विराट कोहली बोले- इस शख्स की वजह से भारतीय बल्लेबाज उड़ाते हैं तेज गेंदबाजों की धज्जियां
भारतीय कप्तान विराट कोहली ने कहा है कि भारतीय बल्लेबाज थ्रोडाउन स्पेशलिस्ट डी राघवेंद्र की वजह से तेज गेंदबाजों को खेलने में बेहतर हुए हैं।
नई दिल्ली, पीटीआइ। भारतीय टीम के बल्लेबाजों ने पिछले कुछ सालों से तेज गेंदबाजों को अच्छे से खेलना सीखा है। इसके पीछे क्या वजह है, इसका खुलासा भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली ने किया है। विराट कोहली ने कहा है कि थ्रोडाउन स्पेशलिस्ट डी राघवेंद्र की क्षमता 150-155 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से गेंद फेंकने की है, जिससे हमें तेज गेंदबाजी के खिलाफ खेलने में काफी मदद मिली है और हम इस मामले में बेहतर हुए हैं।
साइडआर्म एक क्रिकेट उपकरण है, जिसे एक लंबे चम्मच की तरह आकार दिया जाता है, जिसके आगे वाले छोर को गेंद को शानदार गति से पकड़ने और उछालने के लिए बनाया गया है। इसी की मदद से डी राघवेंद्र बल्लेबाजों के लिए थ्रोडाउन करते हैं, जिसकी गति काफी तेज होती है। यही कारण है कि भारतीय खिलाड़ी अब तेज गेंदबाजों को अच्छे से खेलना सीख गए हैं। बांग्लादेश के बल्लेबाज तमीम इकबाल से इंस्टाग्राम पर लाइव चैट करते हुए विराट कोहली ने कहा है, "मेरा मानना है कि 2013 के बाद से तेज गेंदबाजी को खेलने में इस टीम ने जो सुधार दिखाया है, वह रघु की वजह से है।"
विराट कोहली ने कहा है, "उनके पास फुटवर्क और खिलाड़ियों की बल्लेबाजी के बारे में अच्छी अवधारणाएं हैं। उन्होंने अपने कौशल में इतना सुधार किया है कि साइडआर्म से वह आसानी से 155 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकते हैं। राघवेंद्र को नेट्स में खेलने के बाद, जब आप मैच में जाते हैं, तो आपको लगता है कि आपके पास तेज गेंदबाजी को खेलने के लिए बहुत समय है।" ऐसे में यह अब कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि राघवेंद्र सालों से भारतीय क्रिकेट टीम के सहयोगी स्टाफ के महत्वपूर्ण सदस्य हैं।
विराट ने कहा है, "ईमानदार से कहूं तो मैंने कभी भी खेल की परिस्थितियों में खुद पर संदेह नहीं किया है। हर कोई जो इंसान है, उसमें संदेह और कमजोरियां हैं। उनमें नकारात्मकताएं हैं। इसलिए विदेशी दौरों के दौरान अभ्यास में, यदि आपके पास एक अच्छा सत्र नहीं है, तो आपको लगता है कि आपके पास फ्लो नहीं है। हां और फिर दिमाग में संदेह पनपता है। अगर मुझे लगता है कि मैं काफी अच्छा हूं, तो मैं काफी अच्छा हूं। ”
विराट ने ये भी कहा है कि जब मैं बच्चा था तो मैं भारतीय टीम के मैच देखता था और सोचता था कि कैसे ये मैच हारे जिसे मैं जिता सकता था। अगर मैं 380 चेज कर रहा हूं तो मैं कभी ऐसा महसूस नहीं करूंगा कि इस लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकता। 2011 में होबार्ट में क्वालीफाई करने के लिए 40 ओवर में 340 रन हमने चेज किए थे। मैंने ब्रेक के दौरान सुरेश रैना से बोला था कि हम इस मैच को 20 ओवर के मैच की तरह खेलेंगे। 40 ओवर काफी ज्यादा लगते हैं, लेकिन हमने फैसला किया था कि पहले 20 ओवर में रन बनाकर देखते हैं और आखिरी के 20 ओवर के बारे में सोचेंगे।"