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अपने ही जाल में फंसी द.अफ्रीका अब सभी कर रहे हैं खराब पिच की आलोचना

मैच के तीसरे दिन पिच खराब होने के चलते बार-बार बल्लेबाजों को चोट लग रही थी। पिच के इस व्यवहार के चलते कई दिग्गज क्रिकटरों ने इसकी आलोचना भी की।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Sat, 27 Jan 2018 01:19 PM (IST)Updated: Sat, 27 Jan 2018 03:39 PM (IST)
अपने ही जाल में फंसी द.अफ्रीका अब सभी कर रहे हैं खराब पिच की आलोचना
अपने ही जाल में फंसी द.अफ्रीका अब सभी कर रहे हैं खराब पिच की आलोचना

अभिषेक त्रिपाठी जोहानिसबर्ग। दक्षिण अफ्रीका ने पिछले भारतीय दौरे पर 0-3 से मिली हार का बदला लेने के लिए घसियाली पिचों का ऐसा कॉकटेल बनाया जो अब उसके लिए ही नहीं क्रिकेट जगत के लिए भी खतरनाक साबित होने जा रहा है। केपटाउन में हुए पहले टेस्ट में पिच पर हल्की घास थी, लेकिन उसमें असमान उछाल नहीं था। मेजबान टीम वह मैच 72 रनों से जीती।

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इसके बाद सेंचुरियन में उनके मैदानकर्मी भारतीय पिच बना बैठे, लेकिन तीसरे टेस्ट में वांडर्स की पिच तो बेहद खतरनाक साबित हुई। यहां लगभग एक दर्जन बार गेंद बल्लेबाज को लगी और उससे तीन गुना ज्यादा आसपास से खतरनाक तरीके से निकली। यही कारण था भारत की पहली पारी के दौरान कैगिसो रबादा की एक गेंद 50 सेंटीमीटर तक मूव की और चेतेश्वर पुजारा को अपना पहला रन बनाने के लिए 54 गेंदों का इंतजार करना पड़ा।

मैच के दूसरे और तीसरे दिन तो यह पिच और ज्यादा खतरनाक हो गई और इस पर खेलना लगभग असंभव था। खासकर भारत की दूसरी पारी में मेहमानों के बल्लेबाजों ने जिस तरह का प्रदर्शन किया वह काबिल-ए-तारीफ है, क्योंकि घास के नीचे बनी लंबी-लंबी दरारों पर जब दक्षिण अफ्रीका के लंबे और तगड़े गेंदबाज पूरे जोर से गेंद पटक रहे थे तो वो असमान उछाल के साथ बल्लेबाज के सामने आ रहीं थीं जो निश्चित तौर पर खतरनाक साबित हो रहीं थीं। यही कारण था मैच के तीसरे दिन शुक्रवार को जब रबादा की गेंद भारतीय ओपनर मुरली विजय को लगी तो वह कराह उठे। गेंद टिप्पा खाने के बाद मूव करती हुई करीब एक फुट अतिरिक्त उछली।

किसी भी बल्लेबाज के लिए इसे खेलना असंभव था। खास तौर पर यहां गोल्फ कोर्स छोर की तरफ से गेंद फेंकते समय ऐसी दरारें बन गईं थीं जिस पर गेंद टिप्पा खाकर गेंद एक-डेढ़ फुट अतिरिक्त उछाल ले रही थी। हर तीसरे ओवर में कुछ गेंदें ऐसी जा रही थीं कि खेलना मुश्किल हो रहा था। भारत ही नहीं दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों को भी यह परेशानी हुई थी। मुरली को गेंद लगने के बाद अंपायर इयान गोल्ड और अलीम दार ने काफी देर उस दरार को देखा और दोनों टीमों के कप्तान विराट कोहली और फाफ डु प्लेसिस से बात की।

मैच को रद करने के लिए दोनों ही टीमों के कप्तानों की सहमति की जरूरत होती है। इसके बाद जब अजिंक्य रहाणो 36 रन पर खेल रहे थे तो रबादा की गेंद खतरनाक तरीके से उनके बल्ले के हैंडल में लगी। इसके बाद दोनों अंपायरों ने फिर आपस में बातचीत की। रहाणो और भुवी उनके पास जा रहे थे तो उन्होंने उनको अलग करके एकांत में बातचीत की। इस समय विराट ड्रेसिंग रूम से भारतीय बल्लेबाजों को क्रीज पर ही टिके रहने का इशारा करते नजर आए, क्योंकि इस समय तक भारत मजबूत स्थिति में हो गया था।

58 ओवर बाद दोनों अंपायरों ने दोनों भारतीय बल्लेबाजों से फिर बातचीत की, लेकिन उन्होंने खेल जारी रखने के लिए सहमति जता दी। लंच के दौरान भी दोनों अंपायर, दोनों कप्तान और मैच रेफरी एंडी पायक्रॉफ्ट के बीच इसको लेकर बातचीत हुई। दक्षिण अफ्रीका की दूसरी पारी के दौरान एल्गर को दो गेंदें लगने के बाद तीसरे दिन का खेल खत्म घोषित कर दिया गया।

बदला लेने वाली पिच 

पांच नवंबर 2015 को भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच मोहाली में चार टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला मुकाबला शुरू हुआ। दक्षिण अफ्रीकी स्पिनर इमरान ताहिर और पार्टटाइम स्पिनर डीन एल्गर ने भारत की पहली पारी सिर्फ 68 ओवर में 201 रनों पर ऑलआउट कर दी। एल्गर ने इस पारी में चार विकेट लिए। 43 मैच खेलने वाले एल्गर इस पारी के अलावा कभी भी एक साथ चार विकेट नहीं ले पाए हैं। भारत की दूसरी पारी 200 रनों पर ऑलआउट हो गई। हालांकि, इसके बावजूद भारतीय स्पिनरों ने दक्षिण अफ्रीका को पहली पारी में 184 और दूसरी पारी में सिर्फ 109 रनों पर ऑलआउट करके तीसरे दिन ही मैच 108 रनों से जीत लिया। दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाज दूसरी पारी में 40 ओवर भी बल्लेबाजी नहीं कर सके थे।

