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भारतीय कंपनी से 1000 गुना मोटी रकम देकर VIVO बनीं थी IPL की प्रायोजक, 13 साल में 3 टाइटिल प्रायोजक

चीनी मोबाइल कंपनी वीवो IPL के 2020 संस्करण की प्रायोजक नहीं होगी। BCCI ने गुरुवार को आधिकारिक तौर पर यह जानकारी दी।

By Viplove KumarEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2020 09:39 PM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2020 09:39 PM (IST)
भारतीय कंपनी से 1000 गुना मोटी रकम देकर VIVO बनीं थी IPL की प्रायोजक, 13 साल में 3 टाइटिल प्रायोजक
भारतीय कंपनी से 1000 गुना मोटी रकम देकर VIVO बनीं थी IPL की प्रायोजक, 13 साल में 3 टाइटिल प्रायोजक

नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की टी20 टूर्नामेंट इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के 13वें एडिशन से पहले टाइटिल प्रायोजक को हटाने का फैसला लिया गया है। चीनी मोबाइल कंपनी वीवो IPL के 2020 संस्करण की प्रायोजक नहीं होगी। BCCI ने गुरुवार को आधिकारिक तौर पर यह जानकारी दी।

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साल 2008 में टूर्नामेंट की शुरुआत हुई थी तक से अब तक 12 सीजन हो चुके हैं और वीवो तीसरी टाइटिल प्रायोजक कंपनी है। साल 2008 में पहली बार जब इस टी20 लीग की शुरुआत हुई तो भारतीय रियल स्टेट कंपनी DLF के साथ 5 साल के लिए करार हुआ था। इसके बाद 2013 में अमेरिका की कोल ड्रिंग कंपनी पेप्सी को के साथ 5 साल का करार हुआ। 2017 में चीनी मोबाइल कंपनी वीवो को साथ 5 साल का करार किया गया था।

13 साल में IPL के 3 टाइटिल प्रायोजक

पेप्सीको 2013 में पांच सत्र के लिए 396 करोड़ 80 लाख रुपये की बोली लगाकर आईपीएल का टाइटिल प्रायोजक बना था। पेप्सी से पहले डीएलएफ ने 2008 से 2012 तक के अधिकार हासिल करने के लिए 200 करोड़ रुपये दिए

2008 में DLF ने टूर्नामेंट के साथ 200 करोड़ का करार किया था। 2013 में पेप्सी के साथ 396 करोड़ रुपये में अगले 5 साल के लिए करार किया गया। साल 2017 में 1000 गुना ज्यादा रकम 2199 करोड़ का करार हुआ था।

नए प्रायोजक पर संशय :

सूत्रों के मुताबिक, चीनी कंपनी वीवो अगले साल यानी 2021 में प्रायोजक रहेगी और यह अनुबंध 2023 तक चलेगा। इस साल के लिए नए प्रायोजक का एलान जल्द किया जाएगा, लेकिन सभी को इंतजार है कि इतने कम समय में बोर्ड किस कंपनी को प्रायोजन के लिए तैयार करेगा।

2199 करोड़ में हुआ था करार :

वीवो इंडिया ने 2017 में आइपीएल के मुख्य प्रायोजन अधिकार 2199 करोड़ रुपये में हासिल किए थे। इससे लीग को हर सत्र में उसे करीब 440 करोड़ रुपये का भुगतान करना था। इस चीनी मोबाइल कंपनी ने सॉफ्ट ड्रिंक वाली दिग्गज कंपनी पेप्सिको को हटाया था, जिसका 2016 में 396 करोड़ रुपये का अनुबंध था।

440 करोड़ का है हिसाब :

वीवो कंपनी के इस साल प्रायोजक के तौर पर हटने के बाद से इस बात का इंतजार है कि आखिर कौन सी कंपनी आइपीएल को प्रायोजित करेगी। वीवो को हर साल 440 करोड़ रपये की भारी-भरकम राशि का भुगतान करना होता है। कोविड-19 के इस मुश्किल दौर में किसी भी कंपनी के लिए यह मुश्किल होगा कि इतना बड़ी राशि चुकाए।

इस साझेदारी के खत्म होने से आठ फ्रेंचाइजियों को भी नुकसान होगा, जिसमें प्रत्येक फ्रेंचाइजी को 27.5 करोड़ रपये मिलते हैं। अधिकारी ने कहा कि इतने कम समय में प्रायोजक मिलना तो मुश्किल है, लेकिन बोर्ड और फ्रेंचाइजियां यह नुकसान झेलने को तैयार हैं। यह वर्ष सभी के लिए मुश्किल होगा, लेकिन शो चालू रहेगा।


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