नाइट क्लब के बाहर मारपीट करने वाला लड़का बन गया इंग्लैंड का हीरो, विलियमसन से मांगी माफी
कभी पब के सामने मारपीट करने के बाद भी माफी नहीं मांगने वाले बेन स्टोक्स ने न्यूजीलैंड के कप्तान बेन विलियमसन से माफी मांगी। जानें इस माफी के पीछे का कारण और बेन करियर के बारे में
अभिषेक त्रिपाठी, लंदन। कभी ब्रिस्टल में एक पब के बाहर मारपीट करने के बाद भी क्षमा नहीं मांगने वाला शख्स आज अपनी टीम को विश्व कप जिताने के बाद सॉरी कह रहा है। अच्छे प्रदर्शन और संगत ने उस बिगड़ैल लड़के को अब शब्दों का अहसास हो गया है। उसे पता है कि अनजाने में हुई गलती की भरपाई तो नहीं हो सकती, लेकिन क्षमा मांगकर न्यूजीलैंड के दर्द को कुछ कम किया जा सकता है। हम कहते हैं कि गलती तो भगवान से भी हो सकती है, लेकिन माफी मांगने से कोई छोटा नहीं होता, शायद वह बिगड़ैल बेन स्टोक्स अपनी टीम को पहली बार विश्व चैंपियन बनाने के बाद यही सोच रहा होगा। शायद अब वह बिगड़ैल नहीं रहा है, वह इंग्लैंड का नया हीरो है और इसीलिए वह इतना बदल गया है।
दो साल पहले एक नाइटक्लब के बाहर झगड़े के कारण स्टोक्स इंग्लैंड की टीम से बाहर होने की कगार पर आ गए थे, लेकिन अब वह इस देश के नूर-ए-नजर हैं। मूलत: न्यूजीलैंड के स्टोक्स ने इंग्लैंड के लिए खेलते हुए कीवियों के खिलाफ हरफनमौला खेल दिखाकर अपना नाम इतिहास में दर्ज करा लिया। मैच के बाद उनकी आंखों में आंसू थे, क्योंकि उन्होंने उस टीम को जीत दिलाई थी, जिसने उन्हें दूसरे देश का होने के बावजूद अपनी राष्ट्रीय टीम में मौका दिया था। स्टोक्स फाइनल में नाबाद 84 रन बनाकर मैन ऑफ द मैच रहे। उन्होंने सुपर ओवर में जोस बटलर के साथ मिलकर 15 रन बनाए। स्टोक्स ने मैच जीतने के बाद कहा कि मेरे पास शब्द नहीं हैं। मैंने बहुत मेहनत की और अब दुनिया के सामने हम चैंपियन बनकर खड़े हैं। यह अद्भुत है। इस तरह के लम्हों के लिए ही आप क्रिकेटर बनते हैं। मैच के आखिरी ओवर में गुप्टिल का थ्रो उनके बल्ले से लगा और चौके के लिए गया। अंपायर ने ओवरथ्रो के कारण इंग्लैंड को छह रन दिए, जिस पर बवाल मचा हुआ है। न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में पैदा हुए स्टोक्स ने कहा कि आखिरी ओवर में गेंद मेरे बल्ले से लगकर सीमारेखा के पार गई, आपने ऐसा सोचा नहीं होगा। मैंने केन विलियमसन से उस बारे में अनगिनत बार माफी मांगी है। मैं ऐसा नहीं करना चाहता था।
बैड ब्वॉय स्टोक्स
