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World Cup 2019: हारकर भी जीतने वाला बाजीगर, जिसे दुनिया सलाम कर रही है...

World Cup 2019 अकेले दम पर न्यूजीलैंड को फाइनल तक ले गए कप्तान केन विलियमसन और फाइनलम में 0 रन से मिली हार।

By Vikash GaurEdited By: Published: Tue, 16 Jul 2019 07:35 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 07:35 PM (IST)
World Cup 2019: हारकर भी जीतने वाला बाजीगर, जिसे दुनिया सलाम कर रही है...
World Cup 2019: हारकर भी जीतने वाला बाजीगर, जिसे दुनिया सलाम कर रही है...

अभिषेक त्रिपाठी, लंदन। शांत चेहरा, घनी दाढ़ी के बीच चेहरे पर झलकती हल्की सी मुस्कान। भारत के खिलाफ विश्व कप सेमीफाइनल में जीत के बाद भी शांत मन हो या फिर इंग्लैंड से फाइनल में दिल को कुरेदने वाली हार के बाद भी मुस्कान। एक सप्ताह के अंदर ये कुछ ऐसे दृश्य थे जिन्होंने न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियमसन को हारकर भी जीतने वाला बाजीगर बना दिया। अकेले दम पर टीम को फाइनल तक लाने का संघर्ष हो या फिर फाइनल जैसे बड़े मुकाबले में विरोध में गए फैसलों के बाद भी निराशा जाहिर नहीं करना हो। यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) ने जब अपनी विश्व कप एकादश का चयन किया तो उसमें विश्व विजेता कप्तान इयोन मोर्गन को नहीं विलियमसन को कप्तान बनाया।

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सादगी से बनाया कायल : खिताब जीतने के बाद जब इंग्लैंड के कप्तान मोर्गन प्रेस कांफ्रेंस में आए तो किसी ने उनके लिए कुछ नहीं किया, लेकिन वो केन थे जिनके लिए सभी पत्रकारों ने खड़े होकर तालियां बजाई। ऐसा उसी के लिए होता है जो सभी के सामने अपना सम्मान बना पाता है। फाइनल के पुरस्कार वितरण के वक्त भी जब वह सवालों के जवाब दे रहे थे तो बड़ी ही सादगी के साथ मुस्कुराते हुए किस्मत को वजह बता रहे थे।

फाइनल तक ले गए : पूरे विश्व कप में न्यूजीलैंड के सलामी बल्लेबाज फ्लॉप रहे। यही वजह थी कि पूरे टूर्नामेंट में उन्होंने एक सलामी बल्लेबाज की ही भूमिका निभाई। शुरुआती पावरप्ले में ही मार्टिन गुप्टिल लगातार आउट हो रहे थे और फिर विलियमसन ही पारी को आगे तक ले जा रहे थे। हां इसके लिए उन्हें मध्य क्रम के अनुभवी बल्लेबाज रॉस टेलर का साथ मिला। इन दोनों ने ही मिलकर पूरे बल्लेबाजी क्रम का भार पूरे टूर्नामेंट में उठाया। इतना ही नहीं जब उनके बल्लेबाज कारगर नहीं हुए तो उन्होंने अपने गेंदबाजों में जान फूंकी और टीम को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाकर अपने गेंदबाजों की बदौलत मैच जीते।

कप्तानी की समझ भी दिखी : न्यूजीलैंड की टीम को कोई विश्व कप खिताब का दावेदार नहीं मान रहा था, लेकिन केन ने अपनी चतुराई से सभी को जवाब दे दिया। सेमीफाइनल में मैनचेस्टर की पिच को केन अच्छी तरह से समझ चुके थे। वह यह जानते थे कि यह पिच समय के साथ-साथ धीमी होती चली जाएगी और यहां बल्लेबाजी करना मुश्किल हो जाएगा। यही वजह थी कि टॉस जीतकर केन ने बल्लेबाजी तो चुनी, लेकिन रन बनाने से ज्यादा क्रीज पर टिकने को अहमियत दी। साथ ही साथी बल्लेबाजों को भी इसके बारे में साफ किया। तभी तो न्यूजीलैंड 30 ओवर में मुश्किल से 100 रन बना पाई थी और उनका 250 तक पहुंचना भी मुश्किल लग रहा था। भारतीय प्रशंसक तो उम्मीद कर रहे थे कि उनके सलामी बल्लेबाज ही 240 रनों के लक्ष्य को पाने में अहम योगदान दे देंगे, लेकिन केन तो कुछ और ही सोचकर चल रहे थे।

