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विश्व कप डायरी: 1987 में अपने घर में भारत नहीं जीत सका विश्व कप खिताब

1987 में विश्व कप का चौथा संस्करण खेला गया। पहली बार यह टूर्नामेंट भारतीय उपमहाद्वीप में आया और भारत के साथ पाकिस्तान ने इसकी संयुक्त मेजबानी की।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Wed, 15 May 2019 07:21 PM (IST)Updated: Wed, 15 May 2019 07:21 PM (IST)
विश्व कप डायरी: 1987 में अपने घर में भारत नहीं जीत सका विश्व कप खिताब
विश्व कप डायरी: 1987 में अपने घर में भारत नहीं जीत सका विश्व कप खिताब

साल 1987 में विश्व कप का चौथा संस्करण खेला गया। पहली बार यह टूर्नामेंट भारतीय उपमहाद्वीप में आया और भारत के साथ पाकिस्तान ने इसकी संयुक्तमेजबानी की। फाइनल में ऑस्ट्रेलिया की टीम ने इंग्लैंड को हराकर विश्व कप पर कब्जा किया। इस विश्व कप में गत विजेता भारतीय टीम सेमीफाइनल तक ही पहुंचा पाई थी और वह लगातार दूसरा खिताब जीतने से दूर हो गई। वहीं, पूर्व चैंपियन वेस्टइंडीज से शानदार प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही थी लेकिन वह ग्रुप स्तर से ही बाहर हो गया। उसने छह में तीन जीते और उतने ही मैच गंवा दिए।

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हमारा प्रदर्शन

ग्रुप स्तर में भारत ने अपना पहला मैच ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक रन से गंवाया था। ऑस्ट्रेलिया ने ज्यॉफ मार्श (110) के शतक की बदौलत 50 ओवर में छह विकेट पर 270 रन बनाए। जवाब में भारतीय टीम 49.5 ओवर में 269 रनों पर आउट होकर मैच हार गई। दूसरे मैच में भारत ने नवजोत सिंह सिद्ध (75) और कपिल देव (72) की मदद से न्यूजीलैंड को 253 रनों का लक्ष्य दिया। जवाब में न्यूजीलैंड 257/7 का स्कोर ही कर पाई। तीसरे मैच में जिंबाब्वे को 135 रन पर समेटने के बाद भारत ने आसानी से दो विकेट खोकर मैच आठ विकेट से जीत लिया। चौथे मैच में भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 289/6 का स्कोर खड़ा किया। फिर कंगारू टीम को 233 पर रोक कर मैच 56 रनों से जीता। पांचवें मैच में भारत ने जिंबाब्वे द्वारा मिले 192 के लक्ष्य को तीन विकेट के नुकसान पर हासिल किया। छठे मैच में न्यूजीलैंड ने भारत को 222 रनों का लक्ष्य दिया जिसके जवाब में भारतीय टीम 32.1 ओवर में एक विकेट पर 224 का स्कोर कर मैच अपने नाम किया। इस मैच में हैट्रिक लेने वाले चेतन शर्मा और शतक लगाने वाले सुनील गावस्कर को संयुक्त रूप से 'मैन ऑफ द मैच' का पुरस्कार दिया गया।

भारत का सफर थमा

दूसरे सेमीफाइनल में इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवरों में छह विकेट के नुकसान पर 254 रन बनाए। 255 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम के बल्लेबाज टिक कर नहीं खेल सके और टीम 45.3 ओवरों में 219 रन ही बना पाई और इंग्लैंड ने मैच को 35 रनों से अपने नाम किया। ग्राहम गूच को उनकी 115 रनों की शानदार शतकीय पारी के लिए 'मैन ऑफ द मैच' से नवाजा गया।

पहले सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने छह विकेट के नुकसान पर 267 रन बनाए। लक्ष्य का पीछा करने उतरी पाकिस्तान की टीम 49.2 ओवरों में अपने सभी विकेट खोकर 249 रन ही बना सकी और ऑस्ट्रेलिया ने यह मैच 18 रन से जीता। ऑस्ट्रेलिया के क्रेग मैकडरमॉट (पांच विकेट) को 'मैन ऑफ द मैच' का पुरस्कार दिया गया।

ऑस्ट्रेलिया बना चैंपियन

कोलकाता के ईडन गार्डेस में ऑस्ट्रेलिया ने 50 ओवरों में पांच विकेट के नुकसान पर 253 रन बनाए। जवाब में इंग्लैंड की टीम 50 ओवरों में आठ विकेट के नुकसान पर 246 रन ही बना सकी और ऑस्ट्रेलिया ने मैच सात रन से जीतते हुए पहली बार विश्व कप की ट्रॉफी उठाई। ऑस्ट्रेलिया के डेविड बून को उनकी 75 रनों की बेहतरीन पारी के लिए 'मैन ऑफ द मैच' पुरस्कार से नवाजा गया।

- इस विश्व कप में खास -

- भारतीय उपमहाद्वीप में दिन छोटा होने की वजह से एक पारी में फेंके जाने वाले निर्धारित ओवर 60 की जगह 50 कर दिए गए।

- भारत की ओर से वनडे में हैट्रिक लेने वाले पहले गेंदबाज बने चेतन शर्मा।

- 88 गेंदों पर नाबाद 103 रन बनाकर सुनील गावस्कर ने वनडे करियर में अपना पहला शतक जड़ा।

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