कोरोना वायरस ने घरेलू क्रिकेट को भी घर में समेटा, कई टूर्नामेंटों का इस साल का भविष्य अधर में
कोरोना वायरस के कारण अंतरराष्ट्रीय ही नहीं बल्कि घरेलू क्रिकेट को भी इस संक्रमण ने घर में समेट दिया है।
कोलकाता, विशाल श्रेष्ठ। कोरोना वायरस का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट ही नहीं, बल्कि घरेलू क्रिकेट पर भी भारी असर पड़ा है। लॉकडाउन के कारण कई घरेलू टूर्नामेंटों को बीच में रोक दिया गया है, जबकि कई टूर्नामेंटों के आयोजन पर सवालिया निशान लग गया है। उन पर रद होने का भी खतरा मंडरा रहा है। महिला क्रिकेट भी बुरी तरह प्रभावित हुई है।
लॉकडाउन के कारण महिला सीनियर वनडे ट्रॉफी, महिला अंडर-19 और अंडर-23 वनडे ट्रॉफी के सिर्फ ग्रुप लीग के मैच ही किसी तरह पूरे हो पाए हैं, उनके आल इंडिया नॉकआउट मैच का आयोजन ही नहीं हो पाया है। इसी तरह महिलाओं की सीनियर वनडे चैलेंजर ट्रॉफी, अंडर-23 वनडे चैलेंजर ट्रॉफी, अंडर-19 टी-20 टूर्नामेंट और अंडर-19 टी-20 चैलेंजर ट्रॉफी शुरू भी नहीं हो पाई है।
पुरुष क्रिकेटरों की ईरानी और विज्जी ट्रॉफी होगी कि नहीं, यह भी तय नहीं है। बंगाल रणजी टीम के पूर्व कप्तान संबरन बनर्जी ने कहा कि घरेलू क्रिकेट भारतीय क्रिकेट का ककहरा है। दलीप और रणजी ट्रॉफी खेलकर ही कोई अच्छा खिलाड़ी बनता है और भारतीय टीम में पहुंचता है। घरेलू क्रिकेट का न होना भारतीय क्रिकेट के लिए बड़ी क्षति है।
आइपीएल तो महज मनोरंजन है। वहीं घरेलू क्रिकेट के स्टार बल्लेबाज बंगाल के मनोज तिवारी ने कहा कि निश्चित रूप से घरेलू क्रिकेट पर काफी असर पड़ रहा है लेकिन अभी खेल की चिंता करने का वक्त नहीं है। यह समय एकजुट होकर इस महामारी से डटकर मुकाबला करने का है। खेल तो आगे होता रहेगा।
सितंबर से अप्रैल तक चलता है घरेलू सत्र
भारतीय क्रिकेट का घरेलू सत्र सितंबर के मध्य से शुरू होता है और अप्रैल की समाप्ति तक चलता है। इनके बीच ही सभी राज्य में लोकल क्रिकेट भी शुरू होता है, जिसमें प्रथम और द्वितीय डिवीजन लीग के अलावा अंडर-15, 18, 19 समेत विभिन्न टूर्नामेंट शामिल हैं।
बीसीसीआइ के वरिष्ठ अंपायर प्रेमदीप चटर्जी ने कहा कि घरेलू क्रिकेट भारतीय क्रिकेट की बुनियाद है। घरेलू क्रिकेट का न होना सभी राज्य के क्रिकेट संघ के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। लोकल स्तर पर मैच नहीं होने से वहां के खिलाडि़यों को राज्य स्तर पर खेलने का मौका नहीं मिल पाएगा, जिससे उनके टीम इंडिया में खेलने की राह भी मुश्किल हो जाएगी।
कोरोना की चपेट में आने से बाल-बाल बची थी रणजी ट्रॉफी
रणजी ट्रॉफी कोरोना की चपेट में आने से बाल-बाल बची थी, हालांकि उसे आंच जरूर लगी थी। कोरोना के कारण रणजी ट्रॉफी के फाइनल मैच के आखिरी दिन का खेल सौराष्ट्र में खाली स्टेडियम में कराया गया था। खिताबी मुकाबला नौ से 13 मार्च तक हुआ था।
फाइनल अगर तीन-चार दिन बाद होने वाला होता तो इसके स्थगित होने की भी आशंका हो सकती थी। कर्नल सीके नायडू ट्रॉफी, कूचबिहार ट्रॉफी, देवधर ट्रॉफी, विजय हजारे ट्रॉफी, विजय मर्चेंट ट्रॉफी और वीनू मांकड़ ट्रॉफी पहले आयोजित होने के कारण कोरोना की चपेट में आने से बच गई थी।
2,000 से ज्यादा मैच, करीब 6,500 खिलाड़ी
एक आंकड़े के मुताबिक भारतीय घरेलू क्रिकेट के तहत एक सत्र में विभिन्न टूर्नामेंटों में 2,000 से भी अधिक मैचों का आयोजन होता है जबकि इससे करीब 6,500 खिलाड़ी जुड़े हुए हैं. मैचों की तादाद साल-दर-साल बढ़ती जा रही है क्योंकि हाल के वर्षों में महिला क्रिकेट टूर्नामेंटों में भी तेजी से इजाफा हुआ है।