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'तीनों फॉर्मेट में कप्तानी जारी रखने पर विराट कोहली को हो सकता है बड़ा खतरा'

विराट कोहली अगर तीनों प्रारूपों में कप्तानी करना जारी रखते हैं तो उन्हें इस बात का खतरा हो सकता है।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sun, 12 Jul 2020 12:02 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jul 2020 12:02 PM (IST)
'तीनों फॉर्मेट में कप्तानी जारी रखने पर विराट कोहली को हो सकता है बड़ा खतरा'
'तीनों फॉर्मेट में कप्तानी जारी रखने पर विराट कोहली को हो सकता है बड़ा खतरा'

नई दिल्ली, जेएनएन। विराट कोहली इस समय टीम इंडिया की कप्तानी तीनों प्रारूपों में कर रहे हैं। हालाकि टीम की कप्तानी को लेकर कई क्रिकेटर एक्सपर्ट कुछ समय से कह रहे हैं कि इसका बंटवारा किया जाना चाहिए। टी20 की कप्तानी रोहित शर्मा को सौंप देनी चाहिए जबकि टेस्ट व वनडे की कप्तानी विराट कोहली को ही संभालनी चाहिए। इससे विराट के काम को बोझ भी कम होगा। 

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विराट कोहली 32 साल के हैं और ऐसे में कुछ लोगों का मानना है कि अब उन्हें तीनों प्रारूपों में से किसी एक फॉर्मेट की कप्तानी छोड़ देनी चाहिए। ऑस्ट्रेलियाई टीम के पूर्व कप्तान टॉम मूडी ने भी भारतीय टीम में स्प्लिट कैप्टेंसी पर अपनी सलाह दी। क्रिकेट एक्सपर्ट हर्षा भोगले से बात करते हुए टॉम मूडी ने कहा कि क्रिकेट के तीनों फॉर्मेंट में भारत की कप्तानी करने का दवाब अलग तरह का होता है। 

उन्होंने कहा कि अगर भारत अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में विराट के करियर पर होने वाले असर को लेकर परेशान है तो स्प्लिट कैप्टैंसी पर विचार करना चाहिए। मूडी ने कहा कि विराट कोहली अगर क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में कप्तानी करना जारी रखते हैं तो इस बात की संभावना है कि वो अपने इंटरनेशनल करियर के दो से तीन साल खो सकते हैं। यानी अब तीनों प्रारूपों में कप्तानी करने से उनका इंटरनेशनल करियर दो से तीन साल छोटा हो जाएगा। 

विराट कोहली को भारत की टेस्ट टीम की कप्तानी 2014 में मिली थी जबकि वो समिति ओवर के कप्तान साल 2017 में बने थे। विराट कोहली भारत के सबसे सफल कप्तान हैं। टॉम मूडी ने कहा कि अलग प्रारूप में अलग कप्तान से फर्क पड़ता है। इसके लिए उन्होंने इंग्लैंड क्रिकेट टीम का उदाहरण भी दिया।  उन्होंने कहा कि इयोन मोर्गन टेस्ट खिलाड़ी नहीं हैं, लेकिन वो उजले गेंद के क्रिकेट के बेहतरीन खिलाड़ी हैं। वो सिमित प्रारूप में टीम के कप्तान हैं जबकि टेस्ट टीम की कप्तानी जो रूट के पास है। इससे काम आसान हो जाता है और किसी एक खिलाड़ी पर काम के बोझ का ज्यादा असर भी नहीं पड़ता है। 


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