इस मामले में दुनिया के इकलौते तेज गेंदबाज हैं आशीष नेहरा
आशीष नेहरा अपने आम में अनोखे गेंदबाज हैं।
नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। न्यूजीलैंड को 2-1 से हराकर लगातार सात द्विपक्षीय वनडे सीरीज जीतने वाली भारतीय टीम अब बुधवार से शुरू होने वाली तीन टी-20 मैचों की सीरीज के लिए तैयार है। इसका पहला मैच बुधवार को दिल्ली के फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में है और इसके लिए दोनों टीमें दिल्ली पहुंच चुकी हैं। इस मैच का महत्व इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि यह भारत के बेहतरीन तेज गेंदबाजों में से एक रहे आशीष नेहरा का आखिरी मुकाबला होगा। इस मैच के बाद नेहरा संन्यास ले लेंगे।
नेहरा के बचपन के कोच तारक सिन्हा ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में अपने शिष्य के राज खोले। उन्होंने कहा कि दुनियाभर के अधिकतर तेज गेंदबाज आक्रामक होते हैं। कुछ अपने चेहरे पर क्रीम लगाकर बल्लेबाजों को डराते हैं तो कुछ स्लेजिंग करते हैं। कुछ पिच पर दौड़ते हुए बल्लेबाज तक पहुंच जाते हैं लेकिन नेहरा ने कभी ऐसा नहीं किया। उन्होंने अपने क्रिकेट करियर के अधिकतर समय में पूरा ध्यान लाइन-लेंथ पर लगाया। वह दुनिया के गिने-चुने जेंटलमैन तेज गेंदबाजों में से एक हैं और उनकी यही बात उन्हें औरों से अलग करती है। उन्होंने कभी तेज गेंदबाज वाला स्वभाव नहीं दिखाया।
किसी न किसी रूप में टीम इंडिया से जुड़े रहे
कोच ने कहा कि इतनी चोट के बावजूद उन्होंने अपने करियर को शानदार ढंग से पिरोया। मेरे सामने उसने खेलना सीखा और अब क्रिकेट से विदा ले रहा है। निश्चित तौर पर मैं इसको लेकर दुखी हूं कि भारत का इतना बड़ा सितारा आखिरी मैच के बाद खेलते हुए नहीं दिखेगा। मैं उन्हें भविष्य के लिए शुभकामना देता हूं। मैं चाहता हूं कि वह किसी न किसी रूप में भारतीय टीम को अपनी सेवाएं देते रहें क्योंकि उनके जैसे लोगों की टीम इंडिया को जरूरत है।
अपने व्यवहार के कारण सबके प्रिय
जब तारक से पूछा गया कि उन्हें सभी खिलाड़ी नेहरा जी कहकर क्यों बुलाते हैं तो उन्होंने कहा कि उनके शिष्य का स्वभाव शुरू से ही बहुत अच्छा था। वह कभी किसी चीज की परवान नहीं करता था। उनकी किसी से लड़ाई नहीं होती थी। वह कभी ग्लैमर में नहीं पड़ना चाहता था और किसी की मदद भी करनी होती थी तो बिना किसी को बताए कर देता था।
परेशानी में बाल नोचते थे
वह बचपन से ही बड़े मेहनती थे लेकिन जब कड़ी मेहनत करने के बावजूद उनका दिल्ली अंडर-19 टीम में चयन नहीं हुआ तो वह क्रिकेट छोड़ना चाह रहे थे। मुझे याद है कि वह अपने बालों को नोचते हुए आए और कहा कि सर अब मैं क्रिकेट नहीं खेलूंगा। जब वह परेशान होते थे तो अपने बाल नोचते थे लेकिन हमने उनकों संभाला और उनका उत्साह बढ़ाया। वह भारत के उन गिने-चुने खिलाड़ियों में हैं जिन्होंने पहले रणजी खेला और बाद में अंडर-19 टूर्नामेंट में खेला। हालांकि कुछ समय के बाद ही उन्हें भारतीय टेस्ट टीम में चुन लिया गया।
काश और टेस्ट खेल पाते
तारक ने कहा कि नेहरा बेहतरीन टेस्ट गेंदबाज थे लेकिन चोटों ने उन्हें ऐसा घेरा कि वह ज्यादा टेस्ट नहीं खेल पाए। इसके बावजूद उनका करियर शानदार रहा। काश वह और ज्यादा टेस्ट मैच खेल पाते। जो भी उनके साथी रहे हैं उनसे पूछिये तो पता चलेगा कि वह कितनी मेहनत करते थे लेकिन चोट पर किसी का बस नहीं चलता।