IND vs ENG: अब मान भी लो, द्रविड़ की तरह पुजारा नहीं बन सकते टीम इंडिया की दीवार!
टीम इंडिया और पुजारा को सोचने की जरुरत है कि इस खिलाड़ी पर क्या घरेलू सीरीज में ही विश्वास किया जा सकता है
नई दिल्ली, लक्ष्य शर्मा। भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट सीरीज के पहले मैच में जब भारतीय बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा को बाहर किया गया तो हर तरफ हल्ला हुआ कि क्यों टीम इंडिया की नई दीवार कहे जाने वाले इस बल्लेबाज को बाहर किया। हर किसी ने कहा कि इंग्लैंड में उनकी तकनीक सबसे अच्छी है। डिफेंस में उनका कोई साहनी नहीं है। तमाम विवाद के बाद दूसरे टेस्ट मैच में पुजारा को मौका मिला।
अब दूसरे टेस्ट में भारत को कठिन परिस्थिति मिली तो फैंस को लगा कि कोई नहीं पुजारा है ना लेकिन हुआ क्या। पुजारा ने पहली पारी में 1 और दूसरी पारी में 17 रन बनाए। अब सबको लगा कि सभी बल्लेबाजों के साथ पुजारा भी दगा दे गए। अब तीसरे टेस्ट की बात कर लेते हैं।
नॉटिघम में ना तो परिस्थिति कठिन थी और ना ही हालात। उसके बावजूद वह एक बार फिर फेल रहे। तीसरे टेस्ट की पहली पारी में वह 14 रन बनाकर पवेलियन की शान बढ़ा रहे थे। अब ये मानना पड़ेगा की कंडीशन नहीं बल्कि पुजारा की फॉर्म ही खराब है।
सच तो ये है कि पुजारा खुद काफी लंबे समय से संकेत दे रहे हैं कि वह रनों के लिए जूझ रहे है। पहले इंटरनेशनल क्रिकेट और फिर काउंटी में फ्लॉप शो दिखा रहा है कि पुजारा टीम इंडिया की नई दीवार बनने से पहले ही ढह गए हैं। पहले काउंटी में उनके प्रदर्शन पर नजर डालते हैं।
यॉर्कशायर की तरफ से खेलते हुए उन्होंने 8 पारियों में 12.5 की औसत से 100 रन बनाए हैं। आपको ताज्जुब होगा कि उनका प्रदर्शन इतना खराब रहा कि इशांत शर्मा ने उनसे ज्यादा रन बना दिए थे। इसके अलावा अफगानिस्तान के खिलाफ इकलौते टेस्ट में उन्होंने 35 रन ही बनाए थे। इस मैच में भारत की तरफ से शिखर धवन और मुरली विजय ने शतक और केएल राहुल और हार्दिक ने अर्धशतक लगाए थे।
इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज से पहले खेले गए एसेक्स के खिलाफ अभ्यास मैच में भी वह दोनों पारियों में कुल 24 रन ही बना सके। उन्होंने पहली पारी में उन्होंने 1 और दूसरी पारी में 23 रन बनाए। इसके अलावा पुजारा को बाहर करने का मुख्य कारण ये भी हो सकता है कि केएल राहुल शानदार फॉर्म में चल रहे हैं और पुजारा का बल्ला इंग्लैंड में शांत ही रहता है। पिछली बार साल 2014 में पुजारा जब इंग्लैंड दौरे पर गए थे तो उन्होंने 5 टेस्ट में 22 की घटिया औसत से केवल 222 रन बनाए थे।
चेतेश्वर पुजारा ने अपने टेस्ट करियर में अब तक 58 टेस्ट में 50 से ज्यादा की औसत से 4581 रन बनाए हैं। इस दौरान उन्होंने 14 शतक और 17 अर्धशतक भी लगाए। वहीं साल 2018 में उन्होंने 6 टेस्ट में 17 से भी कम औसत से 167 रन बनाए हैं। ऐसा नहीं है कि पुजारा विदेशों में पहली बार फेल रहे हो। हर विदेशी दौरे पर उनकी यही कहानी रहती है। अपने घर से बाहर खेले मैचों में उनका औसत 34 से भी कम का रहता है। 26 टेस्ट में उन्होंने 1500 से भी कम रन बनाए है।
पुजारा की तुलना राहुल द्रविड़ से की जाती है। लेकिन जो लोग ऐसा कर रहे हैं पहले उन्हें विदेशों में द्रविड़ का रिकॉर्ड देखने की जरुरत है। द्रविड़ ने अपने घर के बाहर 94 टेस्ट में 7690 रन बनाए हैं, वह भी 53 से ज्यादा की औसत से। विदेशी जमीं पर द्रविड़ ने 21 शतक भी लगाए। अब इन दोनों का रिकॉर्ड हर बात की गवाही दे रहा है। टीम इंडिया और पुजारा को सोचने की जरुरत है कि इस खिलाड़ी पर क्या घरेलू सीरीज में ही विश्वास किया जा सकता है क्योंकि विदेशों पर उन पर से विश्वास लगातार उठ रहा है।