पहली बार गेंद से हुई सामूहिक छेड़छाड़, पूरी टीम के शामिल होने का मामला सामने आया
कभी किसी टीम ने यह कार्यक्रम योजनाबद्ध तरीके से सामूहिक रूप में नहीं किया।
अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। जेंटलमैन गेम के इतिहास में व्यक्तिगत तौर पर तो गेंद से कई बार छेड़छाड़ की गई लेकिन सामूहिक छेड़छाड़ का यह पहला मामला सामने आया है। 1977 में इंग्लैंड के जॉन लीवर हों, या 1992 में पाकिस्तान के वकार यूनुस व वसीम अकरम, 1994 में इंग्लैंड के कप्तान माइकल अथर्टन हों या 2001 में भारत के सचिन तेंदुलकर, कभी पूरी टीम बॉल टेंपरिंग में शामिल नहीं रही।
2001 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ गेंद से छेड़छाड़ के आरोप में सचिन सहित भारत के छह खिलाडि़यों को निलंबित किया गया था लेकिन सुबूतों के अभाव में सभी छूट गए थे। यही नहीं आइसीसी ने उल्टा मैच रेफरी के खिलाफ ही कार्रवाई की थी। बाद में सब बरी हो गए थे और सचिन ने कहा था कि वह गेंद की सीम से मिट्टी हटा रहे थे। इसके बाद शोएब अख्तर, शाहिद अफरीदी, वर्नोन फिलेंडर और फाफ डु प्लेसिस भी गेंद से छेड़छाड़ करते पाए गए लेकिन कभी किसी टीम ने यह कार्यक्रम योजनाबद्ध तरीके से सामूहिक रूप में नहीं किया।
ऑस्ट्रेलिया ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीसरे टेस्ट में इसे सामूहिक तौर पर किया। इसमें सिर्फ गेंदबाज और मैदानी खिलाड़ी ही नहीं कप्तान, उपकप्तान, पवेलियन में बैठे खिलाड़ी और कोच तक शामिल थे। इसका पता ऐसे चलता है कि जब बेनक्राफ्ट का वीडियो मैदान में लगी स्क्रीन में चला तो कोच डारेन लेहमन ने पवेलियन में बैठे अतिरिक्त ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी से कहा कि वह वॉकी टॉकी से बाउंड्री के पास बैठे 12वें खिलाड़ी पीटर हैंड्सकांब से संपर्क करें।
इसके बाद घबराए बेनक्राफ्ट ने जेब में रखे पीले सैंडपेपर को पैंट के अंदर छुपाने की कोशिश की। इस क्षण को कैमरामैन ने उन्हें दोबारा कैद कर लिया और मामला पूरी तरह से खुल गया। ये बताता है कि यह गेंद से सामूहिक छेड़छाड़ थी और अपने तरह की पहली घटना है। यही कारण है कि आइसीसी की कमजोर सजा पर सवाल उठ रहे हैं।
मिंट, जिपर और दांत के बाद अब सैंडपेपर
अब तक मिंट, जिपर और दांत से गेंद से छेड़छाड़ की जाती थी, लेकिन अब इस कड़ी में सैंडपेपर (बालू लगा हुआ कागज) भी जुड़ गया है। प्रतिकूल परिस्थितियों में गेंद को रिवर्स स्विंग नहीं कराने की निराशा अंतरराष्ट्रीय टीम को बॉल टेंपरिंग के अजीब तरीके ढूंढ़ निकालने पर मजबूर कर रही है। गेंद से छेड़छाड़ सालों से जेंटलमैन गेम में होती आई है लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने नए तरीके को इजाद किया है।
पिछली सदी के सातवें दशक में सबसे पहली बार बॉल टेंपरिंग सामने आई, जब भारत के दौरे पर आई एमसीसी की टीम के इंग्लिश गेंदबाज जॉन लीवर पर भारतीय कप्तान बिशन सिंह बेदी ने गेंद पर वेसलीन लगाने का आरोप लगाया। इसके बाद ब्रिटिश मीडिया ने बेदी को निशाने पर लिया था। नियम पसीने और लार से गेंद को चमकाने की इजाजत देता है, लेकिन जब किसी कृत्रिम पदार्थ से ऐसा किया जाता है तो यह अपराध माना जाता है।
सन 2000 में वकार यूनुस बॉल टेंपरिंग में निलंबित होने वाले पहले क्रिकेटर बने। गेंद को एक ओर से मैदान पर बाउंस करना और सीम उधेड़ना एक साधारण से तरीके थे, लेकिन कुछ खिलाडि़यों ने बोतल के ढक्कन, ओपनर, पैंट की जिप, लिप बाम, हेयर जेल और सैंडपेपर का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।
अगर दोबारा 1994 में जाएं, तो इंग्लैंड के कप्तान माइकल अथर्टन कैमरे में जेब में रखी मिट्टी से गेंद को रगड़ते हुए पकड़े गए थे। बाद में अथर्टन ने कहा था कि उन्होंने अपने हाथों को सूखा रखने के लिए जेब में मिट्टी रखी थी। बावजूद इसके उन पर जुर्माना लगा था। वहीं कुछ खिलाड़ी संन्यास के बाद बॉल टेंपरिंग को स्वीकार करते हैं जैसा कि इंग्लैंड के पूर्व ओपनर मार्क्स ट्रेस्कोथिक के साथ हुआ, जिन्होंने अपनी किताब में खुलासा किया कि उन्होंने 2005 एशेज सीरीज के दौरान गेंद को चमक देने के लिए मिंट की लार का इस्तेमाल किया था। ट्रेस्कोथिक ने लिखा था कि मर्रे मिंट्स ने वाकई शानदार काम किया।
साल 2010 में पूर्व पाकिस्तानी कप्तान शाहिद अफरीदी ने गेंद को बॉल टेंपर करने का नया तरीका निकाला। वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 मुकाबले के दौरान गेंद की सीम को मुंह से काटते दिखे। जिसके बाद उन पर दो मैचों का प्रतिबंध लगा। अफरीदी ने कहा था कि वह गेंद को सिर्फ सूंघने का प्रयास कर रहे थे। वहीं दक्षिण अफ्रीका के मौजूदा कप्तान फाफ डु प्लेसिस कई बार बॉल टेंपरिंग करते पकड़े गए हैं। सबसे पहले 2013 में वह दुबई में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट में गेंद को अपनी पैंट की जिप से रगड़ते हुए कैमरे में पकड़े गए थे। इसके तीन साल बाद वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिंट की लार से गेंद को चमकाते मिले, जिसके बाद उन पर मैच फीस की कटौती का जुर्माना लगा था।