दक्षिण अफ्रीका चार मैचों की यह सीरीज 0-3 से हारा था वह भी इसलिए क्योंकि बेंगलुरु टेस्ट में बारिश हो गई थी। तब भारत के रविचंद्रन अश्विन, रवींद्र जडेजा और अमित मिश्र जैसे स्पिनरों और भारतीय पिच क्यूरेटर ने मेहमान बल्लेबाजों का जीना मुहाल कर रखा था। भारत ने नागपुर में हुए सीरीज के तीसरे टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका को तीन दिन में 124 रनों से पराजित कर दिया था। बिलकुल ऐसी ही स्थिति दक्षिण अफ्रीका ने अपने देश में बनाई। फर्क इतना है कि यहां पर उधड़ी हुई पिचों की जगह तेज व घसियाली पिचें हैं।

भारत की पिचें बल्लेबाजों को चोट पहुंचाने वाली नहीं थीं क्योंकि वे स्पिनरों के मुफीद थीं जबकि वांडर्स की पिच खतरनाक की श्रेणी में आ गई हैं क्योंकि घास के अंदर छिपी दरारों पर जब 140 किमी प्रति घंटे की गति से गेंद आती है तो बल्लेबाज का घायल होना लाजमी है। आइसीसी ने नागपुर की पिच को खराब रेंटिंग देकर उसकी आलोचना की थी। अब देखना है कि आइसीसी वांडर्स की पिच के साथ ऐसा करती है या नहीं। अब देखना है कि आइसीसी इस पिच को लेकर क्या कार्रवाई करता है?’

दक्षिण अफ्रीका की दूसरी पारी में 2.1 ओवर में पर भुवी की गेंद डीन एल्गर के दाहिने हाथ पर लगी। उन्हें आइस पैक लगाया गया 8.3 ओवर में बुमराह की गेंद एल्गर के हेलमेट पर लगी। इसके बाद फिर दोनों अंपायर आपस में चर्चा करने लगे और मैच रोक दिया गया। 

कई बार घायल हुए बल्लेबाज, दिग्गजों ने की आलोचना

दक्षिण अफ्रीका की पहली पारी के 3.3 ओवर में बुमराह की गेंद एल्गर के हाथ में लगी वह कराह गए इसी पारी के 51.5 ओवर में इशांत की गेंद अमला के दस्ताने में जाकर लगी। बल्लेबाज को फिर अंगुलियों का इलाज करना पड़ा इसके बाद 57वें ओवर की आखिरी गेंद पर भुवी की गेंद फिलेंडर के दस्ताने में लगी। फिलेंडर दर्द के मारे उछल गए।भारत की दूसरी पारी में 30.2 ओवर में रबादा की गेंद कोहली के अंगूठे में लगी। उन्हें इलाज कराना पड़ा, दूसरी पारी के 34.1 ओवर में रबादा की गेंद विजय के बायें दस्ताने में लगी गेंद उछलकर ऐसे आई कि विजय को कुछ समझ में ही नहीं आया 1ओवर में इशांत शर्मा की गेंद हाशिम अमला की रिब्स में लगी। उन्हे फिजियो से सहायता लेनी पड़ीओवर में रबादा की गेंद रहाणो के बल्ले के हैंडल में लगी

'जब विजय को गेंद लगी तभी इन्हें मैच खत्म कर देना चाहिए था। यह क्रिकेट पिच नहीं, खतरनाक है। मैच खत्म करो और भूल जाओ। इस पर क्रिकेट नहीं खेला जा सकता। मुङो नहीं पता कि क्या गलत हुआ है। आखिरी बार मैंने ऐसा जमैका में 1998 में देखा था और तब मैच रद कर दिया गया था।' -  माइकल होल्डिंग, वेस्टइंडीज के पूर्व गेंदबाज

'निश्चित तौर पर यह अच्छी पिच नहीं है। यह वांडर्स की अब तक की सबसे खतरनाक पिच है। हालांकि, मैच रद नहीं होने वाला है। मैं इस पिच को 10 में से 4.5 अंक दूंगा।' - डेरेल कलिनन, पूर्व दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज

'यह आदर्श पिच नहीं है। एक बल्लेबाज के तौर पर आप एक जैसे उछाल की अपेक्षा करते हैं। इसका बाउंस की वजह से बल्लेबाजी करना असंभव है।' - सुनील गावस्कर, पूर्व भारतीय क्रिकेटर

'बल्लेबाज के हाथ और छाती पर गेंद लगना और उसके बाद फिजियो का मैदान में आना कहानी खुद बयां करता है। निश्चित तौर पर यह खतरनाक पिच है।' - संजय मांजरेकर,पूर्व भारतीय बल्लेबाज

'गेंद की मूवमेंट से कोई परेशानी नहीं है, लेकिन इसमें जो असमान उछाल है और ऊपर से जब लंबे और मजबूत गेंदबाज इस पिच पर 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकते हैं तो यह खतरनाक हो जाता है। यह आदर्श नहीं है। मैंने दुनिया में बहुत सारी पिचें देखीं हैं। आप बल्ले और गेंद के बीच अच्छी प्रतिद्वंद्विता देखना चाहते हो जो यहां नहीं मिल रहा। मैं इस पिच को 10 में से तीन अंक दूंगा।' - केपलर वेसेल्स, पूर्व दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज


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