2016 में ब्रिस्टल के एक नाइटक्लब के बाहर हाथापाई के वीडियो ने स्टोक्स को इंग्लैंड का बैड ब्वॉय बना दिया। वह गिरफ्तार भी हुए और मामला अदालत तक पहुंचा। जून 2016 में बेन चार बार इंग्लैंड में तेज गति से गाड़ी चलाने के दोषी पाए गए। 2011 में भी शराब के नशे में डरहम में ट्रैफिक पुलिस के साथ भिड़ गए। 2012 में भी पुलिस ने उन्हें नशे की हालत में पकड़ा था। 2013 में उन्हें बीच ऑस्ट्रेलियाई दौरे से वापस भेज दिया गया था। आरोप वही था कि शराब के नशे में उन्हें टीम अनुशासन की कोई चिंता नहीं थी। 2015 में लॉर्ड्स में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए वनडे में उन्होंने मिशेल स्टार्क के थ्रो को हाथ से रोक दिया था।
एशेज नहीं खेल पाए थे स्टोक्स
ब्रिस्टल में नाइटक्लब के बाहर झगड़े के कारण स्टोक्स 2017-18 की एशेज सीरीज नहीं खेल सके थे। उसके बाद साथी खिलाड़ियों ने टीम में उनका गर्मजोशी से स्वागत किया और विश्व कप में अपने प्रदर्शन से इस हरफनमौला ने उसका बदला चुकाया। उन्होंने विश्व कप में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले ही मैच में एंडिले फेलुक्वायो का शानदार कैच लपका था। उसके बाद नाबाद 82 और 89 रन बनाए। भारत के खिलाफ करो या मरो के मैच में उन्होंने 79 रन बनाए। न्यूजीलैंड के खिलाफ फाइनल में चार विकेट जल्दी निकलने के बाद उन्होंने कभी हार नहीं मानने की जिजीविषा दिखाई और इसी वजह से क्रिकेट का जनक विश्व विजेता बना। तभी तो इंग्लिश कप्तान इयोन मोर्गन को कहना पड़ा कि स्टोक्स लगभग महामानव जैसे हैं। ये स्टोक्स ही थे जिनकी वजह से दुनिया को क्रिकेट इतिहास का सबसे रोमांचक फाइनल मैच देखने को मिला। शायद दुनिया को कभी भविष्य में ऐसा मैच देखने को भी ना मिले।
इंग्लैंड की हार के खलनायक थे स्टोक्स
स्टोक्स 2016 टी-20 विश्व कप में इंग्लैंड की हार के खलनायक बने थे। कोलकाता के ईडन गार्डेंस में उनके ही आखिरी ओवर में कार्लोस ब्रेथवेट ने चार छक्के जड़कर वेस्टइंडीज को 2016 टी-20 विश्व कप का चैंपियन बनाया था। मैं उस मैच में भी ईडन गार्डेंस में था और रविवार को लॉर्डस में भी था। मैंने तब भी स्टोक्स को देखा था और अब भी स्टोक्स को देखा। उनमें अभूतपूर्व बदलाव आ गया है। वह तब हार के कारक थे और अब जीत के नायक। कई विश्लेषकों की नजर में स्टोक्स सही मायने में क्रिकेटिंग ऑलराउंडर हैं। उनमें गैरी सोबर्स और इयान बॉथम जैसे ऑलराउंडर की झलक नजर आने लगी है। 28 साल के स्टोक्स दायें हाथ के तेज गेंदबाज और मध्य क्रम में बायें हाथ के बल्लेबाज हैं। 52 टेस्ट में स्टोक्स के नाम 127 विकेट के अलावा छह शतक हैं, जबकि 95 वनडे में 70 विकेट के साथ तीन शतक बना चुके हैं।
स्टोक्स के पिता थे न्यूजीलैंड के साथ
