एक महिला की वजह से बीसीसीआइ में मचा बवाल, दुनिया के सबसे अमीर बोर्ड की हो रही किरकिरी!
डे-नाइट टेस्ट मैच को लेकर राय पहले ही अमिताभ की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठा चुके हैं।
नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। अभी तक सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) के चहेते रहे बीसीसीआइ के कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी ने मंगलवार को उसी के खिलाफ बगावत का बिगुल छेड़ दिया है। अमिताभ ने मंगलवार को सीओए प्रमुख और पूर्व कैग विनोद राय की ही कार्यप्रणाली पर सवाल उठा दिए हैं।
महिला की वजह से बढ़ा बवाल
सीओए और सीईओ राहुल जौहरी बीसीसीआइ में जीएम मार्केटिंग पद पर एक महिला की नियुक्ति करना चाहते हैं, जिसको सालाना 1.65 करोड़ रुपये तनख्वाह मिलनी है। हाल ही में सीओए की दो सदस्यीय समिति ने शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों का साक्षात्कार लिया जिसमें पेज-3 की एक महिला पत्रकार भी थी जो कि फिल्म और एक म्यूजिक प्रोडक्शन कंपनी में काम कर चुकी हैं। अमिताभ ने इस महिला के क्रिकेट बैकग्राउंड से ना होने की वजह से सवाल खड़ा किया है। उन्होंने इनकी नियुक्ति पत्र पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया है।
इसके अलावा डे-नाइट टेस्ट मैच को लेकर राय पहले ही अमिताभ की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठा चुके हैं। इसको देखते हुए अब कार्यवाहक सचिव ने सीईओ और सीओए पर ही सवाल उठा दिए हैं।
अमिताभ का तल्ख मेल
चौधरी ने राय को ईमेल में लिखा है कि शुरू में मैंने डे-नाइट टेस्ट के मुद्दे पर जवाब देने के लिए सोचा लेकिन आपके पद की इज्जत करते हुए रुक गया लेकिन हाल ही में एक पद (जीएम मार्केटिंग) का एप्वाइंटमेंट लेटर मेरे पास आया जबकि इसकी प्रक्रिया में मैं शामिल भी नहीं था। यह नियुक्ति पदाधिकारियों और बीसीसीआइ की जनरल बॉडी की सहमति के बिना हुई जिसने मुझे ज्यादा चौंकाया। बीसीसीआइ के 37 यूनिट में से कोई भी इस फैसले में शामिल नही है। यह निर्णय सिर्फ दो लोगों ने ले लिया। हर नियुक्ति की तरह इससे भी बीसीसीआइ पर आर्थिक दबाव तो पड़ेगा ही, साथ ही लोढ़ा समिति की सिफारिशों में भी इस पद का कोई जिक्र नहीं है। यही नहीं जिस व्यक्ति का चयन हुआ है उसका नाम उम्मीदवारों की प्रारंभिक सूची में भी नहीं था।
उन्होंने आगे लिखा है कि एक ओर जहां डे-नाइट टेस्ट पर बीसीसीआइ के पदाधिकारियों के विचारों को सीमित कर दिया तो वहीं एक नियुक्ति करार को जारी करने की कोशिश की गई जिसको बीसीसीआइ की आम सभा और कार्यकारी समिति ने मंजूरी ही नहीं दी। जबकि आपके निर्देश के तहत ही पिछले साल नवंबर में एफटीपी, आरसीए बर्खास्तगी, नाडा और कोच्ची टस्कर्स के मुद्दों पर आम सभा की बैठक बुलाई गई थी। एनसीए की नियुक्ति के मामले पर भी मैंने सवाल उठाते हुए कहा था कि शॉर्टलिस्ट किए गए किसी उम्मीदवार का क्रिकेट बैकग्राउंड नहीं है जिस पर कोई जवाब नहीं आया।