जानें, कैसे कोहली का ही नुकसान कर रहे हैं धौनी, अब बोल देना चाहिए बाय-बाय
क्या धौनी को टी-20 क्रिकेट से संन्यास ले लेना चाहिए?
नई दिल्ली, भारत सिंह। भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे सफल कप्तान माने जाने वाले महेंद्र सिंह धौनी को इस समय टी-20 क्रिकेट से संन्यास लेने की कई सलाह मिल रही हैं। इसकी वजह है कि भारत को न्यूजीलैंड के खिलाफ दूसरे टी-20 मैच में 40 रनों से हार का सामना करना पड़ा था। इस मैच में धौनी ने 49 रन बनाए, लेकिन वह टीम को जीत नहीं दिला सके।
इस मैच में हार की असली वजह भारतीय पारी की बीच के ओवरों में धीमी बल्लेबाजी रही। वैसे तो धौनी इस मैच में जब मैदान पर आए तो टीम इंडिया की हालत पहले ही पतली हो चुकी थी और उसने 9.1 ओवर में 67 रन बनाने तक 4 विकेट गंवा दिए थे। धौनी और कोहली को क्रीज पर आते ही 55 गेंदों में 129 रन बनाने का लक्ष्य मिला था, जिसे वे या उनके बाद के बल्लेबाज पूरा नहीं कर सके। नतीजतन, भारत मैच हार गया और धौनी के टी-20 में खेलने पर सवाल उठने लगे।
हमारे क्रिकेट प्रेमी एक ही मैच में हार-जीत के बाद संन्यास लेने या कप्तानी छोड़ने की भावुक अपील करते रहे हैं। लेकिन इनसे इतर हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि क्या धौनी को वाकई टी-20 क्रिकेट से संन्यास ले लेना चाहिए या उन्हें अभी क्रिकेट के इस प्रारूप में बने रहकर देश और क्रिकेट की सेवा करनी चाहिए। धौनी के समर्थन में सबसे मजबूत तर्क दिया जाता है कि वह अब भी मैदान पर काफी सारे मामलों पर कोहली और गेंदबाजों की मदद करते हैं। हम इसी से अपनी बात शुरू करते हैं।
धौनी के भरोसे टिके हैं कोहली?
महेंद्र सिंह धौनी के बारे में कहा जाता है कि वह कभी टीम पर भार नहीं बनेंगे और अचानक से संन्यास लेकर सबको चौंका देंगे। इसकी वजह है कि धौनी ने 2014 में ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर अचानक टेस्ट की कप्तानी छोड़कर सभी को चौंकाने वाला काम किया था। माना जा सकता है कि तब टीम के खिलाड़ियों या मैनेजमेंट सदस्यों को उनके इस फैसले की जानकारी होगी, फिर भी कोहली पर अचानक बड़ी जिम्मेदारी आन पड़ी थी। कोहली ने बखूबी इस जिम्मेदारी को निभाया और टीम को नंबर 1 टेस्ट टीम के दर्जे तक पहुंचाया। धौनी ने भले ही 2017 की शुरुआत में वनडे और टी-20 से कप्तानी छोड़ दी हो, लेकिन अब भी वह इन मैचों में कप्तान कोहली से ज्यादा सक्रिय दिखाई देते हैं। भले ही कोहली प्रभावशाली शख्सियत के मालिक हों, पर उनकी ऐसी छवि बन रही है कि वह धौनी के सुझावों पर ही चलते हैं।
कब मिलेगा कोहली को मौका?
