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रवि बिश्नोई ने रिजेक्ट होने के बावजूद दुनिया में लहराया परचम, जानिए उनके जीवन से जुड़ी कहानी

लेग स्पिनर रवि बिश्नोई ने आइसीसी अंडर 19 वर्ल्ड कप 2020 में शानदार प्रदर्शन करके सभी का दिल जीता है लेकिन वे कई बार रिजेक्ट हो चुके हैं।

By Vikash GaurEdited By: Published: Tue, 11 Feb 2020 11:32 AM (IST)Updated: Tue, 11 Feb 2020 11:32 AM (IST)
रवि बिश्नोई ने रिजेक्ट होने के बावजूद दुनिया में लहराया परचम, जानिए उनके जीवन से जुड़ी कहानी
रवि बिश्नोई ने रिजेक्ट होने के बावजूद दुनिया में लहराया परचम, जानिए उनके जीवन से जुड़ी कहानी

जयपुर, मनीष गोधा। अंडर-19 विश्वकप क्रिकेट में इस बार सबसे ज्यादा 17 विकेट लेने और फाइनल में चार विकेट लेकर धूम मचाने वाले जोधपुर के रवि बिश्नोई को करियर के शुरुआती दिनों में हर बार खारिज कर दिया जाता था, लेकिन एक बार जो उनका करियर शुरू हुआ तो मैच दर मैच वह सफलता के नए परचम फहरा रहे हैं। आइसीसी की अंडर 19 वर्ल्ड कप टीम में भी रवि बिश्नोई को चुन लिया गया है।

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लेग स्पिनर और युवा खिलाड़ियों में गुगली एक्सपर्ट रवि बिश्नोई जोधपुर में रहते हैं। यहां होने को तो राजस्थान का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम है, लेकिन क्रिकेट को लेकर कोई माहौल नहीं था। वह अपने भाई के साथ हर रविवार छुपते-छुपाते क्रिकेट खेलने जाते थे और फिर आकर चुपचाप पढ़ने बैठ जाते थे। रवि के पिता मांगीलाल बिश्नोई सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं, स्वाभाविक रूप से उनका जोर पढ़ाई पर ही रहता था। हालांकि, मां शिवरी देवी जरूर क्रिकेट पसंद करती हैं और रवि के साथ मैच भी देखती थीं।

कोच बोले- बचपन में एकेडमी आते थे बिश्नोई

अपनी पाटंस अकादमी में बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाकर फाइनल मैच देखने वाले उनके कोच प्रद्योत सिंह बताते हैं कि रवि आठ-नौ साल की उम्र से उनके पास आता था। उसके साथ चार-पांच लड़के और थे। इन बच्चों की मेहनत देखकर लगा कि जोधपुर में एक अकादमी होनी चाहिए, लेकिन हमारे पास इतना पैसा नहीं था। सिंह बताते हैं कि उन्होंने और दोस्त शाहरुख पठान ने अपनी-अपनी नौकरी छोड़कर अकादमी बनाना शुरू किया। छह महीने तक खुद मजदूरों की तरह काम कर मैदान और पिच बनाए। रवि और उसके दोस्त हमारा साथ देते थे।

अकादमी बनने के बाद सही तरीके से अभ्यास शुरू हुआ। प्रद्योत बताते हैं कि रवि पहले तेज गेंदबाज था लेकिन उसकी लंबाई कम थी तो हमने सोचा कि यह लेग स्पिन अच्छी करेगा। इससे लेग स्पिन डलवाई तो ज्यादातर गुगली डालता था, लेकिन मेहनत करता रहा और सीख गया। दो साल लगातार रवि का राजस्थान की टीम के लिए चयन नहीं हुआ। बाद में हमने उसे राजस्थान रॉयल्स के नेट्स पर गेंदबाजी सीखने भेजा।

वहां भी दो दिन तक तो उसे एंट्री ही नहीं मिली। फिर रवि को मौका मिला और वहां के कोच ने उसकी काफी सहायता की। अब तो उसे किंग्स इलेवन पंजाब ने दो करोड़ रुपये में ले लिया है। प्रद्योत ने कहा कि जब इसे राजस्थान रॉयल्स के लिए भेजा तो उसकी बारहवीं बोर्ड की परीक्षा थी और इसके पिता चाहते थे, उसे वापस बुला लें लेकिन हमने जोर दिया तो वह मान गए।


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