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जब पॉली उमरीगर और सलीम दुरानी ने भारतीय टीम में डाली जान, लेकिन नहीं मिली जीत

पॉली उमरीगर और सलीम दुरानी ने 1964 के एक मैच में भारतीय टीम में जान डाली थी लेकिन वेस्टइंडीज की टीम के खिलाफ जीत नहीं मिली थी।

By Vikash GaurEdited By: Published: Tue, 07 Apr 2020 09:41 AM (IST)Updated: Tue, 07 Apr 2020 09:41 AM (IST)
जब पॉली उमरीगर और सलीम दुरानी ने भारतीय टीम में डाली जान, लेकिन नहीं मिली जीत
जब पॉली उमरीगर और सलीम दुरानी ने भारतीय टीम में डाली जान, लेकिन नहीं मिली जीत

नई दिल्ली, जेएनएन। क्रिकेट में कुछ कहानियां बड़ी रोचक होती हैं। कई खिलाड़ी ऐसा प्रदर्शन कर जाते हैं जो उस खेल का रुख ही बदल देते हैं। भारतीय क्रिकेट के लिए वर्ष 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कोलकाता टेस्ट में वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ ने भी कुछ ऐसा ही किया था। यह पारियां आज भी क्रिकेट की दुनिया में सर्वश्रेष्ठ पारियों में गिनी जाती हैं, लेकिन आज ही के दिन 1964 में एक ऐसा टेस्ट हुआ था, जिसमें भारत के दो खिलाड़ी पॉली उमरीगर और सलीम दुरानी यह कारनामा करने के बेहद करीब पहुंच गए थे।

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दरअसल, 1964 में भारतीय टीम मंसूर अली खान पटौदी के नेतृत्व में कैरेबियाई दौरे पर थी। 0-3 से पिछड़ चुकी भारतीय टीम के हौसले पूरी तरह से पस्त थे। लांस गिब्स, गैरी सोबर्स, वेस हॉल्स और चार्ली स्टेयर्स जैसे उम्दा गेंदबाजों का भारतीय बल्लेबाजों के पास कोई जवाब नहीं था। फिर सात अप्रैल 1964 को चौथा टेस्ट शुरू हुआ। जहां पहले बल्लेबाजी करते हुए वेस्टइंडीज ने नौ विकेट पर 444 रनों पर पारी घोषित की। भारतीय टीम के लिए इस स्कोर के पास पहुंचना बहुत जरूरी था, लेकिन भारतीय टीम 197 रन पर पवेलियन लौट गई और फॉलोऑन के लिए मजबूर हो गई।

उमरीगर और सलीम का कमाल

इसके बाद फॉलोऑन खेलने उतरी भारतीय टीम को पहले सलीम दुरानी ने संभाला। दुरानी ने आउट होने से पहले 104 रन की बेहतरीन पारी खेली, लेकिन उसके बाद पॉली उमरीगर ने कमाल की पारी खेली। उन्होंने 248 गेंद में नाबाद 172 रन बनाए। उन्होंने बापू नादकरनी के साथ नौवें विकेट के लिए 93 रन की महत्वपूर्ण साझेदारी की। इसकी मदद से भारतीय टीम दूसरी पारी में 422 रन बनाने में कामयाब रही। वेस्टइंडीज को जीत के लिए 176 रनों का लक्ष्य मिला। हालांकि वेस्टइंडीज ने यह लक्ष्य तीन विकेट के नुकसान पर हासिल कर लिया, लेकिन यह टेस्ट उमरीगर और सलीम की जुझारू पारियों की वजह से यादगार बन गया। प्रस्तुति- निखिल शर्मा


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