शुरू हुआ क्रिकेट का 'टैलेंट हंट', निकलेंगे एक से बढ़कर एक धुरंधर
आजकल हर जगह टैलेंट हंट का शोर है। ऐसे में करोड़ों लोगों के प्रिय खेल क्रिकेट की बात हो तो इसमें टैलेंट हंट क्यों नहीं।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। आजकल हर जगह टैलेंट हंट का शोर है। ऐसे में करोड़ों लोगों के प्रिय खेल क्रिकेट की बात हो तो इसमें टैलेंट हंट क्यों नहीं। क्रिकेट के लिए टैलेंट हंट होगा तो जाहिर बात है वह मैदान पर चौके-छक्कों और विकेटों की झड़ी के साथ ही होगा। अंडर 19 क्रिकेट विश्वकप ऐसा ही टैलेंट हंट है। शनिवार से न्यूजीलैंड में शुरू हो गया है।
पहले मुकाबले में अफगानिस्तान ने पड़ोसी देश और दो बार के चैंपियन पाकिस्तान को 5 विकेट से मात दे दी। दूसरे मुकाबले में मेजबान न्यूजीलैंड का मुकाबला पिछली बार की चैंपियन वेस्ट इंडीज था। इस मैच में न्यूजीलैंड ने वेस्ट इंडीज को 8 विकेट से हराकर अपने अभियान की शानदार शुरुआत की।
भारतीय टीम के कोच और महान बल्लेबाज राहुल द्रविड़ के अनुसार अंडर 19 में खेल रहे खिलाड़ी भाग्यशाली हैं, जो उन्हें यह मौका मिल रहा है। टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने भी पृथ्वी शॉ की कप्तानी में न्यूजीलैंड पहुंची टीम इंडिया को भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी हैं।
सीनियर टीम में जगह बनाने का मौका
दरअसल पिछले कुछ सालों में अंडर 19 क्रिकेट विश्वकप का महत्व काफी बढ़ गया है। एक तरह से इस ट्रॉफी को सीनियर टीम में जगह बनाने की सीढ़ी के तौर पर भी देखा जाता है। पिछले कुछ सालों के दौरान जिस तरह से अंडर 19 में शानदार प्रदर्शन करके खिलाड़ी सीनियर टीमों में जगह बनाने में सफल रहे हैं उससे इस चैंपियनशिप को लेकर उम्मीदें और परवान चढ़ती हैं।
1988- मोंगिया, राजू और हिरवानी को मिली टीम इंडिया में एंट्री
बात 1988 के पहले यूथ क्रिकेट वर्ल्ड कप की बात करें तो उस समय इस जूनियर टीम इंडिया का हिस्सा रहे नयन मोंगिया, वेंकटपति राजू और नरेंद्र हिरवानी कई सालों तक टीम इंडिया का हिस्सा रहे। इन खिलाड़ियों ने कई सालों तक भारतीय क्रिकेट की सेवा की। इसके बाद अगले 10 साल तक यह सीरीज नहीं खेली गई। यही कारण है कि राहुल द्रविड मौजूदा टीम को भाग्यशाली बताते हुए कहते हैं कि उन्हें इसमें खेलने का मौका नहीं मिला।
1998- वीरेंद्र सहवाग और हरभजन सिंह रहे खोज
इस अंडर 19 विश्व कप से भारतीय टीम को वीरेंद्र सहवाग जैसा विस्फोटक बल्लेबाज और टर्बनेटर नाम से मशहूर हरभजन सिंह मिले, जिन्होंने लंबे वक्त तक अपनी बलखाती गेंदों से बल्लेबाजों को परेशान रखा। यही नहीं इस वर्ल्ड कप में भारत की तरफ से रतिंदर सिंह सोढ़ी और मोहम्मद कैफ भी खेले, जो बाद में सीनीयर टीम का हिस्सा रहे।
2000- टीम इंडिया को मिला युवराज
यह पहला मौका था जब भारत की जूनियर टीम ने विश्व कप पर कब्जा जमाया था। भारत ने फाइनल में श्रीलंका को हराकर पहली बार अंडर 19 विश्वकप अपने नाम किया। इस टीम की कमान मोहम्मद कैफ संभाल रहे थे, जबकि इस चैंपियनशिप से भारतीय क्रिकेट को जो दूसरा बड़ा नाम मिला वह युवराज सिंह थे। हालांकि इस टीम का हिस्सा रहे अजय रात्रा और वेणुगोपाल राव भी समय-समय पर सीनियर टीम का हिस्सा रहे।
2002- हरफनमौला इरफान पठान की हुई एंट्री