पहले मैट हेनरी और ट्रेंट बोल्ट ने भारत के शीर्ष क्रम को ढहा दिया। इसके बाद उनके पास मिशेल सेंटनर जैसे स्पिनर और कोलिन डि ग्रैंडहोम जैसे मध्य गति के गेंदबाज थे जो इस धीमी पिच पर बल्लेबाजों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते थे। सेमीफाइनल जीतने के बाद एक बार फिर फाइनल में यही स्थिति बनी, लेकिन इस बार केन बल्लेबाजी में ज्यादा योगदान नहीं दे सके, लेकिन पिच को अच्छे से समझते हुए सही निर्णय लिए। इंग्लैंड की पारी में केन ने अहम फैसला लेते हुए सेंटनर को 30 ओवर के बाद गेंद थमाई और वह लगभग अपना काम कर चुके थे, लेकिन बोल्ट ने बेन स्टोक्स का कैच छक्के में तब्दील किया और फिर ओवर थ्रो से छह रन मिलने के बाद किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया।

गुप्टिल पर जताया भरोसा : 2015 विश्व कप में वेस्टइंडीज के खिलाफ दोहरा शतक लगाने वाले मार्टिन गुप्टिल इस पूरे टूर्नामेंट में नहीं चले। गुप्टिल ने पूरे टूर्नामेंट में 10 मैच में एक अर्धशतक की बदौलत मात्र 186 रन बनाए, वो भी 20.66 के मामूली औसत से। उनके अलावा हेनरी निकोल्स ने चार मैच में एक अर्धशतक की बदौलत मात्र 91 रन बनाए। दोनों ओपनर के नहीं चलने पर दबाव विलियमसन और टेलर पर आ जाता था। इसके बावजूद भी विलियमसन ने अपने सीनियर बल्लेबाज गुप्टिल पर भरोसा बनाए रखा और विश्व कप जैसे बड़े फाइनल में खिलाया और इसके अलावा सेमीफाइनल में गुप्टिल ने ही भारतीय बल्लेबाज महेंद्र सिंह धौनी को रन आउट करके टीम को फाइनल का टिकट दिलाने का काम किया था।

ओपनर विलियमसन : न्यूजीलैंड ने इस विश्व कप में पहले मैच में पहले विकेट के लिए 137 रनों की साझेदारी की थी और उसके बाद उनकी तरफ से पहले विकेट के लिए 35, 29, 12, 5, 2, 1, 0, 0, 1 और 29 रनों की साझेदारी हुई। न्यूजीलैंड के नकारा ओपनरों के कारण ही विलियमसन को इस विश्व कप में एक तरह से ओपनर का ही काम करना पड़ा। वह पहले मैच में श्रीलंका के खिलाफ 16.2, दूसरे मैच में बांग्लादेश के खिलाफ 5.2, तीसरे मैच में अफगानिस्तान के खिलाफ 0.2, चौथे मैच में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 2.2, वेस्टइंडीज के खिलाफ 0.2, पाकिस्तान के खिलाफ 1.2, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 9.3, इंग्लैंड के खिलाफ 0.6, भारत के खिलाफ सेमीफाइनल में 3.4वें ओवर और इंग्लैंड के खिलाफ फाइनल में 6.3वें ओवर में बल्लेबाजी करने उतरे। पहला विकेट जल्द गिरने के कारण उन्होंने काफी धीमी बल्लेबाजी की। उन्होंने शुरुआत 20 गेंद पर सिर्फ पांच रन बनाए और बाद की 22 गेंद पर 25 रन बनाए।

मैकुलम के बाद आए विलियमसन

2015 विश्व कप में ब्रैंडन मैकुलम न्यूजीलैंड की टीम को पहली बार फाइनल तक लेकर गए थे। इसके बाद मैकुलम ने संन्यास लिया और टीम की कमान विलियमसन को सौंपी गई। विलिमसन अब तक 75 वनडे मैचों में न्यूजीलैंड की कप्तानी कर चुके हैं। जिसमें उन्होंने 40 में जीत दिलाई, जबकि 32 हारे हैं। एक मैच टाई और दो परिणाम रहित रहे। टाई और एक परिणाम रहित मैच इस विश्व कप में ही हुआ था। वहीं, विश्व कप में उनकी कप्तानी में न्यूजीलैंड ने 11 मैचों में छह जीते, चार हारे और एक मैच रद रहा।


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