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युवराज सिंह रहे हैं दो-दो वर्ल्ड कप जीत के हीरो, लेकिन इस बात का है सबसे ज्यादा पछतावा

युवराज सिंह ने अपने क्रिकेट करियर के दौरान क्रिेकेट फैंस का खूब मनोरंजन किया लेकिन उन्हें एक बात का अफसोस आज भी है।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 03:46 PM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 03:46 PM (IST)
युवराज सिंह रहे हैं दो-दो वर्ल्ड कप जीत के हीरो, लेकिन इस बात का है सबसे ज्यादा पछतावा
युवराज सिंह रहे हैं दो-दो वर्ल्ड कप जीत के हीरो, लेकिन इस बात का है सबसे ज्यादा पछतावा

नई दिल्ली, जेएनएन। युवराज सिंह की उपलब्धियां क्रिकेट फैंस के लिए भुला पाना आसान नहीं है। वो जब भारत के लिए क्रिकेट खेल रहे थे तब भी और आज भी सबसे चहेते क्रिकेटर हैं। एम एस धौनी की कप्तानी में टीम इंडिया को दो-दो वर्ल्ड कप में जीत मिली और भारत की इस दो बड़ी कामयाबी में युवराज सिंह का जो रोल रहा वो सबके जहन में ताजा है। भारत के लिए युवराज सिंह ने कई मैच जिताऊ पारियां खेली थी और इसकी शुरुआत साल 2000 में आइसीसी नॉकआउट टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 84 रनों की तूफानी पारी खेलकर की थी। इस पारी से ही इंटरनेशनल लेवल पर उन्होंने अपना नाम बनाना शुरू किया था। 

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इसके बाद युवी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और उन्होंने 2002 नेटवेस्ट सीरीज में भी भारत की खिताबी जीत में अहम भूमिका निभाई थी। इसके बाद 2007 वर्ल्ड कप में भी युवी ने अपना जलवा बिखेरा। 2011 वर्ल्ड कप में भारत चैंपियन बना और वो प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बने थे। इसमें कोई शक नहीं कि युवी का क्रिकेट करियर काफी शानदार रहा, लेकिन इसके बावजूद उन्हें एक बात का बेहद अफसोस है। 

टाइम्स नाउ से बात करते हुए युवराज सिंह ने कहा कि अनुभव चाहें अच्छे हों या फिर बुरे वो आपको आगे बढ़ने और सीखने में मदद करते हैं। मैंने अपनी जिंदगी में काफी कुछ देखा और सहा साथ ही इन अनुभवों के दम पर ही मैं जो आज हूं वैसा बना। मैं अपने परिवार, दोस्तों, साथी खिलाड़ियों और फैन्स का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने मुझे सपोर्ट किया और हर कदम पर मेरा हौसला बढ़ाया।

युवराज सिंह ने कहा कि कहा कि उन्हें एक बात का पछतावा है कि वो भारत के लिए ज्यादा टेस्ट मैच नहीं खेल सके। उन्होंने कहा कि जब मैं पीछे देखता हूं तो मुझे लगता है कि मुझे टेस्ट क्रिकेट खेलने का और मौका मिलना चाहिए था। उस समय सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीरेंद्र सहवाग, वीवीएस लक्ष्मण, सौरव गांगुली जैसे स्टार क्रिकेटर थे ऐसे में टेस्ट टीम में जगह बनाना मुश्किल था। मुझे मौका तब मिला जब सौरव गांगुली रिटायर हुए, लेकिन इसके बाद मुझे कैंसर का पता चला और मेरी जिंदगी की दिशा ही बदल गई। 

हालांकि उन्होंने कहा कि मुझे जो कुछ भी मिला उससे में खुश हूं। मैं अपने क्रिकेट के सफर से संतुष्ट हूं और इस बात का मुझे गर्व है कि मैं भारत के लिए खेल सका और अपने देश का प्रतिनिधित्व कर पाया। उन्होंने भारत के लिए 40 टेस्ट मैच खेले थे जिसमें तीन शतक और 11 अर्धशतक शामिल थे। इसके अलावा उन्होंने इन मैचों में 33.92 की औसत से 1900 रन भी बनाए थे। 


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