इस अंडर 19 विश्वकप से टीम इंडिया को इरफान पठान के रूप में एक बेहतरीन ऑलराउंडर मिला। आने वाले कई सालों तक इरफान टीम के साथ जुड़े रहे और अपनी गेंदबाजी व बल्लेबाजी से विरोधी टीमों के लिए मुसीबत खड़ी करते रहे। इसी चैंपियनशिप से भारतीय टीम विकेटकीपर पार्थिव पटेल भी मिले, जो बाद में लंबे समय तक टीम इंडिया से जुड़े रहे। इस वर्ल्ड कप में खेले स्टुअर्ट बिन्नी भी कुछ समय के लिए सीनियर टीम में जगह बनाने में सफल रहे।
2004- सुरेश रैना और शिखर ने बनाई पहचान
इस अंडर 19 विश्वकप से शिखर धवन और सुरेश रैना ने अपनी पहचान बनाई। इनके अलावा अंबाती रायडू, दिनेश कार्तिक, आरपी सिंह, वीआरवी सिंह और रोबिन उथप्पा भी इस टीम का हिस्सा थे। शिखर धवन और दिनेश कार्तिक तो अब भी टीम इंडिया का हिस्सा हैं, जबकि सुरेश रैना लंबे समय तक टीम के अहम अंग थे, हालांकि पिछले काफी समय से वह सीनियर टीम से बाहर हैं। रोबिन उथप्पा, वीआरवी सिंह और अंबाती रायडू भी टीम में समय-समय पर जगह बनाते रहे हैं।
2006- हिटमैन और पुजारा की हुई एंट्री
इस अंडर 19 विश्व कप में खेल चुके चेतेश्वर पुजारा और हिटमैन नाम से मशहूर हो चुके रोहित शर्मा आज भी अपनी बल्लेबाजी से टीम इंडिया को मजबूती दे रहे हैं। रविंद्र जडेजा भी इस टीम का हिस्सा थे और वह लंबे समय तक दुनिया के नंबर एक ऑलराउंडर भी रहे हैं। कभी टीम इंडिया का हिस्सा रहे पीयूष चावला ने भी अंडर 19 से ही पहचान बनाई थी।
2008- भारत के लिए 'विराट' साबित हुआ यह वर्ल्ड कप
साल 2008 का अंडर 19 विश्वकप भारत के लिए खास रहा। इस साल टीम ने दूसरी बार विश्वकप पर कब्जा जमाया। इस टीम के कप्तान रहे विराट कोहली आज टीम इंडिया की कमान मजबूती से संभाले हुए हैं और दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में शुमार हैं। रविंद्र जडेजा भी इस टीम का हिस्सा थे। इनके अलावा टीम इंडिया से खेल चुके अभिनव मुकुंद, मनीष पांडेय, प्रदीप सांगवान और सौरभ तिवारी भी कोहली की इस 'विराट' टीम का हिस्सा थे।
2010- विराट की कप्तानी में पिछला विश्वकप जीत चुकी भारत की इस जूनियर टीम पर जबरदस्त दबाव था। लेकिन यह साल टीम इंडिया के लिए अच्छा नहीं रहा। इस टीम का हिस्सा रहे लोकेश राहुल आज टीम इंडिया का अहम हिस्सा हैं, जबकि जयदेव उनादकत भी टीम में जगह बनाते रहते हैं।
2012- उन्मुक्त चंद हीरो बने
इस साल भारत ने तीसरी बार वर्ल्ड कप पर कब्जा जमाया। इस विश्वकप के सबसे बड़े हीरो के रूप में उभरे इस टीम के कप्तान उन्मुक्त चंद। उन्हें टीम इंडिया में भी मौका मिला, लेकिन वे अपनी उस फॉर्म को बरकरार नहीं रख पाए। बाद में वह टीम से ड्रॉप हो गए।
2014- कुलदीप यादव और श्रयेश अय्यर ने बनाई पहचान
इस टीम के हिस्सा रहे कुलदीप यादव और श्रयेश अय्यर मौजूदा टीम इंडिया का हिस्सा हैं। कुलदीप यादव ने अपनी चायनामैन गेंदबाजी से कई मैचों का पांसा पलटा है, जबकि श्रयेश अय्यर भी अपनी बल्लेबाजी से टीम में लगातार अपनी जगह मजबूत करते जा रहे हैं। इनके अलावा टीम संजू सैमसन और दीपक हुडा भी इसी टीम का हिस्सा थे।
2016- ऋषभ पंत ने सबको मुग्ध किया
साल 2016 में खेले गए पिछले अंडर 19 विश्वकप में ऋषभ पंत ने अपनी आतिशी पारियों की बदौलत सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। देखते ही देखते ऋषभ युवाओं के नए हीरो के रूप में उभरने लगे। गई जानकार उन्हें आने वाले वक्त में महेंद्र सिंह धौनी के विकल्प के तौर पर भी देखने लगे। उन्हें सीनियर टीम में कई मौके भी मिले, लेकिन वे अब तक उन मौकों को भुनाने में नाकाम रहे हैं। हालांकि जानकारों का यह भी मानना है कि अभी ऋषभ के पास काफी वक्त है और धौनी के संन्यास के बाद वह टीम में उनकी कमी नहीं खलने देंगे। इसी वर्ल्डकप टीम के कप्तान इशान किशन ने भी खासा नाम कमाया। वाशिंगटन सुंदर भी लगातार सीनियर टीम में जगह बनाने की जुगत में लगे हुए हैं।
