सहवाग बोले, अगर मुझे टीम से नहीं निकाला जाता तो टेस्ट में मेरे भी 10 हजार रन होते
सहवाग ने कहा अचानक से मुझे एहसास हुआ कि मैं अब टेस्ट टीम का हिस्सा नहीं हूं। यह बहुत ज्यादा चोट पहुंचाने वाला था। मैं भी टेस्ट में 10 हजार रन बनाने के बाद करियर खत्म करता अगर जो उस समय मुझे टीम से बाहर नहीं किया गया होता।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। भारतीय टीम के पूर्व विस्फोटक ओपनर वीरेंद्र सहवाग ने विश्व कप क्रिकेट में अपनी तूफानी बल्लेबाजी से नाम कमाया। दुनिया के बड़े बड़े गेंदबाज को वह बेखौफ छक्का जमाया करते थे। अब उन्होंने अपने संन्यास के इतने सालों बाद टेस्ट में 10 हजार रन ना बना पाने को लेकर बात की है।
सहवाग ने कहा, "अचानक से मुझे इस बात का एहसास हुआ कि मैं अब टेस्ट टीम का हिस्सा नहीं हूं। यह बहुत ज्यादा चोट पहुंचाने वाला था। मैं भी टेस्ट में 10 हजार रन बनाने के बाद करियर खत्म करता अगर जो उस समय मुझे टीम से बाहर नहीं किया गया होता।"
राहुल द्रविड़ की कप्तानी के दौरान सहवाग को टीम से बाहर किया गया था। 2007 में 52वां टेस्ट खेलने के बाद उन्होंने एक साल के बाद अपना 53वां टेस्ट मैच खेला था। साल 2006-07 में भारत के साउथ अफ्रीका दौरे के बाद सहवाग को चयनकर्ताओं ने बाहर बिठाया था। उनके नाम पर चरनकर्ताओं ने अपनी सहमति नहीं जताई थी। इसके बाद वह वनडे और टी20 क्रिकेट ही खेल रहे थे।
सहवाग भारत की तरफ से टेस्ट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की लिस्ट में पांचवें नंबर पर हैं। 104 टेस्ट मैच मैच में इस बल्लेबाज के नाम 8586 रन हैं। इस दौरान उनके बल्ले से 23 शतक और 32 अर्धशतक निकले हैं। टेस्ट क्रिकेट में भारत की तरफ से सबसे पहले तिहरा शतक बनाने का कमाल सहवाग ने ही किया था। वह भारत की तरफ से दो तिहरा शतक बनाने वाले एक मात्र बल्लेबाज हैं।
टेस्ट टीम के बाहर किए जाने के बाद सहवाग ने रणजी ट्राफी का रुख किया था लेकिन वहां भी रन बनाने के लिए जूझते नजर आए थे। उन्होंने दिल्ली की तरफ से खेलते हुए 5 पारी में महज 66 रन बनाए थे। इस बारे में बात करते हुए सहवाग ने बताया था कि वह संन्यास लेने तक का फैसला ले चुके थे लेकिन सचिन तेंदुलकर ने उनको ऐसा ना करने की सलाह दी थी।