इस फैसले से धौनी, गेल और वॉर्नर हुए परेशान, मेरठ में आई खुशी की लहर
एमसीसी की सिफारिश पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) ने यह फैसला क्रिकेट में बल्ले और गेंद के बीच संतुलन बनाने के लिए लिया है।
मेरठ, संतोष शुक्ल। अगर आप क्रिकेट में गगनचुंबी छक्कों की बारिश देखना पसंद करते हैं तो संभव है कि बल्लेबाजों के साथ आपको भी अब रनों के छींटों से काम चलाना पड़ेगा। मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) ने मार्च में जो गाइडलाइंस जारी की थीं, उसके मुताबिक बैट के निचले हिस्से के किनारों (एज) की मोटाई की सीमा 40 एमएम होगी।
एमसीसी की सिफारिश पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) ने यह फैसला क्रिकेट में बल्ले और गेंद के बीच संतुलन बनाने के लिए लिया है। जिस पर मेरठ की क्रिकेट का सामान बनाने वाली इंडस्ट्री नई पारी खेलने के लिए तैयार है। तमाम दिग्गजों के हाथ में जल्द ही बदला हुआ बल्ला नजर आएगा। आइसीसी के नए नियम से इंडस्ट्री की बाछें खिल गई हैं। इस सेगमेंट में मेरठ में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्ले बनते हैं।
एक अक्टूबर से लागू होगा नियम : बदला नियम एक अक्टूबर से लागू होगा। विशेषज्ञों की मानें तो मोटे एज से गेंद सनसनाती हुई बाउंड्री के पार चली जाती है। एबी डिविलियर्स, डेविड वार्नर, क्रिस गेल और धौनी समेत तमाम बल्लेबाजों ने मोटे एज से खेलते हुए ढेरों रन बनाए हैं। इंग्लैंड की बल्ला निर्माता कंपनी ग्रेनिकल्स ने 45 से 50 एमएम के एज वाला बल्ला बनाकर कारोबार की दिशा बदल दी थी। तमाम बल्लेबाज लंबे शॉट के लिए ऐसे बल्लों पर निर्भर रहने लगे थे। 42 एमएम से ज्यादा एज वाले बल्लों को तराशना बेहद कठिन काम था, ऐसे में मेरठ की इंडस्ट्री पर मंदी के बादल छाने लगे।
किसे फायदा, किसे नुकसान : अब धौनी को अपना बल्ला बदलना पड़ेगा। लेकिन भारतीय कप्तान विराट कोहली को कोई परेशानी नहीं होगी। विराट का बल्ला नए नियमों के अनुसार फिट बैठता है। धौनी लंबे समय से 45 एमएम की मोटाई वाले बल्ले से खेल रहे हैं। कोहली समेत शिखर धवन, चेतेश्वर पुजारा, केएल राहुल 40 एमएम या उससे कम मोटाई के बल्लेसे खेलते हैं।
मेरठ तो इस सेगमेंट का उस्ताद है : बल्लेबाज आमतौर पर 1160 से 1250 ग्राम के बल्लों से खेलते हैं। धौनी समेत कई अन्य 1300 ग्राम के बल्लों के दीवाने रहे, जिसमें लकड़ी की मोटाई अन्य बल्लों से ज्यादा थी। खेल उद्यमी बताते हैं कि तमाम बल्लेबाज एज 40 एमएम से ज्यादा, जबकि बल्ले का वजन 1200 ग्राम से कम चाहते थे, जो बेहद मुश्किल था। एज ज्यादा होने पर बल्ले का वजन ज्यादा हो जाता है। लेकिन नए नियमों से इंडस्ट्री गदगद हो गई। मेरठ में बल्लों की हाथ से फिनिशिंग होती है, जिसकी पूरी दुनिया कायल है। मेरठ की कंपनियों ने 40 एमएम से कम मोटाई वाला बल्ला बनाना शुरू कर दिया है। श्रीलंका खेलने गई भारतीय टीम के खिलाड़ियों के लिए नए बल्ले भेजे गए हैं।
अब ये होगा बल्ले का तय साइज
लंबाई : सवा 34 इंच
चौड़ाई : सवा चार इंच
स्पाइन : 67 मिमी
मोटाई : 40 मिमी