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कुंबले ने खोला बड़ा राज़, इस वजह से बने सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाज़

कुंबले और नडेला के बीच बातचीत माइक्रोसॉफ्ट सीईओ की हाल में जारी की गई किताब ‘हिट रिफ्रेश’ के इर्द-गिर्द घूमती रही।

By Pradeep SehgalEdited By: Published: Wed, 08 Nov 2017 12:17 PM (IST)Updated: Wed, 08 Nov 2017 05:52 PM (IST)
कुंबले ने खोला बड़ा राज़, इस वजह से बने सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाज़
कुंबले ने खोला बड़ा राज़, इस वजह से बने सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाज़

नई दिल्ली, पीटीआइ। मैदान पर अपना सब कुछ झोंकने के लिए मशहूर रहे पूर्व भारतीय कोच अनिल कुंबले ने कहा कि बेहद अनुशासित परवरिश से वह अपने जीवन में अनुशासन प्रिय बने, जिसकी वजह से उन्हें अपने चमकदार करियर के आखिरी दिनों में ‘हेडमास्टर’ का अप्रिय तमगा भी मिला।

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कुंबले ने माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला के साथ अपने बचपन की सीख के बारे में बातचीत की, जिसने उन्हें सफल क्रिकेटर बनाने में काफी मदद की। हैदराबाद में जन्मे और खुद को क्रिकेट प्रेमी कहने वाले नडेला ने उनकी बातों को गौर से सुना।

इस वजह से कुंबले बने 'हेडमास्टर'

नडेला ने जब कुंबले से पूछा कि उन्हें अपने माता-पिता से क्या सीख मिली, तो कुंबले ने कहा, ‘आत्मविश्वास। यह उन संस्कारों से आता है जो आपको अपने माता-पिता और दादा-दादी, नाना-नानी से मिलते हैं। मेरे दादा स्कूल में हेडमास्टर थे और मैं जानता हूं कि यह शब्द (हेडमास्टर) मेरे करियर के अंतिम दिनों में मुझसे जुड़ा। इनमें से कुछ समझ जाएंगे (कि मैं क्या कहना चाह रहा हूं)।’ एक कड़क कोच की प्रतिष्ठा बनाने वाले कुंबले ने इस साल जून में विवादास्पद परिस्थितियों में भारतीय कोच पद छोड़ दिया था। उन्होंने इसके लिए भारतीय कप्तान विराट कोहली के साथ अस्थिर रिश्तों को जिम्मेदार ठहराया था। इसके बाद से ही भारत की तरफ से सर्वाधिक विकेट लेने वाले इस गेंदबाज ने चुप्पी साध रखी है।

जब होने लगी थी कुंबले के संन्यास की बातें

कुंबले और नडेला के बीच बातचीत माइक्रोसॉफ्ट सीईओ की हाल में जारी की गई किताब ‘हिट रिफ्रेश’ के इर्द-गिर्द घूमती रही। दोनों ने अपनी जिंदगी के ‘हिट रिफ्रेश’ क्षणों के बारे में काफी बात की। कुंबले ने कहा कि 2003-04 का ऑस्ट्रेलिया दौरा वह समय था जब उनके सामने खुद का करियर पुनर्जीवित करना चुनौती थी। भारत ने चार टेस्ट मैचों की यह सीरीज ड्रॉ कराई थी। उन्होंने कहा, ‘एक क्रिकेटर होने के नाते आपको हर सीरीज की समाप्ति पर खुद को अगली चुनौती के लिए तैयार करना होता है। एक सीरीज से दूसरी सीरीज के लिए चुनौतियां अलग होती हैं, लेकिन मैं 2003-04 के ऑस्ट्रेलिया दौरे का जिक्र करना चाहूंगा, जब मैं अपने करियर को लेकर दोराहे पर खड़ा था। मैं अंतिम एकादश में जगह बनाने के लिए प्रतिस्पर्धा (हरभजन सिंह के साथ) कर रहा था। मैं 30 की उम्र पार कर चुका था और लोग मेरे संन्यास को लेकर बातें करने लगे थे।

इस वजह से चटकाए भारत के लिए सबसे ज़्यादा टेस्ट विकेट

मुझे एडिलेड टेस्ट में मौका मिला जिसे हमने जीता था। मैंने पहले दिन काफी रन लुटाए, लेकिन दूसरे दिन पांच विकेट लेने में सफल रहा। मुझे कुछ अलग करने की जरूरत समझ में आई। इसलिए मैंने अलग तरह की गुगली फेंकनी शुरू की, जो मैंने तब सीखी थी जब मैं टेनिस बॉल से क्रिकेट खेला करता था। तब मुझे अहसास हुआ कि मैं अपने खेल में सुधार करने के लिए थोड़े बदलाव कर सकता हूं।’ इस अहसास की वजह से कुंबले 30 की उम्र के बाद भी बल्लेबाज़ों को अपनी गेंदों पर नाच नचाते रहे और उनके द्वारा अपनी गेंदबाज़ी में किए गए बदलावों की वजह से ही कुंबले भारत की ओर से टेस्ट क्रिकेट में सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ बन गए। कुंबले के नाम टेस्ट क्रिकेट में 619 विकेट हैं। इस लिस्ट में दूसरा नाम भारत को पहली विश्व कप ट्रॉफी दिलवाने वाले कपिल देव के नाम है। कपिल के नाम टेस्ट क्रिकेट में 434 विकेट हैं। 

2001 की सीरीज़ ने जगाया विश्वास

भारतीय क्रिकेट के महत्वपूर्ण मोड़ के बारे में पूछे जाने पर कुंबले ने 1983 की विश्व कप की जीत और ऑस्ट्रेलिया के 2001 के भारत दौरे का जिक्र किया, जब भारतीय टीम ने पिछड़ने के बाद वापसी करके 2-1 से जीत दर्ज की थी। उन्होंने कहा, ‘नौवें दशक की सबसे अच्छी बात यह रही है कि हमने घरेलू सरजमीं पर लगभग हर मैच जीता, लेकिन अगर आप एक महत्वपूर्ण मोड़ की बात करना चाहते हो तो वह 2001 की भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज थी। मैंने चोटिल होने के कारण उसमें हिस्सा नहीं लिया था। यह वह समय था जबकि टीम को अपनी असली क्षमता का पता चला। इसके बाद भारतीय क्रिकेट लगातार मजबूत होता रहा और हम नंबर एक भी बने।

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