अफगानिस्तान के खिलाफ शर्मसार होने से बचे, लेकिन वेस्टइंडीज से रहना होगा सतर्क
India vs West Indies Match World Cup 2019 अफगानिस्तान के खिलाफ शर्मसार होने से बचे लेकिन टीम इंडिया को वेस्टइंडीज से सतर्क रहना होगा।
अभिषेक त्रिपाठी, मैनचेस्टर। टीम इंडिया के जिस मध्य क्रम को लेकर पिछले दो-तीन साल से माथापच्ची चल रही थी, उस मध्य क्रम की स्थिति जस की तस बनी हुई है। वैसे जब टीम रंग में होती है तो उसके शीर्ष क्रम के बल्लेबाज ही काफी होते हैं लेकिन जब कभी भी उसे मध्य क्रम से उम्मीद होती है तो वह धोखा दे जाता है। विश्व कप में अफगानिस्तान के खिलाफ भारतीय टीम के मध्य क्रम की सुस्ती ने उसके आगे की रणनीति पर फिर से विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। भारत को अगला मैच गुरुवार को ओल्ड ट्रैफर्ड स्टेडियम में वेस्टइंडीज से खेलना है। उसके गेंदबाज इस टूर्नामेंट में शॉर्ट गेंदों का जखीरा लेकर आए हैं, ऐसे में मध्य क्रम को ज्यादा मजबूत और दमदार खेल दिखाना होगा।
2015 विश्व कप के बाद से खोज और प्रयोग करने के बाद विजय शंकर को इस विश्व कप में पांचवें मुकाबले में चौथे क्रम पर बल्लेबाजी करना नसीब हुआ है लेकिन उनकी उपयोगिता बल्लेबाजी से ज्यादा गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण में दिख रही है। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ लोकेश राहुल चौथे नंबर पर उतरे थे जबकि ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान के खिलाफ ये जिम्मेदारी हार्दिक पांड्या को मिली। न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच बारिश से धुल गया था। इन दो मैचों में दूसरा विकेट 35 ओवर के आसपास गिरा इसलिए पांड्या को उतारा गया लेकिन बाद में कमजोर अफगानिस्तान ने हमारे मध्य क्रम की कमजोरी बयां कर दी। खासतौर पर करियर के आखिरी पड़ाव पर पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी को अफगान स्पिनर राशिद खान की फिरकी के जाल में फंसते देखना सुखद नहीं था।
जिम्मेदार कौन : अफगानिस्तान के खिलाफ इस हालत के लिए बहुत हद तक धौनी जिम्मेदार थे लेकिन देखा जाए तो पिछले विश्व कप के बाद से ही पूरी टीम मध्य क्रम की समस्या का हल निकाल पाने में नाकाम रही है। रन गति में तेजी की कमी ने भारतीय टीम में एक गड़बड़ी पैदा कर दी है। भला हो गेंदबाजों का, जिन्होंने एक कमजोर टीम के खिलाफ खिताब के प्रबल दावेदार टीम को शर्मसार होने से बचा लिया। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शीर्ष क्रम का होना भी टीम को फायदा नहीं पहुंचा पाया है। लंबे समय से रोहित शर्मा, शिखर धवन और कोहली टीम के कुल स्कोर का दो तिहाई रन बनाते आ रहे हैं लेकिन जरूरत पड़ने पर शायद ही कभी मध्य क्रम रन बनाने में सफल हो पाया है। यही कारण है कि भारत ने अफगानिस्तान के खिलाफ 2015 विश्व कप के बाद पहले 25 ओवरों की बल्लेबाजी के बाद अपना दूसरा सबसे कम रन रेट (4.6) दर्ज किया। पिछले विश्व कप के बाद जब भारत के शीर्ष तीन बल्लेबाज 100 रन से कम पर आउट हुए तो महज दो बार इस टीम ने कुल 280 रन या उससे अधिक का स्कोर बनाया है। इस विश्व कप के प्रबल दावेदारों में शुमार इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड इसे पांच बार कर चुके हैं।
ये सुस्ती किस काम की : पिछले साल लॉर्ड्स में हुए भारत-इंग्लैंड मैच को याद कीजिए। इंग्लैंड के 322 रनों के जवाब में खेल रही भारतीय टीम को 23 ओवरों में 183 रनों की जरूरत थी, विराट कोहली तुरंत आउट ही हुए थे और धौनी मैदान में आए थे। 20 ओवर बाद जब धौनी आउट हुए तब भारत अपने कुल स्कोर में महज 75 रन जोड़ सका। तब धौनी ने 37 रन बनाने के लिए 57 गेंदों का सामना किया था। टीम के सबसे अनुभवी बल्लेबाज होने के नाते धौनी को अपना हुनर दिखाना चाहिए था लेकिन इंग्लैंड बिना किसी परेशानी के भारत को मात देने में सफल रहा। अफगानिस्तान के खिलाफ पिछले मुकाबले में भी वैसी ही स्थिति थी।
