कुलदीप यादव के नाम दर्ज़ है एक ऐसा काम, जो दुनिया में नहीं कर सका है कोई
पिछले कुछ वर्षो से भारतीय टीम में स्पिनर के तौर पर अश्विन और जडेजा का राज चल रहा था।
इंदौर, अभिषेक त्रिपाठी। कुलदीप यादव एक ऐसी प्रतिभा है जिसे सिर्फ मौका मिलने का इंतजार रहता है। जैसे ही मौका मिलता है वह दुनिया पर छा जाता है। वह चाहे सैयद मुश्ताक ट्रॉफी हो या विजय हजारे ट्रॉफी मैच। चाहे उनका पहला टेस्ट मैच हो या पहला वनडे। जब भी, जहां भी इस चाइनामैन गेंदबाज को मौका मिला उन्होंने खुद को साबित किया। कोलकाता के ईडन गार्डेंस में रविवार को दूसरे वनडे में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिली हैट्रिक ने तो उन्हें 1 एक पायदान और ऊंचा कर दिया है।
इस साल वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने दूसरे ही वनडे में कुलदीप ने तीन विकेट लिए थे और तब मैंने लिखा था कि यह गेंदबाज 2019 विश्व कप के लिए भारतीय टीम की योजना का हिस्सा होगा। यह बिल्कुल सही साबित हो रहा है। इंदौर के होल्कर स्टेडियम में होने वाले सीरीज के तीसरे मुकाबले में भी उनसे टीम इंडिया को बहुत उम्मीदें होंगी। अगर मेजबान को यहीं पर सीरीज अपने नाम करनी है तो उन्हें अच्छा प्रदर्शन करना होगा।
विराट कोहली ने भले ही श्रीलंका दौरे पर कुलदीप को रोटेशन की तरह इस्तेमाल किया, पर वर्तमान सीरीज में अक्षर पटेल के चोटिल होने के कारण शुरुआती दो मैचों में रोटेशन का सवाल ही नहीं उठता था। इसका मौका उठाते हुए कुलदीप ने पहले मैच में दो व दूसरे में हैट्रिक लेकर साबित कर दिया कि उनका विकल्प कोई नहीं और उन्हें टीम में स्थायी जगह मिलनी चाहिए।
सधी हुई शुरुआत : 2004-05 में कानपुर के ऊबड़-खाबड़ मैदान पर क्रिकेट का ककहरा शुरू करने वाला छोटा बच्चा अब 22 वर्ष की उम्र में भारतीय वनडे, टी-20 व टेस्ट टीम का सदस्य बन गया है। उत्तर प्रदेश अंडर-19 टीम, भारतीय अंडर-19 टीम, उत्तर प्रदेश रणजी टीम, मध्य जोन, मुंबई इंडियंस और कोलकाता नाइटराइडर्स में शामिल होने के बाद इसी साल उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट कैप मिली थी, जिसमें उन्होंने पहली पारी में ही चार विकेट लेकर खुद को साबित किया था।
धर्मशाला टेस्ट में जब ऑस्ट्रेलिया 144/1 स्कोर पर पहुंच गया था तब कोहली की अनुपस्थिति में कप्तानी करने उतरे अजिंक्य रहाणे ने कुलदीप को गेंद थमाई और उन्होंने चार विकेट लेकर मैच का पासा पलट दिया। उन्हें इस मौके की लंबे समय से तलाश थी, लेकिन उन्हें रविचंद्रन अश्विन, रवींद्र जडेजा के अलावा अक्षर, जयंत यादव और अमित मिश्रा की वजह से इंतजार करना पड़ा। तब भारत को सीरीज जीतने के लिए यह मैच जीतना जरूरी था और इसीलिए कुलदीप को सरप्राइज पैकेज के तौर पर शामिल किया गया। क्योंकि ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को उन्हें खेलने का अनुभव नहीं था। ऐसा हुआ भी और उनकी बदौलत भारत ने सीरीज जीत ली। हालांकि इसके बाद उन्हें वनडे और टी-20 में मौका नहीं मिला। चैंपियंस ट्रॉफी में भी उनका चयन नहीं हुआ।
वेस्टइंडीज दौरे पर उन्हें मौका दिया, लेकिन पहले वनडे में बारिश के कारण वह गेंदबाजी नहीं कर सके। दूसरे वनडे में उन्होंने नौ ओवर में 50 रन देकर तीन विकेट लिए जिसके बाद कोहली ने भी उनकी जमकर तारीफ की। निश्चिततौर पर अब भारतीय प्रबंधन को 2019 में इंग्लैंड में होने वाले विश्व कप के लिए कुलदीप को अपनी योजना में शामिल करना चाहिए, क्योंकि वह हर परिस्थितियों में गेंद को घुमाने वाले गेंदबाज हैं।
क्यों हैं खतरनाक : कुलदीप को 2014 में वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे सीरीज में शामिल किया गया था, लेकिन उन्हें एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला। एक समय ऐसा भी आया जब वह कुछ निराश रहने लगे, लेकिन इस साल उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में शामिल किया गया और जैसे ही मौका मिला वह छा गए। अब तो ऑस्ट्रेलियाई टीम को भी सबसे ज्यादा डर कुलदीप की गेंदबाजी से लग रहा होगा। स्टीव स्मिथ भी स्वीकार कर चुके हैं और दो मैच में यह नजर भी आया है। पिछले कुछ वर्षो से भारतीय टीम में स्पिनर के तौर पर अश्विन और जडेजा का राज चल रहा था। अश्विन ऑफ स्पिन कराते हैं तो जडेजा बायें हाथ से स्पिन करते हैं, जबकि कुलदीप बायें हाथ से गेंद को दोनों तरफ घुमा लेते हैं।
अंडर-19 विश्व कप में ली हैट्रिक : कुलदीप वनडे क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हैट्रिक लेने वाले पहले भारतीय स्पिनर बने। वह जब 17 साल के थे तब उनका अंडर-19 विश्व कप में खेलना तय माना जा रहा था, पर उन्हें जगह नहीं मिली। दो साल बाद उन्हें इस टूर्नामेंट में खेलने का मौका मिला और उन्होंने स्कॉटलैंड के खिलाफ हैट्रिक ली। वह ऐसा करने वाले दुनिया के एकमात्र गेंदबाज हैं।