'मैन ऑफ द सीरीज' बने 18 वर्ष के पृथ्वी शॉ पर आगे असली इम्तिहान बाकी
पृथ्वी शॉ को मैन ऑफ द सीरीज चुना गया।
नई दिल्ली, जेएनएन। 18 वर्ष की उम्र में भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करने वाले बल्लेबाज पृथ्वी शॉ के लिए इससे बेहतर शुरुआत और क्या हो सकती थी। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के अपने पदार्पण टेस्ट सीरीज में ही पृथ्वी ने अपने प्रदर्शन के बूते 'मैन ऑफ द सीरीज का खिताब' अपने नाम कर लिया। वेस्टइंडीज के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की सीरीज में पृथ्वी ने अपनी बल्लेबाजी से जता दिया कि वो भारत के लिए लंबी रेस का घोड़ा साबित हो सकते हैं। हालांकि अभी आगे उनका इम्तिहान अभी बाकी है।
मैन ऑफ द सीरीज बने पृथ्वी
भारतीय ओपनर बल्लेबाज पृथ्वी शॉ ने वेस्टइंडीज के खिलाफ दो टेस्ट मैच की तीन पारियों में 118.50 की औसत से 237 रन बनाए। इसमें एक शतक और एक अर्धशतक शामिल था। उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले टेस्ट यानी अपने डेब्यू टेस्ट मैच की पहली ही पारी में 134 रन की पारी खेली थी और इस मैच में भारतीय टीम को पारी व 272 रन से जीत मिली थी। इसके बाद दूसरे टेस्ट मैच की पहली पारी में पृथ्वी ने तूफानी 70 रन बनाए जबकि दूसरी पारी में 33 रन बनाकर नाबाद रहे। एक युवा खिलाड़ी के लिए इससे अच्छी शुरुआत शायद ही हो सकती है। वेस्टइंडीज के खिलाफ भारत की तरफ से भारत में पिछले तीन टेस्ट सीरीज में तीन पदार्पण करने वाले खिलाड़ियों ने मैन ऑफ द सीरीज का खिताब अपने नाम किया। वर्ष 2011 में आर अश्विन, वर्ष 2013 में रोहित शर्मा और वर्ष 2018 में पृथ्वी शॉ ने ये कमाल किया। भारत की तरफ से इन तीनों के अलावा पूर्व कप्तान सौरव गांगुली भी अपने डेब्यू टेस्ट सीरीज में मैन ऑफ द सीरीज बने थे। गांगुली ने वर्ष 1996 में इंग्लैंड के खिलाफ ये कमाल किया था।
पृथ्वी का इम्तिहान बाकी
बेशक पृथ्वी को मैन ऑफ द सीरीज का खिताब मिला हो लेकिन एक सच ये भी है कि भारतीय टीम का सामना वेस्टइंडीज की बेहद कमजोर टीम के खिलाफ था। इंडीज टीम के गेंदबाज भी कुछ खास नहीं थे। हालांकि रन बनाना किसी भी टीम के खिलाफ अच्छी बात होती है और पृथ्वी के लिए सबसे अच्छी बात ये रही कि वो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के दबाव में नहीं दिखे और अपना नैचुरल गेम खेलते हुए रन बनाए। पर उनकी असली परीक्षा अभी बाकी है। भारत को वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे और टी 20 सीरीज के बाद ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाना है। अगर पृथ्वी को भारतीय टीम में जगह मिलती है तो ऑस्ट्रेलिया में उनपर अच्छे प्रदर्शन का दबाव होगा जहां भारतीय बल्लेबाजों की ज्यादा चलती नहीं है। ऐसे में अगर उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाने का मौका मिला तो वो वहां पर रन बनाकर साबित कर सकते हैं कि वो भारतीय टीम के लिए लंबी रेस को घोड़ा साबित हो सकते हैं। यानी पृथ्वी का असली इम्तिहान अभी बाकी है।