1988 से अब तक 11 अंडर 19 विश्वकप हो चुके हैं। इस चैंपियनशिप का क्या महत्व है उसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि दुनिया के तमाम बड़े-बड़े खिलाड़ी इस चैंपियनशिप में खेल चुके हैं। टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली, ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव स्मिथ, न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियमसन, पाकिस्तानी कप्तान सरफराज अहमद और श्रीलंका के कप्तान थिसारा परेरा भी अंडर 19 वर्ल्डकप में खेल चुके हैं।
ये हैं वे खिलाड़ी जो अलग-अलग अंडर 19 वर्ल्डकप से निकले हैं
1988- इंजमाम उल हक, मुस्ताक अहमद (पाकिस्तान), नासिर हुसैन, मार्क रामप्रकाश (इंग्लैंड), अमिनुल इस्लाम (बांग्लादेश), क्रिस केर्न्स (न्यूजीलैंड), सनथ जयसूर्या, रोमेश कालूवितर्णा (श्रीलंका), ब्रायन लारा (वेस्ट इंडीज)
1998- क्रिस गेल, डैरेन गंगा, मार्लन सैमुअल्स, रामनरेश सरवन (वेस्ट इंडीज), अब्दुल रज्जाक, सईद अनवर, शोएब मलिक (पाकिस्तान), चमारा सिल्वा (श्रीलंका), लू विंसेंट, काइल मिल्स, हैमिश मार्शल (न्यूजीलैंड)
2000- इयान बेल (इंग्लैंड), हैमिल्टन मसाकाद्जा, टटैंडा टायबू (जिम्बाब्वे), मोहम्मद अशरफुल (बांग्लादेश), ब्रैंडन मैक्कुलम (न्यूजीलैंड), इमरान नजीर, मोहम्मद सामी, यासिर अराफात (पाकिस्तान), योहान बोधा, एल्बी मोर्केल, ग्रीम स्मिथ (दक्षिण अफ्रीका), माइकल क्लार्क, मिचेल जॉनसन, शौन मार्श, शेन वाटसन (ऑस्ट्रेलिया)
2002- कैमरून व्हाइट, जॉर्ज बेली (ऑस्ट्रेलिया), रॉस टेलर (न्यूजीलैंड), सलमान बट, उमर गुल (पाकिस्तान), हासिम आमला (दक्षिण अफ्रीका), धम्मिका प्रसाद (श्रीलंका), ड्वेन ब्रावो, रवि रामपॉल, डैरेन सैमी (वेस्ट इंडीज)
2004- स्टीव ओ'कीफी (ऑस्ट्रेलिया), रवि बोपारा, एलिस्टर कुक, ल्यूक राइट (इंग्लैंड), फवाद आलम, वहाब रियाज (पाकिस्तान), फरवेज मारूफ, एंजेलो मैथ्यूज, कुशल सिल्वा, उपुल थरंगा (श्रीलंका), दिनेश रामदीन (वेस्ट इंडीज)
2006- आरोन फिंच, उस्मान ख्वाजा, डेविड वार्नर (ऑस्ट्रेलिया), मुस्फिकुर रहीम, शाकिब अल हसन, तमीम इकबाल (बांग्लादेश), मोईन अली (इंग्लैंड), मार्टिन गप्टिल, कोलिन मुनरो, टिम साउदी (न्यूजीलैंज), सरफराज अहमद (पाकिस्तान), वेन पार्नेल (दक्षिण अफ्रीका), केमार रोच (वेस्ट इंडीज)
2008- फिलिप ह्यूजेस, स्टीव स्मिथ (ऑस्ट्रेलिया), रुबेल हुसैन (बांग्लादेश), केन विलियमसन, कोरे एंडरसन (न्यूजीलैंड), उमर अकमल (पाकिस्तान), दिनेश चांडीमल, थिसारा परेरा (श्रीलंका), कायरन पॉवेल (वेस्ट इंडीज)
2010- जोस बटलर, जो रूट, बेन स्टोक्स (इंग्लैंड), मिचैल मार्श, एडम जम्पा (ऑस्ट्रेलिया), टॉम लैथम (न्यूजीलैंड), बाबर आजम (पाकिस्तान)
2012- ट्रैविस हेड (ऑस्ट्रेलिया), क्रैग ब्रैथवेट (वेस्ट इंडीज), क्विंटन डी कॉक (दक्षिण अफ्रीका)
2014- कुसल मेंडिस (श्रीलंका)
2016- पिछले विश्वकप में खेले ज्यादातर खिलाड़ियों को अभी अपनी-अपनी राष्ट्रीय टीमों में जगह नहीं मिली है, लेकिन जल्द ही उनमें से कई खिलाड़ी कई टीमों में खेलते नजर आएंगे।