क्रिकेट ‘ऑलराउंडर’ थे महात्मा गांधी, बल्लेबाज के आउट होने से पहले कर दी थी भविष्यवाणी
आज पूरी दुनिया महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रही है ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं बापू के क्रिकेट से जुड़े कुछ ऐसे किस्से जिसे आपने शायद ही पहले सुने होंगे।
नई दिल्ली, जेएनएन। अहिंसा के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जिसे हम प्यार से 'बापू' बुलाते हैं, उनको क्रिकेट से काफी लगाव था। वह सिर्फ इसकी बारिकियों से वाकिफ ही नहीं थे बल्कि बचपन में क्रिकेट खेलते भी थे। आज पूरी दुनिया महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रही है ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं बापू के क्रिकेट के जुड़े कुछ ऐसे किस्से जिसे आपने शायद ही पहले सुना होगा।
राष्टपिता महात्मा गांधी को स्कूल के दिनों में क्रिकेट से काफी लगाव था। उनकी कद काठी भले ही साधारण थी लेकिन वह क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी थे। बचपन में गांधीजी क्रिकेट टीम में बतौर ऑलराउंडर खेला करते थे। उनको गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों में महारथ हासिल थी।
Mahatma On the Pitch : Gandhi and Cricket in India के नाम से किताब लिखने वाले मशहूर लेखक कौशिक बंदोपाध्याय ने अपनी इस बात का जिक्र किया है कि बापू कितने अच्छे क्रिकेटर थे। इस किताब में बापू के बचपन के जुड़े कुछ किस्से हैं, जिसमें यह बताया गया है, कि उनको इस खेल का काफी शौक था।
Mahatma On the Pitch : Gandhi and Cricket in India किताब में गांधीजी के क्रिकेट के प्रति जुड़ा लगाव कैसा था इसके बारे में जिक्र किया गया है। रतीलाल गेलाभाई मेहता गांधीजी के करीबी मित्र थे। रतीलाल और गांधीजी ने हाईस्कूल तक की पढ़ाई साथ में की थी। रतीलाल के मुताबिक गांधीजी को स्कूली दिनों में क्रिकेट का बड़ा शौक था और वो काफी अच्छी क्रिकेट खेला करते थे। बापू और रतीलाल साथ में अपनी स्कूल के लिए क्रिकेट खेलते थे। टीम में गांधीजी एक गेंदबाज और बल्लेबाज की हैसियत से खेला करते थे।
बापू ने बल्लेबाज को देखकर बता दिया था वो आउट हो जाएगा
कौशिक बंदोपाध्याय की किताब में रतीलाल द्वारा बताया गया एक किस्सा है जिसमें गांधी की क्रिकेट के प्रति समझ को बताया है। इस किस्से में उन्होंने राजकोट सिटी और राजकोट सदर के बीच खेले गए एक मैच का जिक्र किया है। इस मैच में गांधीजी ने बल्लेबाज को देखकर बता दिया था कि वह आउट होने वाला है। कमाल की बात यह थी कि गांधीजी ने कहा कि देखना अब ये बल्लेबाज आउट हो जाएगा और ऐसा ही हुआ।
17 वें खिलाड़ी के तौर पर गांधीजी ने किया था हस्ताक्षर
साल 1933 में इंग्लैंड के सबसे पुराने क्रिकेट क्लब मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) भारत में खेलने आई थी। इस मैच के बाद पूर्व कप्तान विजय मर्चेंट की बहन लक्ष्मी मर्चेंट ने टीम के 16 खिलाड़ियों का ऑटोग्राफ लिया था। जब लक्ष्मी ने गांधीजी का ऑटोग्राफ मांगा तो उन्होंने 17वें खिलाड़ी के तौर पर हस्ताक्षर किया। ऐसा उन्होंने यह जताने के लिए किया था कि वह ब्रिटिश राज के विरोधी हैं इंग्लैंड के खिलाड़ियों के प्रति उनके मन में कोई बुरी भावना नहीं है।