मुरली विजय को बाहर करने का भारत को हुआ फायदा, चार साल बाद हुआ ऐसा
भारत और इंग्लैंड के बीच ये तीसरा टेस्ट मैच है और अबतक खेले गए सभी मुकाबलों में टीम इंडिया अलग-अलग ओपनर्स के साथ मैदान पर उतरी है।
नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। नॉटिंघम टेस्ट मैच में भारतीय टीम तीन बदलाव के साथ मैदान पर उतरी। पहले दो टेस्ट मैच हारने के बाद बदलाव होने तो तय थे और करो या मरो के इस मैच में विराट एंड कंपनी तीन बदलाव के साथ उतरी। तीसरे टेस्ट मैच में भारतीय टीम एक बार फिर से अलग ओपनिंग जोड़ी के साथ उतरी। इस बार शिखर धवन और लोकेश राहुल ओपनिंग के लिए मैदान पर आए, क्योंकि इस मैच के लिए मुरली विजय, कुलदीप यादव और दिनेश कार्तिक को मौका नहीं मिला। इन दिनों की जगह शिखर धवन, जसप्रीत बुमराह और रिषभ पंत को प्लेइंग इलेवन में चुना गया।
चार साल बाद हुआ ऐसा
नॉटिंघम टेस्ट से बाहर करने का टीम इंडिया को फायदा हुआ, क्योंकि इस पारी में धवन राहुल ने एक ऐसा कमाल कर दिया, जो भारतीय ओपनर्स पिछले चार साल से नहीं कर पा रहे थे। भारतीय सलामी बल्लेबाजों ने एशिया के बाहर एक टेस्ट की पहली सुबह 10 या उससे अधिक ओवर खेले। इसके पहले ऐसा चार साल पहले 2014 में ब्रिस्बेन के मैदान पर हुआ था। उस मैच में धवन और मुरली विजय की जोड़ी ने 13.4 ओवर में 56 रन जोड़े थे।
इस सीरीज़ में पहली बार हुआ ऐसा
नॉटिंघम टेस्ट की पहली पारी में टीम इंडिया ने सधी शुरुआत की। शिखर धवन और लोकेश राहुल ने मिलकर भारत को इस सीरीज़ का सबसे अच्छा आगाज़ दिलाया। इन दोनों बल्लेबाज़ों ने अच्छी साझेदारी करते हुए इस दौरे पर सबसे बढिया शुरुआत दिलाई। इन दोनों बल्लेबाज़ों ने 60 रनों की पार्टनरशिप की, लेकिन इस स्कोर पर धवन का ध्यान भटका और वो क्रिस वोक्स की गेंद पर अपनी विकेट गंवा बैठे। इससे पहले मुरली विजय और धवन ने एजबेस्टन टेस्ट की पहली पारी में 50 रन की साझेदारी की थी।
तीसरे टेस्ट में तीसरी ओपनिंग जोड़ी
मौजूदा दौरे पर भारत और इंग्लैंड के बीच ये तीसरा टेस्ट मैच है और अबतक खेले गए सभी मुकाबलों में टीम इंडिया अलग-अलग ओपनर्स के साथ मैदान पर उतरी है। एजबेस्टन में खेले गए पहले टेस्ट मैच में धवन और मुरली विजय ने पारी की शुरुआत की थी। लॉर्ड्स टेस्ट मैच में शिखर धवन को बाहर किया गया तो लोकेश राहुल और मुरली विजय ने पारी का आगाज़ किया। तीसरे टेस्ट मैच में मुरली विजय को ड्रॉप किया गया तो धवन और राहुल ने पारी की शुरुआत की।
इस वजह से बाहर हुए विजय
मुरली विजय पहले दोनों टेस्ट में फ्लॉप साबित हुए थे। वो न ही रन बना रहे थे और न ही क्रीज़ पर टिक पा रहे थे। नतीज़ ये होता था कि भारतीय टीम जल्द ही दबाव में आ जाती थी। एजबेस्टन में मुरली विजय 6 और 20 रन ही बना सके थे। लॉर्ड्स टेस्ट में तो वो दोनो पारियों में खाता तक खोलने में नाकाम रहे थे।