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Ind vs Ban: पहले ब्रैडमैन फिर सचिन और अब विराट..क्रिकेट रोशन है इन खिलाड़ियों से

Ind vs Ban विराट एकमात्र ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने वनडे टेस्ट और टी-20 तीनों प्रारूपों में 50 से ज्यादा के औसत से रन बनाए हैं।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sat, 23 Nov 2019 07:46 PM (IST)Updated: Sat, 23 Nov 2019 07:46 PM (IST)
Ind vs Ban: पहले ब्रैडमैन फिर सचिन और अब विराट..क्रिकेट रोशन है इन खिलाड़ियों से
Ind vs Ban: पहले ब्रैडमैन फिर सचिन और अब विराट..क्रिकेट रोशन है इन खिलाड़ियों से

अभिषेक त्रिपाठी, कोलकाता। डॉन ब्रैडमैन के नाम पर मैच के टिकट बिकते थे, डब्ल्यूजी ग्रेस जिस दिन बल्लेबाजी करने उतरते थे उस दिन के टिकट महंगे हो जाते थे, सचिन तेंदुलकर जब आउट होते थे तो टेलीविजन बंद कर दिए जाते थे और जब विराट शतक लगाते हैं तो लोगों का पैसा वसूल हो जाता है। वैसे तो क्रिकेट में बहुत सारे लीजेंड हुए हैं लेकिन आंकड़ों और दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करने में सचिन तेंदुलकर, डॉन ब्रैडमैन और विराट कोहली के आगे कोई नहीं ठहरता।

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कपिल देव, सुनील गावस्कर, राहुल द्रविड़, रिकी पोंटिंग, ब्रायन लारा, एलिस्टेयर कुक और स्टीव स्मिथ के योगदान को कम नहीं आंका जा सकता लेकिन विराट, ब्रैडमैन और सचिन ऐसे क्रिकेटर हैं जिनके नाम से ही लोग मैदान की ओर चले आते हैं या आते थे। इन तीनों की तकनीक, शतक जड़ने की क्षमता, बॉडी लैंग्वेज, व्यवहार, सौम्यता, आक्रामकता और मेहनत इन्हें महान खिलाड़ी की श्रेणी में खड़ा करती है।

जहां ब्रेडमैन को टेस्ट का महानतम बल्लेबाज कहा जाता है तो सचिन आधुनिक युग के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर, रिकॉर्डो के बादशाह और क्रिकेट के भगवान के साथ संपूर्ण क्रिकेटर रहे हैं। विराट कोहली ने सचिन के कई रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और कई तोड़ने की राह पर हैं। उन्होंने सफेद और लाल गेंद के बाद बांग्लादेश के खिलाफ शनिवार को ईडन गार्डेस मैदान पर गुलाबी गेंद से पहला टेस्ट मैच खेलते हुए उसमें भी शानदार शतक (136) लगाकर यह साबित कर दिया कि वर्तमान में उनसे बड़ा क्रिकेटर इस दुनिया में नहीं है और अगर वह ऐसे ही खेलते रहे तो उन्हें महानतम क्रिकेटरों की श्रेणी में सबसे आगे खड़े होने से कोई नहीं रोक सकता।

सचिन, ब्रैडमैन और विराट के खेल, कालखंड, विपक्षी गेंदबाज और स्टाइल में कोई समानता नहीं है क्योंकि जब ब्रैडमैन ने (18 अगस्त 1948) अपना आखिरी टेस्ट खेला तो सचिन पैदा भी नहीं हुए थे, जब सचिन रिटायर हुए (16 नवंबर 2013) तब तक विराट ने सिर्फ 20 टेस्ट खेले थे। 52 टेस्ट खेलने वाले ब्रैडमैन के समय वनडे नहीं होता था तो टी-20 का आगमन सचिन के कार्यकाल के आखिरी समय में हुआ। उन्होंने सिर्फ एक अंतरराष्ट्रीय मुकाबला खेला। विराट टेस्ट, वनडे और टी-20 तीनों प्रारूपों में अच्छा खेल रहे हैं। ऐसे में इनके बीच समानता और अंतर खोजना काफी मुश्किल काम है।

बिना हेलमेट के खेलने वाले ब्रैडमैन ने अपने टेस्ट करियर में 99.94 और प्रथम श्रेणी में 95.14 के औसत से रन बनाए। जब वह पिच पर आते थे तो लोग शतक की उम्मीद ही करते थे। उन्होंने प्रथम श्रेणी में 117 शतक लगाए। सचिन ने 20 सालों से ज्यादा क्रिकेट जगत में राज किया। वनडे और टेस्ट में सबसे ज्यादा रन, सबसे ज्यादा शतक मारने के मामले में वह अब भी सबसे आगे हैं। जैसे सचिन, ब्रैडमैन की इज्जत करते थे, वैसे ही विराट, सचिन की करते हैं।

विराट एकमात्र ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने वनडे, टेस्ट और टी-20 तीनों प्रारूपों में 50 से ज्यादा के औसत से रन बनाए हैं। भले ही उनके शॉट सचिन जैसे क्लासी नहीं हों लेकिन रन बनाने के मामले में उनका कोई जोड़ नहीं। इन तीनों में समानता सिर्फ यही है कि ये तीनों ही महान हैं और क्रिकेट को जिंदा रखने व आगे बढ़ाने में इनका सर्वश्रेष्ठ योगदान है।

गुलाबी टेस्ट में विराट की पारी : कभी हम मैदान पर सचिन, सचिन, सचिन.. का शोर सुनते थे जो अब तब्दील होकर कोहली, कोहली, कोहली.. हो गया है। इसके पीछे की वजह यह है कि घर हो या बाहर, कोलकाता हो या सिडनी, मुंबई हो या बर्मिघम वह हर जगह उम्दा प्रदर्शन करते हैं। ऐसा ही उन्होंने ईडन मे भी किया। उन्होंने भले ही सचिन की तरह 16 की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में प्रवेश नहीं किया और वह 200 टेस्ट मैच भी शायद ही खेल पाएं लेकिन जिस तरह से उन्होंने 11 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में 70 शतक लगा लिए हैं उससे इसकी बहुत कम ही आशंका है कि वह सचिन के शतकों के शतक के रिकॉर्ड को ना तोड़ पाएं।

खास बात यह है कि वह बेहद फिट हैं और हर प्रारूपों में लगातार खेल रहे हैं। आप यह कह सकते हैं कि जब सचिन को अपने समय में ग्लेन मैक्ग्रा, वसीम अकरम, वकार यूनुस, कर्टनी एंब्रोस, वाल्श, शोएब अख्तर, शॉन पोलक, शेन बांड, एलन डोनाल्ड, शेन वार्न और मुथैया मुरलीधरन जैसे खतरनाक गेंदबाजों का सामना करना पड़ा लेकिन आंकड़े ये सब नहीं देखते। हो सकता है उन गेंदबाजों के सामने विराट खेलते तब भी ऐसे ही रन बनाते क्योंकि फिलहाल कोई ऐसा गेंदबाज नहीं है जिसके सामने विराट परेशान नजर आते हों। वह उठा के शॉट नहीं मारते और इसी कारण है कि वह अर्धशतक को शतक में आराम से तब्दील कर लेते हैं। वह सचिन की तरह नर्वस नाइंटीज का शिकार नहीं होते हैं।


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