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Exclusive: सुप्रीम कोर्ट की नियुक्ति वाली COA भी नहीं रोक पा रही हितों का टकराव, जानिए क्या है मामला?

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त क्रिकेट प्रशासकों की समिति (सीओए) की आंख के नीचे ही हितों के टकराव का खेल चल रहा है।

By Pradeep SehgalEdited By: Published: Mon, 18 Dec 2017 05:07 PM (IST)Updated: Tue, 19 Dec 2017 10:42 AM (IST)
Exclusive: सुप्रीम कोर्ट की नियुक्ति वाली COA भी नहीं रोक पा रही हितों का टकराव, जानिए क्या है मामला?
Exclusive: सुप्रीम कोर्ट की नियुक्ति वाली COA भी नहीं रोक पा रही हितों का टकराव, जानिए क्या है मामला?

नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। हितों के टकराव के खिलाफ खड़े होने का दावा करने वाली सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त क्रिकेट प्रशासकों की समिति (सीओए) की आंख के नीचे ही हितों के टकराव का खेल चल रहा है। बिना जरूरी प्रक्रिया के जिन आशीष कौशिक को 1.6 करोड़ रुपये प्रति वर्ष पर बेंगलुरु स्थित नेशनल क्रिकेट अकादमी (एनसीए) का मुख्य फिजियो रखा गया वह एनसीए में आने वाले क्रिकेटरों को वाईओएस हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड में इलाज के लिए रेफर करते हैं। इससे वाईओएस को मोटी कमाई होती है, लेकिन एनसीए के मुख्य फिजियो आशीष बेंगलुरु स्थित वाईओएस हेल्थकेयर के निदेशक हैं। यानि वह बीसीसीआइ से तो धन कमा ही रहे हैं, साथ ही एनसीए में आने वाले भारतीय क्रिकेटरों को अपने ही हेल्थकेयर में भेजकर अलग से कमाई कर रहे हैं। उन्होंने इसको लेकर बीसीसीआइ से कोई अनुमति भी नहीं ली है। दैनिक जागरण के पास मौजूद कागजातों के मुताबिक वाईओएस हेल्थकेयर के 55 फीसद शेयर आशीष के नाम हैं तो 40 फीसद श्रीकांत नारायणस्वामी और पांच फीसद राहुल पटवर्धन के नाम।

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युवराज, जयंत, मिताली और उमेश सहित कई खिलाड़ी हुए रेफर : एनसीए के कागजों के मुताबिक आशीष ने भारतीय क्रिकेटर जयंत यादव, केदार जाधव, अक्षर पटेल, उमेश यादव, मुहम्मद सिराज के अलावा भारतीय महिला टीम की कप्तान मिताली राज, शबनम गिल, हरमन कौर और मुंबई इंडियंस के खिलाड़ी क्रुणाल पांड्या को वाईओएस में इलाज के लिए रेफर किया। एनसीए में तैयारी करने वाले युवराज ने भी वाईओएस से इलाज कराया है। इसकी फोटो भी दैनिक जागरण के पास है। मंदीप सिंह, अंकुल रॉय, सलमान खान और आदित्य ठाकरे ने भी वाईओएस में इलाज कराया। इनके मामले में यह पता नहीं चला कि इन्हें आशीष ने रेफर किया या किसी और ने। मिताली, केदार, मंदीप, अंकुल व सिराज के इलाज के बिल बोर्ड को भेजे गए।

चयन में प्रक्रिया का पालन नहीं : बीसीसीआइ सूत्रों का कहना है कि सीओए के नजदीकी एक अधिकारी के कंधे में चोट है जिसके रीहैब के लिए वह मुंबई के अस्पताल में जाते थे। उनका इलाज आशीष ही करते थे और यहीं से आशीष को बीसीसीआइ से जोड़ने की कहानी शुरू हुई। इस साल 22 जुलाई को सीओए की बैठक के मिनट्स के मुताबिक बीसीसीआइ के सीईओ राहुल जौहरी ने आशीष के नाम का प्रस्ताव दिया और उनका चयन हो गया। सीओए के आने के बाद से बीसीसीआइ में हर नियुक्ति के लिए विज्ञापन दिया जाता है और उसके बाद साक्षात्कार होता है, लेकिन 1.6 करोड़ रुपये वार्षिक तनख्वाह वाले इस पद के लिए कोई विज्ञापन निकाला ही नहीं गया, क्योंकि विज्ञापन निकाला जाता तो कोई दूसरा भी रेस में आ सकता था। यही नहीं इस पद के लिए कोई साक्षात्कार नहीं हुआ। उससे बड़ी बात यह है कि जहां बीसीसीआइ के बाकी पदों पर कांट्रेक्ट के तौर पर नियुक्ति हुईं हैं वहीं आशीष को स्थायी नौकरी मिली है।

बीसीसीआइ के एक पदाधिकारी ने कहा कि अगर ऐसा है तो सीओए प्रमुख विनोद राय को इसकी जांच करनी चाहिए कि आखिर उनकी नाक के नीचे ऐसा कैसे हो गया। निश्चित तौर पर इस नियुक्ति में भ्रष्टाचार की बू आ रही है। क्या हितों का टकराव सिर्फ सुनील गावस्कर जैसे क्रिकेटरों और बीसीसीआइ के पदाधिकारियों तक ही सीमित है? इस मसले पर आशीष का पक्ष लेने के लिए उन्हें फोन और मैसेज किया गया, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया।

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