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इस पहले इम्तिहान में धौनी हुए फेल, 66 साल बाद सच हुआ गुजरात का सपना

गुजरात की टीम ने सेमीफाइनल में झारखंड को 123 रन से हरा दिया। इस जीत के साथ ही गुजरात की टीम ने वो कमाल कर दिखाया, जो पिछले 66 सालों से नहीं हुआ था।

By Pradeep SehgalEdited By: Published: Thu, 05 Jan 2017 12:08 PM (IST)Updated: Thu, 05 Jan 2017 12:54 PM (IST)
इस पहले इम्तिहान में धौनी हुए फेल, 66 साल बाद सच हुआ गुजरात का सपना

नई दिल्ली, जेेएनएन। नागपुर में रणजी ट्रॉफी का सेमीफाइनल मुकाबला खेला गया। इस मैच में गुजरात का सामना झारखंड की टीम से था, और झारखंड की टीम के मेंटॉर थे भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे सफल कप्तानों में शुमार महेंद्र सिंह धौनी। यूं तो ये मैच इसलिए ऐतिहासिक बन गया क्योंकि झारखंड इतिहास में पहली बार रणजी सेमीफाइनल खेलने उतरा था और इस अहम मैच के लिए धौनी ने झारखंड के खिलाड़ियों को खूब प्रोत्साहित किया, लेकिन फिर भी वो इस पहले इम्तिहान में फेल हो गए। इस बड़े मुकाबले में गुजरात ने झारखंड की टीम को 123 रन से पस्त कर दिया। ये पहला मौका था जब धौनी झारखंड के मेंटॉर के रूप में इस टीम के साथ दिखे थे।

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सीमित ओवर की भारतीय टीम के नियमित गेंदबाज 23 वर्षीय जसप्रीत बुमराह लंबे प्रारूप में पहचान बनाने के लिए कोशिश कर रहे थे। वहीं, 31 वर्षीय अनुभवी रुद्रप्रताप (आरपी) सिंह यह साबित करना चाहते थे कि वह अभी चुके नहीं हैं। दोनों ही अपनी कोशिशों में कामयाब रहे, जिसकी बदौलत गुजरात ने 66 साल बाद रणजी ट्रॉफी के फाइनल में प्रवेश किया।

नागपुर में खेले गए रणजी ट्रॉफी के सेमीफाइनल में गुजरात ने झारखंड पर 123 रन से जीत दर्ज कर ली। बुमराह और आरपी की अगुआई में शानदार गेंदबाजी की मदद से उसे 111 रन पर समेट दिया। गुजरात ने इससे पहले एक बार 1950-51 में रणजी ट्रॉफी फाइनल में जगह बनायी थी, लेकिन उसे तब होल्कर टीम (अब मध्य प्रदेश) से हार का मुंह देखना पड़ा था।

गुजरात ने सुबह चार विकेट पर 100 रन से आगे खेलते हुए दूसरी पारी 252 रन पर समाप्त की और झारखंड को जीत के लिए 235 रन का लक्ष्य दिया, जिसने पहली बार रणजी ट्रॉफी के सेमीफाइनल में जगह बनायी थी। इस लक्ष्य का पीछा करने उतरी झारखंड ने गुजरात के गेंदबाजों के सामने घुटने टेक दिये और टीम 41 ओवरों में 111 रन के अंदर सिमट गयी। उसके दोनों सलामी बल्लेबाज शून्य पर पवेलियन लौट गए। टीम के लिए पांच बल्लेबाज ही दोहरे अंक तक पहुंच सके जिसमें कुशल सिंह ने 24 रन की सबसे ज़्यादा रन की पारी खेली। टीम के लिए कोई भी बड़ी साझेदारी नहीं बन सकी और लगातार विकेट गंवाने का खामियाजा उसे हार से भुगतना पड़ा।

केवल तीन गेंदबाज आजमाए:

गुजरात के कप्तान पार्थिव पटेल ने केवल तीन गेंदबाजों को गेंद सौंपी। बुमराह ने दूसरी पारी में अहम भूमिका अदा की। जिन्होंने 14 ओवर में 29 रन देकर छह विकेट हासिल किये, जो उनका करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी है। मैच में उन्होंने कुल विकेट सात चटकाए। वहीं, पहली पारी में छह विकेट हासिल करने वाले तेज गेंदबाज आरपी ने दूसरी पारी में तीन विकेट से मैच में कुल नौ विकेट चटकाए। हार्दिक पटेल ने एक विकेट अपने नाम किया। गुजरात को अपने तीसरे सीमर रश कलारिया की कमी भी नहीं खली, जो कंधे में चोट के कारण चौथे दिन मैदान में नहीं उतर सके।

मनप्रीत व चिराग के अर्धशतक:

गुजरात ने सुबह अपनी दूसरी पारी में छह विकेट गंवाकर 152 रन जोड़े। मनप्रीत जुनेजा ने तीसरे दिन की दो रन की पारी को अर्धशतक में तब्दील करते हुए 125 गेंद में 12 चौके की मदद से 81 रन की पारी खेली। हार्दिक पटेल छह रन ही बना सके और पवेलियन लौट गए। निचले क्रम में चिराग गांधी ने 105 गेंद का सामना करते हुए चार चौकोंऔर एक छक्के से 51 रन बनाकर अर्धशतक पूरा किया। झारखंड के स्पिनर शाहबाज नदीम 69 रन देकर पांच विकेट हासिल किए, जबकि विकास सिंह को दो विकेट मिले।

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