बीसीसीआइ समिति की बैठक में हुई गर्मागर्मी, 11 जुलाई को होगी एसजीएम
बीसीसीआइ के अधिकारी इससे पहले कुछ सिफारिशों को लागू करके यह दिखाना चाहते हैं कि वे भी इस मामले में संजीदा हैं।
नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए बीसीसीआइ को सुझाव देने वाली आइपीएल चेयरमैन राजीव शुक्ला की अध्यक्षता वाली आठ सदस्यीय समिति ने शनिवार को मुंबई में अपनी दूसरी और आखिरी बैठक करके रिपोर्ट कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना को सौंप दी है। इस बैठक के दौरान बीसीसीआइ के दो अहम पदाधिकारियों के बीच गहरे उभर आए और कुछ मुद्दों पर तो दोनों के बीच काफी तनातनी हुई। पहले ये दोनों श्रीनिवासन गुट में ही थे, लेकिन लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लेकर इन दोनों की राहें जुदा हो गई हैं।
इस रिपोर्ट पर चर्चा के लिए 11 जुलाई को दिल्ली में बीसीसीआइ की विशेष आम सभा (एसजीएम) बुलाई जाएगी और इसका एकमात्र एजेंडा यही होगा, क्योंकि इस मामले पर 14 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। हालांकि, अभी भी पूर्व बीसीसीआइ अध्यक्ष श्रीनिवासन गुट के लोग लोढ़ा समिति की किसी भी सिफारिश को मानने को तैयार नहीं हैं, जबकि समिति ने चार बिंदु छोड़कर बाकी बातों को मानने की सिफारिश बोर्ड से की है।
समिति के एक सदस्य ने कहा कि एक राज्य एक वोट और पदाधिकारियों के दो कार्यकाल के बीच तीन साल के कूलिंग ऑफ पीरियड पर हमने एतराज जताया है, जबकि 70 वर्ष से ज्यादा उम्र के पदाधिकारियों के चुनाव न लड़ने की लोढ़ा समिति की सिफारिशों को हमने माना है। मालूम हो कि 70 वर्ष से ज्यादा उम्र के निरंजन शाह इस समिति में शामिल थे और वह इसके खिलाफ थे, लेकिन बाकी लोग उन्हें मनाने में कामयाब हो गए।
समिति ने दूसरे बिंदु में ही इस बात को भी समाहित किया है कि बोर्ड की समितियों में शामिल सदस्यों पर कूलिंग ऑफ पीरियड व 70 साल की अधिकतम उम्र का प्रावधान लागू नहीं होना चाहिए। सदस्य का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) पहले ही इस बात को तैयार है कि अगर हम बाकी सिफारिशों को मान लेते हैं तो चयन समिति में तीन की जगह पांच चयनकर्ता व कैग की जगह किसी रिटायर अधिकारी से बीसीसीआइ के खातों की जांच की सिफारिश में छूट देने के लिए वह सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि जहां तक एक राज्य एक वोट की बात है तो हम इस पर भी तैयार हैं, लेकिन किसी भी पूर्व बीसीसीआइ सदस्य को निकाला नहीं जाए। अगर सैद्धांतिक तौर पर किसी नए राज्य को बोर्ड का सदस्य बनाना है तो इस पर हमें आपत्ति नहीं है।
मालूम हो कि एक राज्य एक वोट की सिफारिश के कारण मुंबई, महाराष्ट्र और विदर्भ में से एक बार में एक को ही वोट डालने का अधिकार होगा। ऐसा ही गुजरात, बड़ौदा और सौराष्ट्र के साथ होगा। इसके साथ ही हमने कहा कि आर्टिकल 19.1 सी के मुताबिक प्रत्येक नागरिक का अधिकार है कि वह देश में कोई भी संस्था बना सकता है जिस पर कुठाराघात नहीं होना चाहिए। अब इन सिफारिशों पर बोर्ड की एसजीएम में चर्चा होगी क्योंकि विनोद राय की अध्यक्षता वाली सीओए 14 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करेगी।
बीसीसीआइ के अधिकारी इससे पहले कुछ सिफारिशों को लागू करके यह दिखाना चाहते हैं कि वे भी इस मामले में संजीदा हैं। समिति के एक सदस्य ने कहा कि श्रीनि गुट अभी भी यह चाहता है कि बोर्ड कोई सिफारिश न माने। उनके चार-पांच लोग हैं जो यह चाहते हैं कि एक पदाधिकारी का कुल कार्यकाल नौ की जगह 12 साल का होना चाहिए, जबकि 70 वर्ष की अधिकतम उम्र का प्रावधान लागू नहीं होना चाहिए। हमने अपनी रिपोर्ट में लोढ़ा समिति की सिफारिशों के कुल नौ साल के कार्यकाल व 70 साल की अधिकतम उम्र को मान लिया है।