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IPL 2017: दिलवालों की दिल्ली को ये बड़े सवाल कर रहे हैं परेशान

आइपीएल के 10वें संस्करण की चुनौतियों से लड़ना दिल्ली के लिए चुनौती होगी।

By Bharat SinghEdited By: Published: Fri, 07 Apr 2017 02:30 PM (IST)Updated: Fri, 07 Apr 2017 02:44 PM (IST)
IPL 2017: दिलवालों की दिल्ली को ये बड़े सवाल कर रहे हैं परेशान
IPL 2017: दिलवालों की दिल्ली को ये बड़े सवाल कर रहे हैं परेशान

नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। आइपीएल की घंटी बज चुकी है और छात्र इसमें उत्तीर्ण होने के लिए कूद पड़े हैं। आइपीएल के पिछले नौ रिजल्ट की बात करें तो दिल्ली की टीम की गिनती अच्छे छात्रों में नहीं होगी लेकिन एक बार फिर वह चुनौतियों से पार पाने का दंभ भर रही है, लेकिन आइपीएल के 10वें संस्करण की चुनौतियों से लड़ना भी उसके लिए चुनौती ही होगी।

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जहीर के हाथ में है कमान

वीरेंद्र सहवाग की कप्तानी में शुरुआत करने वाली टीम अब जहीर खान की कमान में उतरने को मजबूर है। भले ही लोग कह रहे हों कि जहीर अच्छे फॉर्म में हैं। वह टीम को नए शेप में ले जाएंगे लेकिन सच तो यही है कि वह 14 लीग मैचों में कितने में खुद की जगह सुनिश्चित कर पाएंगे यही एक यक्ष प्रश्न है। निश्चित तौर पर अभ्यास के समय वह फिट दिख रहे हैं लेकिन अभ्यास में फिट दिखना और पूरे सत्र में फिट रहते हुए अच्छा प्रदर्शन करना दूसरी बात है। 

पिछले साल से नहीं खेला कोई मैच

जहीर 38 साल के हैं और पिछले आइपीएल के बाद से उन्होंने कोई प्रतिस्पर्धात्मक क्रिकेट नहीं खेली है। वह टूर्नामेंट के सबसे उम्रदराज खिलाड़ियों में से एक हैं। देश के सबसे सफल बाएं हाथ के तेज गेंदबाज जहीर ने हाल ही में कहा था कि गेंदबाजी में उनकी भूमिका एक सहायक की रहेगी। अगर सही शब्दों में कहा जाए तो यह किसी बोझ से कम नहीं होगा। जहीर पहले ही कह चुके हें कि यह मुश्किल होता है कि आप कोई मैच न खेलें और फिर यहां उतरकर एक पूरा सत्र खेलें। मैं इसे एक चुनौती के रूप में देखता हूं। मैं अभ्यास में हमेशा लगा रहता हूं। मैंने दिसंबर के आसपास गेंद उठाई थी और अब मैं आइपीएल के नए सत्र के लिए तैयार हूं।

मैच विनर खिलाड़ी नहीं

दिल्ली टीम इकलौती ऐसी दिखाई पड़ रही है जिसमें कोई मैच विनर खिलाड़ी नहीं है। यही नहीं अगर जहीर चोटिल होते हैं या अंतिम एकादश में उनकी जगह सुनिश्चित नहीं होती है तो दूसरा कोई कमान संभालने तक के लिए नहीं है।

दो बार सेमीफाइनल में पहुंची टीम

टीम के पुराने रिकॉर्ड खंगालें तो पता चलता है कि यह टीम पिछले नौ सत्रों में सिर्फ दो बार सेमीफाइनल और एक बार प्लेऑफ तक पहुंची है। जब टीम में सहवाग, गौतम गंभीर, मुहम्मद आसिफ, एबी डिविलियर्स, शिखर धवन और तिलकरत्ने दिलशान जैसे खिलाड़ी होते थे तब इसने सेमीफाइनल में पहुंचने का कारनामा किया था। 2012 में एरोन फिंच, महेला जयवर्धने और केविन पीटरसन के रहते हुए टीम प्लेऑफ तक पहुंची। तीनों ही समय टीम की कमान सहवाग के हाथों में थी लेकिन 2012 के बाद इस टीम का जो क्षरण शुरू हुआ वह अब तक नहीं ठीक पाया है।

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