कल पाकिस्तान ने नहीं, एक पुराने दुश्मन ने दक्षिण अफ्रीका को हराया
चैंपियंस ट्रॉफी के मुकाबले में पाकिस्तान के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका गेंदबाज अच्छी गेंदबाजी कर रहे थे, लेकिन उनके पुराने दुश्मन ने उन्हें हार के मुंह में धकेल दिया।
नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। चैंपियंस ट्रॉफी का जुनून अपने चरम पर है। भारतीय दर्शकों और खेल प्रशंसकों के लिए पूल-बी का हर मैच महत्वपूर्ण है। इसी पूल में गुरुवार को भारत का मुकाबला श्रीलंका से है। लेकिन यहां हम बात बुधवार रात बर्मिंघम में दक्षिण अफ्रीका और पाकिस्तान के बीच खेले गए मुकाबले की कर रहे हैं। जिस पाकिस्तानी टीम को भारत ने बड़ी आसानी से हरा दिया था, उसी ने दक्षिण अफ्रीका जैसी मजबूत टीम को पटखनी दे दी। दरअसल दक्षिण अफ्रीकी टीम को पाकिस्तान ने नहीं, बल्कि उसके ही एक पुराने दुश्मन ने यह मैच हराया।
जी हां आप सही समझ रहे हैं। यह दुश्मन 'डकवर्थ लुईस नियम' या 'बारिश' है। बारिश के कारण इस नियम के तहत ही पाकिस्तान ने दक्षिण अफ्रीका को 19 रन से मात दी। टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने के लिए उतरी दक्षिण अफ्रीकी टीम ने निर्धारित 50 ओवर में 8 विकेट के नुकसान पर 219 रन बनाए थे। दक्षिण अफ्रीका की ओर से मिलर के अलावा कोई भी बल्लेबाज मिली हुई शुरुआत को आगे नहीं बढ़ा पाया। मिलर ने 75 रन की पारी खेली, जबकि डिकॉक (33), डू-प्लेसी (26), क्रिस मॉरिस (28) और रबाडा (26) को स्टार्ट मिला, जिसे वे भुना नहीं पाए।
दक्षिण अफ्रीका गेंदबाजी के लिए मैदान पर उतरा तो उसके सामने पाकिस्तानी बल्लेबाजों को रोकने के लिए बहुत बड़ा स्कोर नहीं था। फिर भी उसके गेंदबाजों ने अच्छा प्रदर्शन किया। पाकिस्तान के तीन विकेट 93 के स्कोर पर पवेलियन लौट चुके थे। स्कोर अभी 119 रन ही पहुंचा था, जबकि 27 ओवर का खेल हो चुका था। बारिश ने मैच में खलल डाला और अच्छी स्थिति में दिख रही दक्षिण अफ्रीका की टीम को उनके पुराने दुश्मन 'डकवर्थ लुईस नियम' ने हार के मुंह में धकेल दिया।
बर्मिंघम ने पहले भी दिया हार का घाव
साल 1999 का वर्ल्ड कप इंग्लैंड में खेला गया था। इस वर्ल्ड कप में दक्षिण अफ्रीका की टीम शानदार तरीके से आगे बढ़ रही थी। हर कोई उसे विश्वकप का प्रबल दावेदार मान रहा था। गैरी क्रिश्चन, हर्सेल गिब्स, हैन्सी क्रोन्ये, जैक कालिस, जॉन्टी रोड्स, शौन पॉलक, लांस क्लूजनर और एलन डोनाल्ड जैसे एक से बढ़कर एक खिलाडियों से सजी यह टीम जब सेमीफाइनल में पहुंची तो हर किसी को भरोसा हो चला था कि अब यही टीम विश्वकप की ट्रॉफी को उठाएगी। 17 जून 1999 को खेले गए सेमीफाइनल मुकाबले में बर्मिंघम के एजबेस्टन मैदान को उस दिन दक्षिण अफ्रीका की जीत गंवारा नहीं थी।
दक्षिण अफ्रीका के कप्तान हैन्सी क्रोन्ये ने टॉस जीतकर पहले फील्डिंग का फैसला किया। ऑस्ट्रेलियाई टीम पूरे 50 ओवर भी नहीं खेल पायी। ऑस्ट्रेलिया की टीम 49.2 ओवर में 213 रन बनाकर ऑलआउट हो गई थी। अब बारी दक्षिण अफ्रीका की थी कि वह स्टीव वॉ की इस टीम को हराकर फाइनल में प्रवेश करे। लेकिन दक्षिण अफ्रीका की टीम भी 49.4 ओवर में 213 रन पर ऑल आउट हो गई। दोनों टीमों के बीच मुकाबला टाई हो चुका था। लीग स्टेज में अच्छा प्रदर्शन करने की वजह से ऑस्ट्रेलियाई टीम फाइनल में पहुंच गई और दक्षिण अफ्रीका को निराशा हाथ लगी।
1992 में 1 गेंद पर 21 रन की चुनौती
प्रतिबंध झेलने के बाद दक्षिण अफ्रीका की टीम पहली बार किसी क्रिकेट विश्वकप में भाग ले रही थी। दक्षिण अफ्रीका ने टॉस जीता और गेंदबाजी चुनी। बारिश के कारण यह मैच 45 ओवर का हुआ और इंग्लैंड ने निर्धारित 45 ओवर में 6 विकेट पर 252 बनाए। दक्षिण अफ्रीकी टीम को 45 ओवर में जीत के लिए 253 रन की दरकार थी। टीम जीत की तरफ बढ़ रही थी। स्कोर 42.5 ओवर में 6 विकेट के नुकसान पर 231 रन पहुंच चुका था। अब 13 गेंद में टीम को 22 रनों की जरूरत थी। तभी बारिश ने खेल में दखल दिया और 12 मिनट बर्बाद हो गए।
इसके बाद दक्षिण अफ्रीका को एक ऐसा लक्ष्य दिया, जिसे किसी भी तरह के क्रिकेट में हासिल नहीं किया जा सकता। अब दो ओवर का खेल कम कर दिया गया और कुल लक्ष्य में से 1 रन कम किया गया। यानी बारिश के बाद जब दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज फिर से मैदान पर उतरे तो उन्हें सिर्फ 1 गेंद पर 21 रन की जरूरत थी। जाहिर है यह लक्ष्य मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था और बारिश दक्षिण अफ्रीकी टीम के लिए दुश्मन साबित हुई।
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