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IND vs AUS: टेस्ट फॉर्मेट की वो 6 यादगार जीत, जब भारत ने ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में दी मात

ये जीत कितनी जबरदस्त है इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि 1932 से लेकर आज तक ऑस्ट्रेलिया की धरती पर केवल 6 टेस्ट मैच जीत सका है

By Lakshya SharmaEdited By: Published: Mon, 10 Dec 2018 12:07 PM (IST)Updated: Mon, 10 Dec 2018 01:28 PM (IST)
IND vs AUS: टेस्ट फॉर्मेट की वो 6 यादगार जीत, जब भारत ने ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में दी मात
IND vs AUS: टेस्ट फॉर्मेट की वो 6 यादगार जीत, जब भारत ने ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में दी मात

नई दिल्ली, जेएनएन। भारत ने एडिलेड टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया को 31 रन से हराकर 4 मैचों की सीरीज में 1-0 की बढ़त हासिल कर ली है। भारत ने ऑस्ट्रेलिया को टेस्ट मैच जीतने के लिए 323 रन का लक्ष्य दिया था लेकिन वह 291 रन ही बना सकी। पहली पारी में भारत ने 250 रन बनाए तो ऑस्ट्रेलिया की पारी 235 रन पर सिमट गई थी। अब भारत के लिए ये जीत कितनी जबरदस्त है इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि 1932 से लेकर आज तक ऑस्ट्रेलिया की धरती पर केवल 6 टेस्ट मैच जीत सका है तो आइये आपतो बताते हैं कि कौनसे वो यादगार पल है जब भारत ने ऑस्ट्रेलिया को उसी की धरती पर मात दी।

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बेदी के नेतृत्व में पहली टेस्ट जीत 

बिशन सिंह बेदी की कप्तानी में 1977-78 के दौरे में भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया में पहली टेस्ट जीत हासिल की। कैरी पैकर सीरीज के कारण ऑस्ट्रेलिया टीम के दिग्गज खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम में नहीं थे। हालत यह थी कि ऑस्ट्रेलियाई टीम को 10 साल पहले संन्यास ले चुके बॉब सिंपसन को कप्तान बनाना पड़ा। उस दौरे के पहले दो टेस्ट हारने के बाद मेलबर्न में खेला गया तीसरा टेस्ट भारत ने 222 रन से जीता।

इस टेस्ट में भारत की शुरुआत बेहद खराब रही थी और उसने अपने दोनों सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कर और चेतन चौहान के विकेट खाता खुलने से पहले ही गंवा दिए थे। मोहिंदर अमरनाथ (72) और गुंडप्पा विश्वनाथ (59) के अर्धशतकों एवं दिलीप वेंगसरकर (37) और अशोक मांकड़ (44) की पारियों की बदौलत भारतीय टीम पहली पारी में 256 रन बनाकर आउट हुई। 

जवाब में भागवत चंद्रशेखर (6/52) की फिरकी के सामने ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी 213 रन पर ढेर हो गई और भारत को 43 रन की बढ़त मिली। दूसरी पारी में गावस्कर (118) ने शतक जड़ा, जबकि विश्वनाथ (54) ने एक बार फिर अर्धशतकीय पारी खेली। इसके चलते भारत की दूसरी पारी 343 रन पर खत्म हुई और ऑस्ट्रेलिया को 387 रन का लक्ष्य मिला। दूसरी पारी में भी चंद्रशेखर (6/52) ने पहली पारी की तरह का प्रदर्शन किया, जिसके चलते ऑस्ट्रेलियाई टीम सिर्फ 164 रन पर सिमट कर 222 रन से मैच गंवा बैठी।

