घरेलू क्रिकेट में बदले नियमों से गांगुली भी हैरान, COA को ई-मेल लिखकर बोली ये बात
पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने हैरानी जताने के साथ बीसीसीआइ के महाप्रबंधक (क्रिकेट ऑपरेशन) सबा करीम के फैसले पर सवाल उठाए हैं।
नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। वर्तमान घरेलू सत्र में क्रिकेटरों के चयन के नियमों में बदलाव को लेकर कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी के बाद बीसीसीआइ की तकनीकि समिति के मुखिया और पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने हैरानी जताने के साथ बीसीसीआइ के महाप्रबंधक (क्रिकेट ऑपरेशन) सबा करीम के फैसले पर सवाल उठाए हैं।
अमिताभ के सवाल उठाने के बाद गांगुली ने उनका समर्थन करते हुए सोमवार को बोर्ड के पदाधिकारियों और प्रशासकों की समिति (सीओए) को किए ईमेल में लिखा है कि मैं पूरी तरह से इस बात से सहमत हूं और इससे संबंधित लोगों को इसके बारे में जानकारी दी है। मैं वाकई में हैरान हूं कि बिना परामर्श के ही नए नियम बना दिए गए। तकनीकी समिति की बैठक में लिए गए फैसलों को नजरअंदाज किया गया और नए नियमों का पालन किया गया। यह गड़बड़ है और बीसीसीआइ के बुनियादी संविधान के खिलाफ है। उम्मीद है कि सीओए इसकी अहमियत को समझेगा। रणजी ट्रॉफी में इस बार मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और सिक्किम के अलावा उत्तराखंड और पुडुचेरी की टीमें लिस्ट-ए क्रिकेट में अपना पदार्पण करने उतरीं।
वहीं बिहार ने भी 18 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद वापसी की। कुछ घरेलू खिलाड़ियों के दूसरे राज्य से खेलने को लेकर सवाल खड़े हुए थे। पुडुचेरी के पास अभिषेक नायर और पंकज सिंह के अलावा पारस डोगरा जैसे अनुभवी खिलाड़ी थे। पुडुचेरी में लगभग मुंबई की बी टीम ही खेलती दिखाई दी। इसके लिए सबा करीम द्वारा बीसीसीआइ के नियमों में बदलाव को दोषी माना गया।
इसकी शुरुआत 16 अक्टूबर को हुई जब अमिताभ चौधरी ने सबा को मेल लिखकर बीसीसीआइ के बुनियादी नियमों का हवाला देकर घरेलू टूर्नामेंट के लिए खिलाड़ियों के चयन के नियम को बदलने को लेकर सवाल खड़े किए। उन्होंने पूछा कि घरेलू क्रिकेट से संबंधित जो नियम पहले थे उन्हें क्यों बदला गया। इस बदलाव के पीछे की वजह क्या थी। साथ ही उसके अस्तित्व के बारे में भी उन्होंने जवाब मांगा था।
इसके बाद सबा ने उन्हें नए नियमों की जानकारी दी। इसके बाद चौधरी ने एक और मेल किया जिसमें उन्होंने लिखा कि एक पूर्व क्रिकेटर के तौर पर आप भी अच्छे से समझ रहे हैं कि आपको जानकारी होनी चाहिए कि लंबे समय से चले आ रहे घरेलू क्रिकेट के नियमों को अब बदला जा चुका है। सुनील गावस्कर, अनिल कुंबले और सौरव गांगुली जैसे क्रिकेटरों की अध्यक्षता वाली तकनीकी समितियों द्वारा बनाए गए थे और जब तक इस स्तर का कोई दिमाग इसमें बदलाव नहीं करे तब तक ये कायम रहेंगे। ऐसे मामलों में सरकारी कर्मचारियों के लिए ही नियम क्यों बनाए गए। क्या वे भारतीय नागरिकों में खास वर्ग के लोग हैं। बीसीसीआइ का नया संविधान लागू हो चुका है लेकिन इसके बावजूद बीसीसीआइ अपने सदस्य संघों के साथ मिलकर काम करता है। मैं समझता हूं कि इनमें से किसी ने भी नियमों में बदलाव के लिए अपनी सहमति नहीं जताई थी। इसे थोपा गया है। नियमों में बदलाव को लेकर सबसे ज्यादा नाराजगी इस बात पर है कि सरकारी कर्मचारियों को ट्रांसफर के आधार पर दूसरे राज्यों में खेलने की अनुमति दी गई है।
सबा करीम ने इस बार घरेलू क्रिकेट में खेलने के लिए नियम जारी किए थे जिसके मुताबिक खिलाड़ियों को जन्म प्रमाणपत्र, वास्तविक रोजगार या शैक्षणिक योग्यता देनी होती है। किसी टीम में खेलने के लिए उस खिलाड़ी को एक सितंबर से एक साल पहले उस राज्य में में पढ़ाई या नौकरी करने का प्रमाण पत्र देना होता है।’