धोनी से मिलने को उनका ये फैन अपनी दुकान बेच पहुंच गए थे रांची, करते हैं माही के क्रिकेट किट की पूजा
रवींद्र ने पांच साल का लंबा समय धोनी के साथ बिताया है और आज उनके दिये क्रिकेट के किट की वह निशानी के तौर पर भगवान की तरह पूजा करते हैं।
संजीव रंजन, रांची। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के फैन उनके अपने शहर रांची समेत देशभर में हैं। कुछ उनके चौकों-छक्कों पर फिदा हैं तो कुछ बस एक झलक पाकर ही गदगद हैं। कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें उनका सान्निध्य भी मिला है। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रवींद्र सैनी भी उनके ऐसे ही फैन हैं। इन दिनों वह धोनी से मिलने रांची आए हुए हैं। ये वही रवींद्र सैनी हैं जो रांची में हर साल खास तरीके से धोनी का जन्मदिन मनाने के लिए भी जाने जाते हैं। रवींद्र ने पांच साल का लंबा समय धोनी के साथ बिताया है और आज उनके दिये क्रिकेट के किट की वह निशानी के तौर पर भगवान की तरह पूजा करते हैं।
दो साल लग गए थे धोनी से मिलने में
एक वक्त था जब रवींद्र सैनी के दिलो दिमाग पर धोनी इस कदर छाए थे कि रवींद्र सहारनपुर स्थित अपनी छोटी सी दुकान बेचकर धोनी से मिलने रांची चले आए थे। यहां भी दो साल तक धोनी का आशीर्वाद लेने के लिए भटकते रहे, अंतत: कामयाब हुए। मुलाकात होने पर धोनी ने भी उनकी भावना का सम्मान किया और उन्हें अपने घर पर ही गार्ड की नौकरी पर रख लिया। 2013 से 2018 तक सैनी ने यहां सेवा दी। इस दौरान वह यहां धोनी का सान्निध्य पाते रहे। बाद में मां की बीमारी के कारण रवींद्र को सहारनपुर लौटना पड़ा।
अब धोनी का दिया क्रिकेट किट बन गया निशानी, दुकान पर लगती है भीड़
रांची से विदाई के मौके पर धोनी ने रवींद्र को उपहार स्वरूप क्रिकेट का किट दिया। यह किट अब धोनी की निशानी के तौर पर रवींद्र के न सिर्फ शोकेस की शोभा बढ़ा रहा है, बल्कि वह धोनी द्वारा दिए गए बल्ले, ग्लव्स, जर्सी आदि की नियमित रूप से पूजा भी करते हैं। इस निशानी को देख रवींद्र के साथ साथ आसपास के लोग भी प्रफुल्लित होते हैं। रवींद्र बताते हैं कि कपड़े की नई दुकान खोलने में भी धोनी ने उन्हें काफी मदद की। वह बताते हैं कि धोनी द्वारा दिए गए क्रिकेट किट वाले डिस्प्ले के सामने हमेशा प्रदर्शनी जैसा ही नजारा रहता है।
हमेशा भाई जैसा प्यार दिया माही ने
रवींद्र बताते हैं कि धोनी ने उन्हें भाई सा प्यार दिया। जब उन्होंने गार्ड की नौकरी छोड़ी तो धोनी ने कहा कि तुम्हें जब जरूरत पड़े, आ जाना। वह कहते हैं- मैं धोनी को कभी नहीं भूल सकता। उनका जन्मदिन भी हर साल मनाता रहूंगा और उनसे मिलने हमेशा रांची भी आता रहूंगा।