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इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज से पहले विराट को भारत के इन दिग्गजों से लेनी होगी सीख

1971 में भागवत चंद्रशेखर के 38 रन पर छह विकेट लेने का शानदार प्रदर्शन हो या 1979 में ओवल में सुनील गावस्कर की 221 रनों की पारी।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Sat, 21 Jul 2018 10:11 PM (IST)Updated: Sun, 22 Jul 2018 09:32 PM (IST)
इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज से पहले विराट को भारत के इन दिग्गजों से लेनी होगी सीख
इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज से पहले विराट को भारत के इन दिग्गजों से लेनी होगी सीख

अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। भारतीय टीम इंग्लैंड दौरे पर है और टी-20 सीरीज जीतने के बाद वनडे हार चुकी है। उसे एक अगस्त से वहां पांच मैचों की टेस्ट सीरीज खेलनी है जिसकी शुरुआत बर्मिघम से होगी। भारत को बर्मिघम के एजबेस्टन स्टेडियम के अलावा लंदन के लॉ‌र्ड्स, नॉटिंघम के ट्रेंट ब्रिज, साउथेंपटन के रोस बाउल और लंदन के ओवल स्टेडियम में मुकाबले खेलने हैं। भारत को सीरीज जीतने का तगड़ा दावेदार माना जा रहा है। विराट कोहली की कप्तानी में अगर टीम इंडिया को यह सीरीज जीतनी है तो उसके शीर्ष खिलाडि़यों को पूर्व दिग्गजों की तरह प्रदर्शन करना होगा। वैसे तो इंग्लैंड में भारत अब तक 17 में से सिर्फ तीन सीरीज ही जीत पाया है लेकिन वहां पर कई भारतीय दिग्गजों ने शानदार प्रदर्शन किया है।

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1971 में भागवत चंद्रशेखर के 38 रन पर छह विकेट लेने का शानदार प्रदर्शन हो या 1979 में ओवल में सुनील गावस्कर की 221 रनों की पारी। 1982 और 1986 में इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज में कपिल देव का ऑलराउंड प्रदर्शन अभी भी सभी के जेहन में है तो 1990 में लॉ‌र्ड्स में लगातार चार छक्के मारकर फॉलोआन टालने वाली उनकी पारी को कौन भूल सकता है। दिलीप वेंगसरकर के तीन लागातर शतक, सौरव गांगुली का पहले ही टेस्ट में इंग्लैंड में शतक लगाना और राहुल द्रविड़ व जहीर खान का शानदार प्रदर्शन भी वर्तमान टीम में नया आत्मविश्वास भर सकता है।

भागवत चंद्रशेखर (1971)
ओवल स्टेडियम में 1971 की जीत आखिर कौन भूल सकता है। ऑफ स्पिनर बीएस चंद्रशेखर के 38 रन पर छह विकेट की बदौलत इंग्लैंड दूसरी पारी में 101 रन पर ऑलआउट हो गई थी। इसके बाद भारत को जीत के लिए 174 रनों की जरूरत थी, जिसको भारतीय टीम ने चार विकेट के नुकसान पर हासिल करके शानदार जीत दर्ज की थी। इसी की बदौलत भारत ने पहली बार इंग्लैंड में 1-0 से टेस्ट सीरीज जीती थी।

सुनील गावस्कर (1979)

1979 में इंग्लैंड दौरे पर सुनील गावस्कर की ओवल स्टेडियम में खेली गई 221 रनों की पारी शानदार थी। यहां भारत मात्र आठ रनों से जीत से दर्ज करने से चूक गया था। भारतीय टीम को इस टेस्ट को जीतने के लिए 437 रन का लक्ष्य मिला था, लेकिन सुनील के 221 रन के बावजूद भारत आठ विकेट के नुकसान पर 429 रन ही बना सका और बेहद नजदीकी मुकाबले में जीत दर्ज करने से चूक गया। भारत चार टेस्ट मैचों की सीरीज 0-1 से हारा था।

दिलीप वेंगसरकर (1979-86)
पूर्व भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर भारत के ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने तीन अलग-अलग दौरों पर लॉ‌र्ड्स में लगातार तीन शतक जड़े थे। दो अगस्त 1979 में पहले टेस्ट में दिलीप ने 103 रन की पारी खेली थी। इसके बाद 10 जून 1982 में दिलीप ने शानदार 157 रन की पारी खेली, लेकिन बावजूद इसके भारत यह मुकाबला हार गया। इसके बाद पांच जून 1986 को दिलीप ने इसी मैदान में लगातार तीसरा शतक लगाया। उन्होंने इस मैच में शानदार नाबाद 126 रन बनाए। इस बार भारत यह मुकाबला जीतने में सफल रहा।

