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पंत के लिए आसान नहीं था नॉटिंघम तक का सफर, जानिए टीम इंडिया में पहुंचने की कहानी

ट्रेंट ब्रिज में पहली बार टेस्ट कैप हासिल करने वाले विकेटकीपर बल्लेबाज रिषभ पंत का सफर आसान नहीं रहा है।

By Pradeep SehgalEdited By: Published: Sun, 19 Aug 2018 12:00 PM (IST)Updated: Mon, 20 Aug 2018 08:25 AM (IST)
पंत के लिए आसान नहीं था नॉटिंघम तक का सफर, जानिए टीम इंडिया में पहुंचने की कहानी
पंत के लिए आसान नहीं था नॉटिंघम तक का सफर, जानिए टीम इंडिया में पहुंचने की कहानी

नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। घरेलू सत्र में लगातार अच्छा प्रदर्शन करके टी-20 और टेस्ट टीम में जगह बनाने के बाद ट्रेंट ब्रिज में पहली बार टेस्ट कैप हासिल करने वाले विकेटकीपर बल्लेबाज रिषभ पंत का सफर आसान नहीं रहा है। उन्होंने यहां तक पहुंचने के लिए दिल्ली के मोती बाग गुरुद्वारे में रात बिताई और लंगर में खाना खाया। रिषभ सहित रमन लांबा, आकाश चोपड़ा, आशीष नेहरा, शिखर धवन सहित दर्जनों क्रिकेटर देश को देने वाले कोच तारक सिन्हा से अभिषेक त्रिपाठी ने विशेष बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश-

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सवाल- आपके बहुत सारे शिष्य टेस्ट क्रिकेट खेले। क्या रिषभ ने एक बार फिर से आपको खुद को युवा महसूस करने पर मजबूर कर दिया?

जवाब- सच कहूं तो जब भी मेरा कोई लड़का भारत के लिए खेलता है तो दिल खुश हो जाता है। मेरे सोनेट क्लब से कई बच्चे खेले हैं, लेकिन हर नया खिलाड़ी अलग होता है। इससे बहुत आशाएं हैं। यह काफी अच्छा करेगा और नाम कमाएगा।

सवाल- अगर वर्तमान दौरे की बात करें तो शुरुआती दो टेस्ट में कोहली के अलावा कोई बड़ा स्कोर नहीं कर पाया। क्या इंग्लिश कंडीशन में रिषभ अच्छा कर पाएगा?

जवाब- वह काफी दिनों से इंग्लैंड में है। भारत-ए के साथ उसने यहां का दौरा किया और तीन अर्धशतक लगाए। इंग्लिश विकेट और मौसम का उसे अच्छा अनुभव हो गया है। अगर क्रिकेट के इस प्रारूप की बात की जाए तो उसने रणजी ट्रॉफी में तिहरा शतक लगाया है। हाल में उसने लाल गेंद से खेलने के लिए तकनीक में काफी बदलाव भी किया है। उसने भारत-ए की तरफ से लाल ड्यूक गेंद खेलने के लिए जो करना चाहिए वह किया। मुझे लगता है कि वह टेस्ट क्रिकेट के लिए पूरी तरह तैयार है। 

सवाल- क्या इस टेस्ट मैच से पहले आपकी रिषभ से बात हुई? वह काफी तेज बल्लेबाजी करते हैं। ऐसे में टेस्ट के लिए आपने क्या टिप्स दिए?

जवाब- लॉर्ड्स टेस्ट के बाद लंदन से नॉटिंघम जाते समय उसका फोन आया था, तब मैंने उससे कहा कि अगर आपको मौका मिलता है तो उसका फायदा उठाना है। आपको पता है कि कैसे खेलना है। आपको गेंद के पास जाकर नहीं खेलना है बल्कि उसका इंतजार करना है। गेंद को पास आने दो और स्विंग खत्म होने के बाद शॉट खेलो। यह छोटी सी टिप्स मैंने उसे दी। यह किसी भी खिलाड़ी के लिए काफी मददगार होती है और इससे उसका हौसला बढ़ता है।

सवाल- वैसे तो आपने पहले भी उसके यहां तक पहुंचने की कहानी बताई थी। क्या उसके कठिन सफर को दोबारा लोगों को बता सकते हैं जिससे बाकी बच्चे भी मेहनत करने से ना कतराएं?

जवाब- रिषभ ने बहुत मेहनत की है। उसके पास कुछ नहीं होता था। वह आज कुछ नहीं से यहां तक पहुंचा है। उसे अपने विकेट और स्टेटस की कीमत पता है। हम एक टैलेंट हंट प्रोग्राम चलाते हैं। कुछ साल पहले इसके परिवार को भी इसकी खबर लगी तो ये रुड़की से यहां ट्रायल देने के लिए चला आया। उसमें चयनित होने के बाद इसे शनिवार और रविवार को यहां ट्रेनिंग करनी होती थी। वह शनिवार को रुड़की से यहां आता था और फिर रात बिताने के लिए मोती बाग के गुरुद्वारे में रुकता था। रविवार को सुबह वहीं लंगर छकने के बाद वह फिर ट्रेनिंग करने हमारे मैदान आता था और फिर रुड़की चला जाता था। कई महीनों तक ऐसा चला। इसके बाद फिर हमने इसे किराये पर कमरा दिलाया और फिर वह दिल्ली का ही हो गया। आज आप देख रहे हैं वह भारतीय टेस्ट टीम का सदस्य है।

सवाल- औरों से यह क्रिकेटर कितना अलग है?

जवाब- जब यह हमारे यहां ट्रेनिंग करता था तब ही लगने लगा था कि इसमें कुछ बात है। मेहनत करने में इसका कोई जोड़ नहीं। जहां तक बल्लेबाजी की बात है तो उसकी गेंद को देखने और उसको हिट करने का तरीका शानदार है। कीपिंग उसका दूसरा सकारात्मक पहलू है। वह ऐसा बल्लेबाज है जो शानदार कीपिंग करता है। पहले अच्छे विकेटकीपर होते थे जो बल्लेबाजी भी कर लेते थे। हालांकि महेंद्र सिंह धौनी ने इस ट्रेंड को बदला, लेकिन रिषभ ऊपरी क्रम पर भी अच्छी बल्लेबाजी करता है। 

सवाल- आपके लिए टेस्ट क्रिकेट ही असली क्रिकेट है। जब रिषभ का चयन टी-20 में हुआ था तो आपने कहा था कि उसे टेस्ट क्रिकेटर के तौर पर खुद को स्थापित करना चाहिए?

जवाब-  मैं हमेशा से ही टेस्ट क्रिकेट को ज्यादा महत्व देता हूं। यह बात सही है जब इसका भारतीय टी-20 टीम में चयन हुआ तो मैंने कहा था कि अब जब टी-20 क्रिकेट ही हुनर दिखाने का तरीका है तो वहीं वह हुनर दिखाए और उसके जरिये टेस्ट टीम में जगह बनाए। इसे उसे मौके की तरह लेना चाहिए और टेस्ट खिलाड़ी के तौर पर खुद को स्थापित करना चाहिए क्योंकि जब तक कोई क्रिकेटर टेस्ट नहीं खेल लेता तब तक वह असली क्रिकेटर नहीं होता। लगभग एक साल बाद वह बात सही साबित हुई। अब वह टेस्ट टीम में आया है तो उसे अपने आपको इस प्रारूप में स्थापित करना चाहिए।

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