टेस्ट, वनडे और टी-20 में बिल्कुल अलग रणनीति से कप्तानी की जाती है। टेस्ट में जहां आपके पास गलतियों को सुधारने के कई मौके रहते हैं, वहीं वनडे और टी-20 में ये मौके कम होते जाते हैं। कोहली 'टेस्ट के टेस्ट' में तो पास हो चुके हैं, लेकिन भारतीय टीम को अपने क्रिकेट के स्तर को धौनी के जाने के बाद भी उच्चतम स्तर पर बनाए रखना है तो कोहली को भी अपने फैसले लेने, गलतियां करने और उन्हें सुधारने का मौका देना होगा। इसके लिए धौनी को टी-20 क्रिकेट में न केवल युवाओं के लिए जगह खाली करनी होगी, बल्कि कोहली को भी उनके पैरों पर खड़े होने का मौका देना होगा। क्रिकेट हो या जीवन का कोई और पहलू, नई पीढ़ी को सही समय पर जिम्मेदारी और नेतृत्व का मौका मिले तो सही-गलत फैसलों के साथ ही नई पीढ़ी की क्षमता निखरती जाती है। इसलिए कोहली को न सिर्फ टी-20 की, बल्कि वनडे में भी कप्तानी की जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी। फिलहाल धौनी के कद, अनुभव और सीनियर के सम्मान की वजह से कोहली उनके सुझावों को ही मानते हैं।
फीकी पड़ी फिनिशर की चमक?
हर खिलाड़ी का सपना होता है कि उसे करियर के अंतिम समय में धकेला न जाए और वह जीत के बाद ही संन्यास लेकर मिसाल कायम करे। दुनिया के हालिया महानतम खिलाड़ियों- उसेन बोल्ट से लेकर माइकल फेलप्स तक कई नाम इस सीरीज में देखे जा सकते हैं। हालांकि, हर बार खिलाड़ियों को ऐसा करने का मौका नहीं मिलता। धौनी के बारे में सबसे बड़ी शिकायत यह है कि अब फिनिशर की भूमिका निभाने वाले दूसरे खिलाड़ी टीम को मिल गए हैं तो उन्हें आराम करना चाहिए। देखा जाए तो आखिरी 12 वनडे में धौनी ने 45 नाबाद, 67 नाबाद, 49 नाबाद, 1 नाबाद, 79 रन, 5 रन, 3 नाबाद, 13, 00 (बल्लेबाजी नहीं की), 25, 18 नाबाद और 25 रन बनाए हैं। इनसे साथ ही उन्होंने 11 कैच और 5 स्टंप भी किए हैं। इसके मुकाबले, धौनी के आखिरी 12 टी-20 की बात करें तो उन्होंने 43, 00 (बल्लेबाजी नहीं की), 36 नाबाद, 5, 56, 2, 1 नाबाद, 00 (बल्लेबाजी नहीं की), 13, 7 नाबाद, 49 और 0 नाबाद रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 5 कैच और 4 स्टंप किए। टी-20 में धौनी को जिस नंबर पर बल्लेबाजी का मौका मिलता है, वहां फिनिशर का रोल बहुत बचता नहीं है। यह उनका कद और भारतीय क्रिकेट में योगदान है कि कोई भी उनसे संन्यास लेने को नहीं कहेगा। हां, संभव है कि उन्होंने अपने लिए कुछ लक्ष्य तय किए हों, लेकिन वे लक्ष्य क्या हो सकते हैं, इन पर भी गौर किया जा सकता है।
तीन साल और खेल सकते हैं धौनी?
यूं तो धौनी टेस्ट क्रिकेट छोड़ ही चुके हैं और वह वनडे और टी-20 क्रिकेट खेलते हैं। ऐसे में वह कुछ समय और क्रिकेट को दे सकते हैं, लेकिन कितना? अगला टी-20 विश्व कप 2020 में है। इसलिए अगर धौनी टी-20 विश्व कप खेलना चाहते हैं तो यह लक्ष्य उनके लिए लगभग असंभव है। तब उनकी उम्र 40 के आसपास होगी। धौनी का टी-20 क्रिकेट में स्ट्राइक रेट 123.41 का रहा है। 40 की उम्र में उनके लिए इस स्ट्राइक रेट को मैंटेन कर पाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। हां, अगला वनडे विश्व कप 2019 में है, लेकिन तब तक भी उनके खेल पाने पर संदेह तो उठता ही है। वैसे भी यह बात सिर्फ धौनी के खेल की नहीं है। किसी खिलाड़ी के खेलने का सवाल पूरी टीम से जुड़ा होता है और अगर आप राष्ट्रीय स्तर की टीम का प्रतिनिधित्व करें तो चुनौती और भी कड़ी हो जाती है। इसलिए धौनी के संन्यास से बड़ा सवाल यह है कि क्या भारतीय टीम के पास इस तरह की प्रतिभाएं नहीं हैं, जो धौनी को रिप्लेस कर सकें?
