स्ट्राइक रेट से 564 रन बनाए, जिसमें तीन शतक और एक अर्धशतक शामिल रहा। उन्होंने झारखंड के खिलाफ दोहरा शतक (203) भी जड़ा। 17 साल के बायें हाथ के बल्लेबाज यशस्वी उत्तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले हैं और 10 साल की उम्र में क्रिकेट खेलने का सपना संजोय मुंबई पहुंचे थे। वहां उनका शुरुआती सफर काफी मुश्किलों भरा रहा।

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उन्होंने टेंट में जमीन पर सोकर रातें गुजारीं तो खाली पेट दिन भी काटे। गुजारा करने के लिए उन्होंने गोलगप्पे तक बेचे, लेकिन क्रिकेट खेलने के सपने को धुंधला नहीं पड़ने दिया। क्रिकेट कोच ज्वाला सिंह के संपर्क में आने के बाद उनके सपने को पहचान मिली। आज यशस्वी भारत के सबसे तेजी से उभरते हुए प्रतिभाशाली बल्लेबाज माने जाते हैं। विजय हजारे ट्रॉफी में प्रदर्शन व अन्य मुद्दों पर यशस्वी जायसवाल से उमेश राजपूत ने खास बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश :-

- आपको उम्मीद थी कि लिस्ट-ए क्रिकेट में आपका पदार्पण इतना शानदार होगा?

--इतने अच्छे पदार्पण की उम्मीद तो नहीं थी, लेकिन अच्छे प्रदर्शन का भरोसा जरूर था। मैंने सिर्फ यही सोचा था कि मुझे सिर्फ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना है और गेंद को उसकी मेरिट के हिसाब से खेलना है।

-आपके कोच ज्वाला सिंह ने आपको इसके लिए कोई सुझाव दिए थे?

--हां, उन्होंने मानसिक रूप से मुझे काफी अच्छी तरह से तैयारी कराई थी। उन्होंने मुझसे कहा था कि किसी हाल में मौका गंवाना मत। जितना हो सके अंत तक खेलना और अपने पर भरोसा रखना।

 -आप भारत में लिस्ट-ए क्रिकेट में शतक और दोहरा शतक जड़ने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बन गए हैं। आपको इन रिकॉर्ड के बारे में पता था?

--नहीं, मुझे रिकॉर्ड बनाने के बारे में कुछ पता नहीं था। हां, लेकिन मुझे खुशी हुई कि मैंने अच्छा प्रदर्शन किया।

-23 अक्टूबर को आपके कोच का जन्मदिन था, तो क्या आपका प्रदर्शन उनके लिए तोहफे की तरह था?

--जी, आप ऐसा कह सकते हैं। हालांकि, इस बारे में ना तो उन्होंने कुछ कहा था और ना ही मैंने कुछ सोचा था। मैं बस खेल रहा था और किस्मत से ऐसा हो गया। सर बहुत खुश हैं। उन्होंने मुझसे कहा कि यह बहुत अच्छी शुरुआत मिली है, लेकिन अभी बहुत दूर तक जाना है। इसलिए अभी बहुत मेहनत करने और फोकस बनाए रखने की जरूरत है।

 -लेकिन, आपकी टीम फाइनल तक नहीं पहुंच पाई?

--हां, बुरा तो लग रहा है कि हम इतना अच्छा खेलने के बाद भी क्वालीफाई नहीं कर पाए। बारिश की वजह से हम क्वार्टर फाइनल से आगे नहीं बढ़ पाए। लेकिन, हमारी टीम बहुत अच्छा खेली और मुझे सभी से काफी समर्थन मिला। मैं खासकर एमसीए (मुंबई क्रिकेट संघ) का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं कि चयनकर्ताओं ने मेरा चयन किया और मुझे ऊपर खेलने का मौका दिया।

-क्या विजय हजारे ट्रॉफी में पदार्पण से पहले आप पर कुछ दवाब था?

--दवाब तो बहुत था, क्योंकि मुंबई की टीम में जगह बनाना आसान नहीं होता।

-पिछले साल सचिन तेंदुलकर ने आपको घर बुलाकर अपने ऑटोग्राफ वाला बल्ला दिया था। क्या क्रिकेट के भगवान से मिला यह तोहफा आपके लिए अच्छी किस्मत लेकर आया?

--जब मैं सचिन सर से मिला तो मैं बहुत खुश था, उनके साथ बिताया समय मेरे लिए बेहद अमूल्य है। उनसे मिलने के बाद मेरा क्रिकेट भी बदल गया है।

-आपके शतक मनाने का जश्न युवराज सिंह और सचिन से मिलता-जुलता है, तो क्या यह स्वाभाविक है या आप उनकी कॉपी करते हैं?

--मुझे इस तरह जश्न मनाना अच्छा लगता है। हां, सचिन सर के जश्न मनाने के अंदाज को मैं थोड़ा कॉपी करता हूं।

-अपने सफर से कितने संतुष्ट नजर आते हैं और आपके परिवार को इसकी कितनी खुशी है?

--अभी मैं संतुष्ट नहीं हो सकता। अभी मुझे बहुत कुछ करना है। हालांकि, मम्मी-पापा जरूर खुश हैं और बोलते हैं कि और मेहनत करूं और अच्छा प्रदर्शन करूं।

 -आपको लेकर ज्वाला सिंह काफी सख्त रहते थे। क्या अब उन्होंने आपको कुछ छूट दी है?

--वह अभी भी काफी सख्त हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि वह मुझे कुछ भी नहीं करने देते हैं। हालांकि, अब उन्होंने मुझे मैदान पर गॉगल्स पहनने की छूट दे दी है, जो पहले नहीं थी। अब उन्होंने मुझे खुद गॉगल्स लाकर गिफ्ट किए।

-आपका अगला लक्ष्य भारत के लिए खेलने का है या आइपीएल टीम में आने का ?

-भारत के लिए खेलने का सपना सभी का होता है, लेकिन उसकी एक प्रक्रिया है और यदि प्रक्रिया ठीक होगी तो सपना भी पूरा होगा। मैं बस अपनी प्रक्रिया को ठीक रखना चाहता हूं। साथ ही आइपीएल टीम में भी आने की बात चल रही है। उम्मीद है इस साल आइपीएल की किसी टीम में जगह बना सकूंगा।


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