धवन की चोट से ज़्यादा इस खिलाड़ी ने बढ़ा दी भारतीय टीम की चिंता, अब क्या करेंगे कोहली?
इस साल चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पाकिस्तानी तेज गेंदबाज मुहम्मद आमेर के सामने विराट की बोलती बंद हो गई थी।
नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। विराट कोहली के कप्तान बनने के बाद भारतीय क्रिकेट टीम अपने सबसे मुश्किल दौरे के लिए कूच कर गई है। भारत आज तक दक्षिण अफ्रीका में कोई टेस्ट सीरीज नहीं जीत पाया है और उसकी सबसे बड़ी वजह उसके बल्लेबाजों का समय पर रन नहीं बना पाना रहा है। इस दौरे पर रवाना होने से पहले ही शिखर धवन की चोट ने विराट कोहली को टेंशन दे दी है। इसके साथ ही साथ एक चिंता और है जो विराट कोहली को पहले से ही सता रही है और वो है अजिंक्य रहाणे की खराब फॉर्म।
द. अफ्रीका दौरे पर भारतीय टीम तभी जीत पाएगी जब उसके बल्लेबाज बड़ा स्कोर कर पाएंगे। हर पारी में कम से कम दो बल्लेबाजों को क्रीज पर डटना होगा और 300 से 350 तक का स्कोर खड़ा करना होगा। अगर कागजों पर देखें तो इस बार भी भारतीय बल्लेबाजी मजबूत नजर आ रही है लेकिन अजिंक्य रहाणे की फॉर्म टीम मैनेजमेंट के लिए चिंता का सबब हो सकती है।
सब कर रहे हैं रहाणे का बचाव
कप्तान विराट कोहली से लेकर कोच रवि शास्त्री तक ने रहाणे की फॉर्म का बचाव किया है और उन्हें उम्मीद है कि इस दायें हाथ के बल्लेबाज का बल्ला दक्षिण अफ्रीका में गरजेगा लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो टीम की हालत खराब हो सकती है। भारतीय टीम को पांच जनवरी से वहां तीन टेस्ट मैचों की सीरीज खेलनी है। 43 टेस्ट मैचों में 44.15 के औसत से 2826 रन बनाने वाले रहाणे पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरते हैं। वह पिछले चार टेस्ट की छह पारियों में बड़ी पारी नहीं खेल पाए हैं। उन्होंने पिछली छह पारियों में 10, 01, 02, 00, 04, 17 का स्कोर बनाया है। उन्होंने अगस्त की शुरुआत में श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो में 132 रनों की पारी खेली थी। इसके बाद से वह टेस्ट में एक अर्धशतक भी नहीं जमा पाए हैं।
पुजारा और रहाणे पर होगा भार
दक्षिण अफ्रीका में अगर भारत को तेज पिचें मिलती हैं तो डेल स्टेन, कैगिसो रबादा, वर्नोन फिलेंडर और मोर्नी मोर्केल जैसे तेज गेंदबाजों को झेलने के लिए चेतेश्वर पुजारा और रहाणे को ही सामने आना होगा। ऐसे में रहाणे पर जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ जाती है। ये दोनों ही बल्लेबाज स्विंग और तेजी के सामने बेहतर खेलते हैं। दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट में सुबह गेंद बाउंस के साथ स्विंग करती है। ऐसे में सलामी बल्लेबाजों शिखर धवन और मुरली विजय के साथ कप्तान कोहली को भी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। धवन और कोहली हिलती हुई गेंदों के सामने असहज महसूस करते हैं। अच्छे गेंदबाजों के सामने कोहली का बल्ला भी मुरझा सा जाता है। इस साल चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पाकिस्तानी तेज गेंदबाज मुहम्मद आमेर के सामने विराट की बोलती बंद हो गई थी।
निचले क्रम को दिखाना होगा दम
पिछले दो साल में भारतीय टीम ने अधिकतर टेस्ट भारतीय उपमहाद्वीप में खेले हैं जिसमें ऊपरी क्रम के नहीं चलने पर विकेटकीपर ऋद्धिमान साहा और रविचंद्रन अश्विन, रवींद्र जडेजा व जयंत यादव जैसे गेंदबाजों ने भी कई मौकों पर भारतीय पारी को बचाया। ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में इन्होंने कमाल का प्रदर्शन किया। साहा, अश्विन और जडेजा दक्षिण अफ्रीका में होंगे लेकिन क्या वे भारत की तरह वहां भी बल्ले से अच्छा प्रदर्शन कर पाएंगे? निश्चित तौर पर इस पर शक होगा।
खास बात यह है कि वहां की परिस्थितियों के मुताबिक अश्विन और जडेजा में से किसी एक को ही अंतिम एकादश में खेलने का मौका मिलेगा। ऐसे में मोहम्मद शमी, उमेश यादव, इशांत शर्मा और जसप्रीत बुमराह जैसे कच्चे बल्लेबाजों से रनों की उम्मीद करना बेईमानी होगी। भुवनेश्वर कुमार जरूर हाल में रन बनाते हुए दिखे हैं। हां, ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या को अगर अंतिम एकादश में मौका मिलता है तो उनसे बल्लेबाजी में मदद मिलेगी।