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Ind vs Aus: जानिए सिडनी टेस्ट को क्यों कहा जाता है PINK TEST, बेहद खास है वजह

Ind vs Aus: सिडनी में खेले जाने वाले टेस्ट मैच को PINK TEST मैच भी कहा जाता है। सिडनी टेस्ट को पिंक टेस्ट कहने के पीछे एक बेहद खास कारण है।

By Pradeep SehgalEdited By: Published: Wed, 02 Jan 2019 03:18 PM (IST)Updated: Thu, 03 Jan 2019 09:08 AM (IST)
Ind vs Aus: जानिए सिडनी टेस्ट को क्यों कहा जाता है PINK TEST, बेहद खास है वजह
Ind vs Aus: जानिए सिडनी टेस्ट को क्यों कहा जाता है PINK TEST, बेहद खास है वजह

नई दिल्ली,[जागरण स्पेशल]। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली जा रही टेस्ट सीरीज़ का चौथा मैच गुरुवार को सिडनी में खेला जाएगा। भारत को कंगारुओं की धरती पर इतिहास रचने के लिए इस मैच को ड्रॉ करवाना या फिर जीतना जरुरी है, क्योंकि टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया में आजतक एक भी टेस्ट सीरीज़ नहीं जीत पाई है। ऐसे में इस टेस्ट मैच की अहमियत और भी बढ़ जाती है। इसके अलावा एक और वजह है सिडनी टेस्ट मैच के बेहद खास होने की।

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सिडनी टेस्ट को क्यों कहा जाता है PINK TEST?

पिछले कुछ सालों में नए साल के दौरान सि़डनी में खेले जाने वाले टेस्ट मैच का खास महत्व रहा है। कुछ लोग इसे पिंक टेस्ट भी कहने लगे हैं। सिडनी में पिंक टेस्ट पहली बार 2009 में खेला गया था। पहली बार ये टेस्ट मैच ऑस्ट्रेलिया और द. अफ्रीका के बीच खेला गया था। इसके बाद से ही ये प्रथा लगातार चलती आ रही है। अभी तक 10 पिंक टेस्ट मैच खेले जा चुके हैं और इस बार भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला जाना वाले सिडनी टेस्ट 11वां पिंक टेस्ट मैच होगा।

प्रत्येक वर्ष जनवरी में सिडनी क्रिकेट ग्राउंड गुलाबी समंदर सा दिखाई देता है। ऐसा एक नेक काम के लिए किया जाता है। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ और न्यू साउथ वेल्स के ग्लेन मैक्ग्रा की जेन मैक्ग्रा की मौत स्तन कैंसर की वजह से हुई थी। इस टेस्ट मैच से जुटाई गई राशि को ग्लेन मैक्ग्रा फाउंडेशन को दिया जाता है। 

ग्लेन मैक्ग्रा फाउंडेशन एक संस्था है जो ऑस्ट्रेलिया में स्तन कैंसर के प्रति लोगों को जागरुक करने के साथ-साथ शिक्षा के लिए भी काम करती है। ये संस्था देशभर ब्रेस्ट केयर नर्सो को रखने के लिए पैसा जुटाती है और लोगों में इस बीमारी के बारे में जागरूकता भी बढ़ाती है। अभी तक कि रिपोर्ट के अनुसार, यह बताया गया है कि ऑस्ट्रेलिया भर में लगभग 120 ब्रेस्ट केयर नर्स शुरू किए गए हैं और 67000 से अधिक परिवारों ने इस बीमारी का अनुभव किया है।

ग्लेन मैकग्रा फाउंडेशन की शुरुआत 2005 में पूर्व ऑस्ट्रेलियाई पेसर और उनकी पत्नी जेन ने स्तन कैंसर से उबरने के बाद की थी। तीन साल बाद, जेन का निधन हो गया और अगले वर्ष से पिंक टेस्ट एक वास्तविकता बन गया।

 

सिडनी टेस्ट की तीसरा दिन होता है खास

PINK TEST मैच के तीसरे दिन को 'जेन मैक्ग्रा डे' के नाम से जाना जाता है। इस दिन फैंस अपना इस मुहिम के प्रति अपना समर्थन दिखान के लिए गुलाबी रंग के कपड़े पहनते हैं। इतना ही नहीं कई बार तो खिलाड़ी भी अपने बैट पर गुलाबी ग्रिप या फिर गुलाबी स्टिकर लगाकर अपना समर्थन प्रदर्शित करेंते हैं।

यह ग्लेन मैक्ग्रा फाउंडेशन की ओर से एक बहुत अच्छी पहल है और क्रिकेट ऑस्ट्रेलियाने भी इस पहला का खुले हाथों से समर्थन किया है। इतना ही नहीं अंतरराषट्रीय खिलाड़ियों के साथ-साथ क्रिकेट फैंस और दर्शकों ने भी इस पहल का खुले दिल से स्वागत किया है।

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