क्या हैं धौनी के विकल्प?
जब सचिन तेंदुलकर खेलते थे तो लगता था कि उनके जाने के बाद वैश्विक बल्लेबाजी में बड़ा शून्य बन जाएगा। यही बात भारतीय बल्लेबाजी में वीवीएस लक्ष्मण से लेकर राहुल द्रविड़ तक के लिए कही जाती थी और कप्तानी में सौरव गांगुली के लिए। लेकिन हम सबने देखा कि गांगुली को धौनी जैसा उत्तराधिकारी मिला और भारतीय टीम को विराट कोहली, चेतेश्वर पुजारा, अजिंक्य रहाणे और रोहित शर्मा जैसे बल्लेबाज। किसी भी टीम का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि उसकी बेंच स्ट्रेंथ क्या है। धौनी की 'शांत और चालाकी भरी कप्तानी' छोड़ने के बाद क्रिकेट प्रेमियों के मन में बड़े सवाल खड़े हुए थे, जिन्हें कोहली ने अपने 'आक्रामक सूत्रों' से आसानी से हल कर दिया। धौनी के टेस्ट से संन्यास लेने के बाद रिद्धिमान साहा ने विकेट के पीछे बखूबी धौनी की जगह संभाली है। विकेट के आगे भी उन्होंने अच्छा खेल दिखाया है और विदेशी दौरों पर उनका असली टेस्ट भी हो जाएगा। वनडे की बात करें तो दिनेश कार्तिक यह जिम्मेदारी ले सकते हैं। उनकी फिटनेस का स्तर किसी से छिपा नहीं है और आइपीएल में वह विदेशी गेंदबाजों को अपने जमीनी शॉट से चित्त करने में भी माहिर हैं। टी-20 में धौनी की जगह रिषभ पंत ले सकते हैं और उन्हें क्रिकेट के इस प्रारूप में अपना प्रभाव छोड़ने के बाद वनडे और टेस्ट में मौका दिया जा सकता है। रिषभ ने भी विकेट के पीछे और आगे अपने खेल से प्रभावित करने का काम किया है।
सबसे लंबी लकीर खींच सकते हैं धौनी
भारतीय क्रिकेटरों पर अक्सर आरोप लगते रहते हैं कि वे व्यक्तिगत रिकॉर्ड बेहतर करने के लिए ही लंबे समय तक खेलते रहते हैं। क्रिकेट जगत के महानतम बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर हों या भारत के महानतम ऑलराउंडर कपिल देव, कोई भी इन आरोपों से नहीं बच सके। ऐसे में धौनी के सामने यह मौका है कि टेस्ट और वनडे में कप्तानी छोड़ने की तरह टी-20 क्रिकेट से अलग होने का सही समय पर फैसला लें और इन आरोपों को खुद पर लगने ही न दें। धौनी कभी क्लासिक बल्लेबाज नहीं रहे, वह भारतीय क्रिकेट में एक किवदंती और अपवाद की तरह आए, शुरुआत में यहां उनका कोई गॉडफादर नहीं था, लेकिन उन्होंने भारतीय क्रिकेट के शीर्ष तक अपनी पहुंच बनाई। इसके बाद तो वह सफलता की ऐसी दास्तां लिखते चले गए कि दुनिया भर में उनके गैर-किताबी क्रिकेटीय तौर-तरीकों पर मजेदार बातें होने लगीं। हां, सभी की तरह उन्होंने भी यहां अपने फैसलों से कई दोस्त तो कई दुश्मन बनाए, जिसका मूल्यांकन आने वाला समय ही करेगा।