बेन स्टोक्स का जन्म न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में हुआ। उनके पिता न्यूजीलैंड की नेशनल रग्बी टीम की ओर से खेल चुके हैं। स्टोक्स जब 13 साल के थे तब उनका परिवार इंग्लैंड आकर बस गया, तब शायद ही उनके परिवार ने सोचा होगा कि एक दिन ऐसा आएगा जब स्टोक्स के चलते न्यूजीलैंड विश्व कप हार जाएगा। उनके पिता जेरार्ड स्टोक्स कुछ समय पहले क्राइस्टचर्च वापस चले गए। वह रविवार को न्यूजीलैंड की जीत की दुआएं कर रहे थे, लेकिन उनके ही बेटे ने टीम को शिकस्त दे दी। मैच के बाद जेरार्ड न्यूजीलैंड में सबसे ज्यादा नफरत किए जाने वाले डैड बन गए हैं।
हैंड ऑफ गॉड
22 जून, 1986 को फीफा विश्व कप क्वार्टर फाइनल में अर्जेंटीना और इंग्लैंड की टीमें आमने-सामने थीं। मैच एक-एक से बराबरी पर था। दूसरे हाफ में जब छह मिनट रह गए थे। इंग्लैंड के गोलकीपर पीटर शिल्टन गोल रोकने की कोशिश में बाहर निकल कर चले आए। मेराडोना गजब की फुर्ति दिखाते हुए गेंद के पास पहुंच गए। वह उछले तो गेंद उनके बायें हाथ से लगकर गोलपोस्ट में चली गई। मेराडोना के साथी सोच में पड़ गए, लेकिन मेराडोना जश्न मनाना शुरू कर चुके थे। अर्जेंटीना 2-1 से इंग्लैंड को हराकर आगे बढ़ गया। हाथ से लगकर गेंद अगर गोलपोस्ट पर जाती है तो उसे गोल नहीं माना जाता है, लेकिन इस मामले में इसे हैंड ऑफ गॉड कहा गया। कुछ ऐसा ही बेन स्टोक्स के साथ हुआ।
स्टोक्स ने मदद की : आर्चर
सुपर ओवर फेंकने वाले इंग्लैंड के तेज गेंदबाज जोफ्रा आर्चर ने कहा कि बेन स्टोक्स की सीख से उन्हें न्यूजीलैंड के खिलाफ विश्व कप फाइनल के सुपर ओवर में धीरज बनाए रखने में मदद मिली। इंग्लैंड ने सुपर ओवर में 15 रन बनाए। इसके बाद न्यूजीलैंड ने भी आर्चर के फेंके सुपर ओवर में इतने ही रन बनाए। आर्चर ने कहा कि मैं पहले मोर्गन के पास गया कि सुपर ओवर कैसे डालना है, लेकिन मैं दोबारा तसल्ली करना चाहता था। मुझे लगा कि सब ठीक होगा, लेकिन फिर छक्का लग गया। स्टोक्स ने ओवर से पहले ही मुझसे कहा था कि हम जीते या हारें, उसके आधार पर तुम्हारा आकलन नहीं होगा। सभी को तुम पर भरोसा है। नीशाम ने सुपर ओवर की तीसरी गेंद पर छक्का लगा दिया, लेकिन आर्चर ने अपना संयम नहीं छोड़ा और इंग्लैंड की जीत में अहम भूमिका निभाई।
आर्चर ने कहा कि टी-20 विश्व कप में कोलकाता की घटना को याद में रखकर स्टोक्स मुझसे बात करने आए। वह भी इन जज्बात से गुजर चुके थे, लेकिन टीम तब हार गई थी। हम अगर हार जाते तो मुझे नहीं पता कि मैं क्या करता। स्टोक्स ने तीन साल पहले कोलकाता में टी-20 विश्व कप फाइनल में आखिरी ओवर डाला था। आर्चर ने कहा कि स्टोक्स मुझसे बोले, ‘हम हार भी गए तो अगले साल टी-20 विश्व कप है और मेरे पास एक मौका और होगा।’ उन्होंने कहा कि जो रूट ने भी मुझे हौसला दिया। मुझे पता था कि हम हार भी गए तो दुनिया खत्म नहीं हो जाएगी। मुझे खुशी है कि इन सभी ने मुझ पर भरोसा किया। मोर्गन छक्का लगने के बाद भी संयमित थे।