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आज से ठीक 37 साल पहले इन खिलाड़ियों के दम पर भारतीय टीम ने जीता वर्ल्ड कप

आज ही के दिन यानी 25 जून 1983 को भारतीय टीम ने पहली बार विश्व कप का खिताब जीता था। कपिल देव की कप्तानी वाली टीम इंडिया ने लो-स्कोरिंग मैच में भी जीत दर्ज की थी।

By Vikash GaurEdited By: Published: Thu, 25 Jun 2020 09:34 AM (IST)Updated: Thu, 25 Jun 2020 09:34 AM (IST)
आज से ठीक 37 साल पहले इन खिलाड़ियों के दम पर भारतीय टीम ने जीता वर्ल्ड कप
आज से ठीक 37 साल पहले इन खिलाड़ियों के दम पर भारतीय टीम ने जीता वर्ल्ड कप

नई दिल्ली, विकाश गौड़। साल 1983, तारीख 25 जून, दिन शनिवार, मैदान लॉर्ड्स(लंदन), मुकाबला वर्ल्ड कप 1983 फाइनल, टीमें- भारत बनाम वेस्टइंडीज। अगर इस ऐतिहासिक दिन को एक लाइन में समेटा जाए तो कुछ यूं होगा कि भारत ने वेस्टइंडीज को 43 रन से हराकर विश्व कप 1983 का खिताब जीता। हालांकि, इसके पीछे भारतीय टीम ने कितनी मेहनत की होगी और टीम का सफर कैसा रहा होगा, ये सिर्फ कपिल देव की कप्तानी वाली टीम ही जानती है।

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भारतीय टीम ने आज से ठीक 37 सा पहले विश्व कप का खिताब जीतकर भारत में क्रिकेट को धर्म बनाने का काम किया था। इसके बाद भारत में क्रिकेट काफी लोकप्रिय हो गई और हर कोई देश के लिए क्रिकेट और क्रिकेट वर्ल्ड कप खेलने की चाह रखने लगा था। इस टीम के कप्तान कपिल देव खुद इस बात को कबूल कर चुके हैं कि उनको कभी भी महसूस नहीं हुआ था कि उनकी टीम वर्ल्ड कप का फाइनल भी खेल पाएगी।

कपिल देव किसी भी देश की टीम ने टूर्नामेंट की शुरुआत से पहले नहीं सोचा होगा कि भारतीय टीम फाइनल खेलेगी और उस टीम के खिलाफ खिताबी जीत हासिल करेगी, जिसने पहले दो वर्ल्ड कप जीतकर अपनी झोली में डाले हुए हैं। ये संभव हो सका था कप्तान कपिल देव और उनकी एकजुट टीम की वजह से। भारत ने टूर्नामेंट का आगाज जीत से किया था। भारत ने वेस्टइंडीज की टीम को अपने पहले मैच में हराया था, जो उस समय की सबसे मजबूत टीम थी।

इसके बाद भारत ने जिम्बाब्वे की टीम को पटखनी दी। हालांकि, अपने तीसरे और चौथे मैच में भारत को क्रमशः ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज से हार का सामना करना पड़ा। पांचवें मैच में फिर से भारत ने जिम्बाब्वे को हराकर सेमीफाइनल में पहुंचने की उम्मीदों को जिंदा रखा। वहीं, छठे मैच में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हरा दिया। भारत का सामना सेमीफाइनल में मेजबान इंग्लैंड के साथ हुआ, जिसमें मेजबानों को कपिल देव एंड कंपनी ने 6 विकेट से रौंद दिया।

अब तक इतिहास रचा जा चुका था, क्योंकि भारतीय टीम ने पिछले दो वर्ल्ड कप टूर्नामेंटों में एक भी बार सेमीफाइनल नहीं खेला था, लेकिन यहां टीम ने सेमीफाइनल खेला और जीता भी और फाइनल में जगह बनाई, जहां 25 जून 1983 को भारतीय टीम का सामना कैरेबियाई टीम से होना था। मुकाबला समय से शुरू हुआ और वेस्टइंडीज की टीम ने टॉस जीतकर गेंदबाजी करने का फैसला किया, क्योंकि टीम के पास एंडी रॉबर्ट्स, जोएल गार्नर, मैलकम मार्शल और माइकल होल्डिंग जैसे घातक गेंदबाज थे। 60-60 ओवर के इस मैच में भारतीय टीम को पहले बल्लेबाजी करनी पड़ी और टीम इन तूफानी गेंदबाजों के सामने 54.4 ओवर में सिर्फ 183 रन पर ढेर हो गई।

भारत की तरफ से के श्रीकांत ने 38 रन, संदीप पाटिल ने 27 रन, मोहिंदर अमरनाथ ने 26 रन, मदन लाल ने 17 रन, कप्तान कपिल देव ने 15 रन, सैयद किरमानी ने 14 रन, बलविंदर संधू और यशपाल शर्मा ने 11-11 रन की पारी खेली। इससे साफ लगता है कि सभी खिलाड़ियों को अच्छी शुरुआत मिली थी, लेकिन कोई बड़ी पारी नहीं खेल सका था। उधर, वेस्टइंडीज की ओर से रॉबर्ट्स ने 3, मैलकम मार्शल, माइकल होल्डिंग और लैरी गोम्स ने 2-2 विकेट चटकाए।

बोर्ड पर 183 रन और सामने वाली टीम में विव रिचर्ड्स, डेसमंड हेन्स, क्लाइव लॉयड और गॉर्डन ग्रीनेज जैसे बल्लेबाजों को देखते हुए ये स्कोर काफी कम लग रहा था, लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने एकजुट होकर ऐसी गेंदबाजी की कि कैरेबियाई बल्लेबाज खुल ही नहीं पाए। यही कारण रहा कि विव रिचर्ड्स 33 रन और जेफ डुजोन 25 रन को छोड़कर कोई बल्लेबाज अच्छी पारी नहीं खेल सका। भारत की तरफ से मदन लाल और मोहिंदर अमरनाथ ने 3-3 विकेट लिए और वेस्टइंडीज की टीम को 52 ओवर में 140 रन पर धराशायी कर 43 रन से ऐतिहासिक जीत दर्ज कर ली।


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