एक सीरीज में ही दूसरी जीत 

1977-78 के दौरे में ही भारत ने ऑस्ट्रेलिया में अपनी लगातार दूसरी जीत हासिल की। सिडनी में खेला गया चौथा टेस्ट भारत ने पारी और दो रन से जीता। चंद्रशेखर (4/30) और कप्तान बेदी (3/49) की फिरकी के सामने ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी 131 रन पर ही ढेर हो गई। भारत ने विश्वनाथ (79) और करसन घावरी (64) के अर्धशतकों और गावस्कर (49), चौहान (42), वेंगसरकर (48) और सैयद किरमानी (42) की शानदार पारियों की मदद से आठ विकेट पर 396 रन बनाकर पारी घोषित की।

पहली पारी में 265 रन से पिछड़ने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम की दूसरी पारी 263 रन पर सिमट गई और भारत ने पारी और दो रन से मैच जीतकर सीरीज में 2-2 की बराबरी हासिल की। भारत की ओर से दूसरी पारी में ऑफ स्पिनर ईरापल्ली प्रसन्ना (4/51) सबसे सफल गेंदबाज साबित हुए। पांच मैचों की यह सीरीज भारत 2-3 से हारा।

अगले दौरे में भी चखा जीत का स्वाद

भारत का अगला ऑस्ट्रेलियाई दौरा 1980-81 में हुआ। तब तक पैकर सर्कस खत्म हो चुका था और ग्रेग चैपल सहित कई दिग्गज खिलाडि़यों की ऑस्ट्रेलियाई टीम में वापसी हो चुकी थी। चैपल ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी कर रहे थे, जबकि भारत के कप्तान गावस्कर थे। तीन टेस्ट की इस सीरीज में सिडनी में खेला गया पहला टेस्ट भारत ने गंवा दिया था, जबकि एडिलेड का दूसरा टेस्ट ड्रॉ रहा था।

तीसरा टेस्ट मेलबर्न में खेला गया, जिसकी पहली पारी में भारत ने विश्वनाथ (114) के शतक की मदद से 237 रन बनाए। जवाब में ऑस्ट्रेलिया की टीम ने एलन बॉर्डर (124) के शतक की मदद से 419 रन का विशाल स्कोर बनाकर 182 रन की बढ़त हासिल की। गावस्कर (70) और चौहान (85) के अर्धशतकों के बावजूद भारतीय टीम दूसरी पारी में 324 रन ही बना सकी। 

ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 143 रन का मामूली लक्ष्य मिला। हर कोई मान रहा था कि यह टेस्ट जीतकर ऑस्ट्रेलियाई टीम सीरीज अपने नाम कर लेगी, लेकिन करसन घावरी (2/10) और दिलीप दोषी (2/33) ने 40 रन के भीतर शुरुआती चार विकेट लेकर ऑस्ट्रेलिया की हालत पतली कर दी।

इसके बाद कपिल देव (5/28) हावी हो गए और उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के निचले क्रम को संघर्ष करने का कोई मौका नहीं दिया। ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी सिर्फ 83 रन पर सिमट गई और भारत ने 59 रन से रोमांचक जीत दर्ज कर सीरीज में 1-1 की बराबरी हासिल की। इस मैच में ही अंपायर के एलबीडब्ल्यू आउट देने से नाराज गावस्कर साथी चेतन चौहान के साथ पवेलियन लौट गए थे। तब इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था।

दो दशक बाद मिली चौथी जीत 

भारत को ऑस्ट्रेलिया में चौथी टेस्ट जीत के लिए दो दशक से भी ज्यादा समय का इंतजार करना पड़ा। सौरव गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम 2003-04 में चार टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई थी। ऑस्ट्रेलिया की कमान अपनी अंतिम टेस्ट सीरीज खेल रहे स्टीव वॉ के हाथों में थी। ब्रिसबेन में खेला गया पहला टेस्ट ड्रॉ रहा था। दूसरा टेस्ट एडिलेड में खेला गया। ऑस्ट्रेलिया ने रिकी पोंटिंग के 242 रन की बदौलत पहली पारी में 556 रन का विशाल स्कोर बनाया। 