कपिल देव (1982)
1982 में सुनील गावस्कर की कप्तानी में भारतीय टीम एक बार दोबारा इंग्लैंड के दौरे पर थी। यहां पहले ही टेस्ट में भारत को शिकस्त मिली, लेकिन कपिल देव ने अपने ऑलराउंड प्रदर्शन से एक मिसाल पेश की। पहले टेस्ट की पहली पारी में इंग्लैंड ने 433 रन बनाए, लेकिन कपिल ने यहां 125 रन देकर 5 विकेट लिए। इसके बाद कपिल की 41 रन की पारी की बदौलत भारत 128 रन पर ऑलआउट हुई। फॉलोआन खेलने पर मजबूर हुई भारतीय टीम के लिए कपिल ने दूसरी पारी में भी 89 रन बनाए। दूसरी पारी में कपिल ने तीन विकेट लिए लेकिन भारत को जीत नहीं दिला पाए। तीन मैचों की सीरीज भारत 0-1 से हारा था।

कपिल देव बनाम बॉथम (1982)
1982 में टेस्ट सीरीज में भारत ने इंग्लैंड में तीन मुकाबले खेले। यहां पर भारत को हार जरूर मिली, लेकिन कपिल देव और इयान बॉथम एक दूसरे को कड़ी चुनौती देते दिखे। कपिल ने इस सीरीज में तीन मैचों में 297 रन बनाए और 10 विकेट भी लिए। बल्लेबाजी में उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 97 रन रहा और वह शतक लगाने से तीन रन से चूक गए। वहीं इयान बॉथम ने तीन मैचों में 403 रन बनाए, जिसमें एक दोहरा शतक भी शामिल था। वहीं गेंदबाजी में उन्होंने नौ विकेट भी लिए।

कपिल का यादगार प्रदर्शन (1986)
1986 में भारतीय टीम ने तीन मैचों की सीरीज में 1-0 से जीत दर्ज की। यहां कपिल देव ने शानदार प्रदर्शन किया। बल्लेबाजी में कपिल ने तीन मैचों में मात्र 81 रन बनाए, लेकिन उनके सीरीज में लिए नौ विकेट ने भारत को अहम जीत दिलाई। खासकर पहले मैच में उनके चार विकेट शानदार थे।

कपिल देव के लगातार चार छक्के (1990)
इंग्लैंड में इंग्लैंड के खिलाफ 1990 में हुई सीरीज में भी भारत को 0-1 से शिकस्त का सामना करना पड़ा। पहले टेस्ट में ही इंग्लैंड ने 653 रन बना डाले। इसके बाद भारत पर फॉलोआन का खतरा मंडरा रहा था, लेकिन कपिल के लगातार चार छक्कों की मदद से भारत ने यह खतरा दूर कर दिया। भारत ने इसकी मदद से पहली पारी में 454 रन बनाए। बावजूद इसके भारत 254 रन से यह मुकाबला हार गया था।

सौरव गांगुली (1996)
1996 में इंग्लैंड दौरे में लॉ‌र्ड्स में हुए पहले टेस्ट मैच में सौरव गांगुली ने अपने पर्दापण मुकाबले में ही शतक लगा दिया, जो यादगार बन गया। इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 344 रन बनाए। जवाब में भारत ने पहली पारी में सौरव गांगुली के 131 रन की बदौलत 429 रन बनाए थे। इसके बाद दूसरी पारी में इंग्लैंड 278 रन ही बना सका और यह मैच ड्रॉ रहा।

राहुल द्रविड़ (2002)
2002 की सीरीज भारत भले ही नहीं जीत पाया, लेकिन राहुल द्रविड़ के शानदार प्रदर्शन की बदौलत भारत ने चार टेस्ट की सीरीज 1-1 से बराबरी पर खत्म कराई। पहला टेस्ट इंग्लैंड जीता, जबकि तीसरा टेस्ट भारत ने जीता। राहुल ने इस पूरी सीरीज में चार मैचों में 100 के शानदार औसत से 603 रन बनाए। इसमें राहुल ने 203 रन की शानदार पारी भी खेली थी।

जहीर खान (2007)
2007 में भारत को सालों बाद इंग्लैंड में सीरीज जीतने का मौका मिला। 1-0 से भारत ने यह सीरीज अपने नाम की थी। इसमें सबसे अहम भूमिका तेज गेंदबाज जहीर खान ने निभाई थी। जहीर ने तीन मैचों में 20 के औसत से 18 विकेट चटकाए थे। इस सीरीज में एक पारी में 75 रन पर पांच विकेट उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा।

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