अफगानिस्तान के खिलाफ जब धौनी बल्लेबाजी करने आए थे तब भारत को करीब 24 ओवर की बल्लेबाजी करनी बाकी थी। यहां धौनी से एक अहम भूमिका की उम्मीद की जा रही थी। इससे पहले कोहली और विजय शंकर के बीच हुई साझेदारी ने भारत को नियंत्रण में रखा था। हालांकि शंकर खराब शॉट खेलकर आउट हो गए। रहमत शाह के एक अच्छे ओवर की बदौलत अफगानिस्तान ने मुकाबले में वापसी कर ली।
इंग्लैंड के खिलाफ पिछले मुकाबले में राशिद खान छोटी और सीधी गेंदों पर जमकर पिटे थे। कुछ वैसी ही गेंदबाजी वह धौनी के खिलाफ भी कर रहे थे लेकिन पूर्व कप्तान उसका फायदा उठाने में नाकाम रहे और लगातार कवर के फील्डर के हाथों में शॉट खेलते रहे। हताश धौनी क्रीज से बाहर निकालकर जब छक्का लगाने आए तब वह स्टंप हुए। धौनी का विकेट लेने के बाद अपने अगले ओवर में राशिद ने मेडन फेंका। 29वें ओवर की समाप्ति तक धौनी ने 13 गेंदें खेलीं थीं जिनमें से 11 पर कोई रन नहीं बना था। कोहली के आउट होने के बाद धौनी पर पारी संवारने के साथ-साथ रन गति को बढ़ाने की जिम्मेदारी थी लेकिन वह भारत को बीच मझधार में छोड़कर चले गए।
धौनी को जल्दी बदलना होगा गियर
जिन्होंने भी धौनी की बल्लेबाजी को नजदीक से देखा होगा वह यह जानते हैं कि धौनी पहले पिच पर आकर समय लेते हैं और फिर आखिर के कुछ ओवरों में ही अपना गियर बदलते हैं। इस दौरान उनके साथ बल्लेबाजी कर रहा खिलाड़ी भी उनका अनुशरण करता है। केदार जाधव भी कुछ ऐसा करते हैं। इस साल जनवरी में इन दोनों ने मेलबर्न में भारत के लिए एक अच्छी साझेदारी निभाई थी। यहां धौनी के लिए समस्या यह थी कि उन्हें लंबे निचले क्रम के साथ बल्लेबाजी करनी थी क्योंकि भारत चार विशेषज्ञ गेंदबाजों के साथ खेल रहा था। ऐसे में धौनी को अंत तक रुके रहना था और जाधव और हार्दिक पांड्या को अपनी बल्लेबाजी में तेजी दिखानी थी लेकिन यहां अफगानिस्तान ने बहुत चालाकी दिखाई। उसके स्पिनरों ने धीमी पिच का बखूबी फायदा उठाया।
भारत की धीमी बल्लेबाजी उस पर भारी पड़ी। टीम को जब चौके-छक्कों की जरूरत थी तब वह विकेट बचाने के लिए जूझती रही। कोहली के आउट होने के बाद 31वें से 36वें ओवर में भारतीय टीम की ओर से कोई भी चौका नहीं लगा। पूरे मैदान में भारतीय दर्शकों के बीच सन्नाटा पसरा हुआ था। हालांकि इसके बाद अगली कुछ गेंदों में धौनी और जाधव ने एक-एक चौके लगाए जिसके बाद भारत का अनुमानित स्कोर 250 रनों के करीब पहुंच गया था।
40 से 45 ओवर के बीच हुए पांच में से चार ओवर में महज दो-दो रन ही बने। इसके बाद राशिद द्वारा स्टंप आउट होने के साथ ही धौनी का फॉर्मूला फ्लॉप हो चुका था। धौनी के आउट होने के बाद जब हार्दिक पांड्या मैदान पर आए तो प्रशंसकों में खुशी की लहर दौड़ गई लेकिन वह भी कुछ खास नहीं कर पाए। ऐसे में टीम को ना सिर्फ तेज रन गति के साथ बल्लेबाजी करने की जरूरत है बल्कि उसे अपने दृष्टिकोण में भी लचीलापन लाना होगा। धौनी अंत तक खुद को बचाए रखने की अपनी आदत बनाए रख सकते हैं लेकिन यह तभी संभव है जब दूसरे छोर पर खड़ा उनका साथी तेज गति से रन बना रहा हो। भारतीय थिंक टैंक को यह भी पता लगाने की जरूरत है कि क्या वह चाहते हैं कि धौनी फिनिशर की भूमिका निभाते रहें, या फिर पांड्या को यह जिम्मेदारी देना ज्यादा सही होगा। पांड्या ने इस विश्व कप में ही कुछ ही मिनटों में ऑस्ट्रेलिया को मुकाबले से बाहर कर दिया था।
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