भारत ने भी ऑस्ट्रेलिया को मुंह तोड़ जवाब दिया और राहुल द्रविड़ (233) के दोहरे शतक और वीवीएस लक्ष्मण (148) के शतक की बदौलत 523 रन बनाए। ऑस्ट्रेलियाई टीम को सिर्फ 33 रन की बढ़त मिली। ऐसे में तेज गेंदबाज अजित आगरकर (6/41) ने अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी को ढहाने का काम किया। ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी सिर्फ 196 रन पर ढेर हो गई। भारत को जीत के लिए 230 रन का लक्ष्य मिला, जो उसने एक बार फिर द्रविड़ (नाबाद 72) की बदौलत हासिल करते हुए मैच चार विकेट से अपने नाम किया।

कड़वाहट के बीच पांचवीं जीत 

भारत को ऑस्ट्रेलिया में अपनी पांचवीं जीत 2007-08 के दौरे पर मिली। यह दौरा मंकी गेट प्रकरण की वजह से विवादों में रहा। इस दौरे पर भारतीय टीम की कमान अनिल कुंबले ने संभाली, जबकि ऑस्ट्रेलिया के कप्तान रिकी पोंटिंग थे। ऑस्ट्रेलिया ने मेलबर्न में खेला गया पहला टेस्ट 337 रन और सिडनी का दूसरा टेस्ट 122 रन से जीतकर सीरीज में 2-0 की बढ़त बना ली। हालांकि, सिडनी टेस्ट ने हरभजन सिंह और एंड्रयू सायमंड्स के बीच हुए विवाद की वजह से सुर्खियां बटोरीं, जो मंकी गेट प्रकरण के नाम से मशहूर हुआ। तीसरा टेस्ट पर्थ में खेला गया, जिसे 72 रन से जीतकर भारत ने सीरीज में वापसी के संकेत दिए। द्रविड़ (93) और तेंदुलकर (71) के अर्धशतकों की मदद से इस टेस्ट की पहली पारी में भारत ने 330 रन बनाए। जवाब में ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी 212 रन पर ही ढेर हो गई। 

आरपी सिंह (4/68) भारत के सबसे सफल गेंदबाज साबित हुए। 118 रन की बढ़त लेने के बाद भारत की दूसरी पारी 394 रन पर खत्म हुई। इस बार लक्ष्मण (79) टीम के सर्वश्रेष्ठ स्कोरर रहे। ऑस्ट्रेलिया को 423 रन का लक्ष्य मिला, लेकिन भारतीय गेंदबाजों के सामूहिक प्रयास के सामने ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी 340 रन पर खत्म हो गई। दूसरी पारी में इरफान पठान (3/54) भारत के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज रहे। इस जीत के साथ भारत ने ऑस्ट्रेलिया की बढ़त को कमकर 2-1 कर दिया। 

अब लगभग 10 साल बाद ऑस्ट्रेलिया में जीता भारत

साल 2007-2008 में जीत के बाद भारत ने 2 बार ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया लेकिन एक बार भी वह ऑस्ट्रेलिया को हरा नहीं पाया। अब एडिलेड में भारत को ऑस्ट्रेलिया की धरती पर 10 साल बाद टेस्ट मैच में जीत मिली। टेस्ट सीरीज के पहले मैच में भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया हालांकि उसका ये फैसला तब गलत साबित होता दिख रहा था जब उसने 41 रन पर ही अपने 4 विकेट खो दिए थे, इसके बाद चेतेश्वर पुजारा की 123 रन शानदार पारी की बदौलत किसी तरह 250 रन तक पहुंचने में सफल रही। इसके बाद टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी 235 रन पर समेट 15 रन की बढ़त हासिल की। 

इसके बाद भारतीय टीम ने अपनी दूसरी पारी में पुजारा और रहाणे के अर्धशतक की बदौलत 307 रन का स्कोर खड़ा किया। पहली पारी में 15 रन से पिछड़ने के कारण ऑस्ट्रेलिया को 323 रन का लक्ष्य मिला, जिसके जवाब में ऑस्ट्रेलिया 291 रन पर सिमट गई।

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