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EXCLUSIVE: T20 WC के हीरो यशस्वी ने कहा- विश्व चैंपियन बनकर लौटने से अच्छा कुछ नहीं होता

भारत को U19WC फाइनल में पहुंचाने में यशस्वी जयसवाल ने अहम भूमिका निभाई और मैन ऑफ द टूर्नामेंट बने। हालांकि खिताब नहीं जीत पाने की यशस्वी को निराशा है।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sun, 16 Feb 2020 08:01 PM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 08:00 PM (IST)
EXCLUSIVE: T20 WC के हीरो यशस्वी ने कहा- विश्व चैंपियन बनकर लौटने से अच्छा कुछ नहीं होता
EXCLUSIVE: T20 WC के हीरो यशस्वी ने कहा- विश्व चैंपियन बनकर लौटने से अच्छा कुछ नहीं होता

उमेश राजपूत, नई दिल्ली। भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीका में हाल में हुए अंडर-19 विश्व कप के फाइनल में पहुंची और उसे बांग्लादेश के खिलाफ हारकर उप विजेता बनकर संतोष करना पड़ा। भारत को फाइनल में पहुंचाने में यशस्वी जयसवाल ने अहम भूमिका निभाई और मैन ऑफ द टूर्नामेंट बने। हालांकि खिताब नहीं जीत पाने की यशस्वी को निराशा है। यशस्वी अपने कोच ज्वाला सिंह के दिल्ली में थे। इस दौरान खास बातचीत के प्रमुख अंश :

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प्रश्न : फाइनल तक का सफर कैसा रहा? 

यशस्वी : दक्षिण अफ्रीका में विश्व कप खेलने का अनुभव काफी अच्छा रहा और इसका लुत्फ उठाया। काफी अलग विकेट थी वहां की। परिस्थितियां काफी अलग थीं क्योंकि दूसरे देश में जाकर वहां की विकेट पर खेलना इतना आसान नहीं होता है, लेकिन मैंने काफी अच्छा खेल दिखाया और मुझे बहुत मजा आया।

प्रश्न : आप मैन ऑफ द टूर्नामेंट रहे। फाइनल में अच्छा भी खेल दिखाया लेकिन विश्व कप ट्रॉफी नहीं ले आ पाए। क्या इसका मलाल है?

यशस्वी : बहुत दुख है कि हम ट्रॉफी नहीं ले आ पाए। अगर हम ट्रॉफी लेकर लौटते तो इससे अच्छा कुछ नहीं होता।

प्रश्न : फाइनल में बल्लेबाजी में आपको और गेंदबाजी में रवि विश्नोई को छोड़कर कोई भी खिलाड़ी प्रभावित नहीं कर पाया। क्या फाइनल का दबाव हावी था?

यशस्वी : मुझे नहीं लगता कि ऐसी कोई बात थी। बस एक खराब दिन था जिसकी वजह से हम बांग्लादेश के खिलाफ फाइनल हार गए। ऐसा दिन आपके करियर में एक बार आ जाता है कि आप अच्छा खेलना चाहते हैं लेकिन वह हो नहीं पाता। वैसे क्रिकेट में ऐसा होता रहता है।

प्रश्न : या आप लोगों ने बांग्लादेश को हल्के में ले लिया?

यशस्वी : ऐसा नहीं है। हम न्यूजीलैंड और बांग्लादेश दोनों टीमों के लिए तैयार थे। इनमें से जो भी टीम फाइनल में आएगी हम उसके खिलाफ अपनी मजबूती के साथ खेलेंगे। हालांकि जब बांग्लादेश फाइनल में पहुंची तो हमने सोचा कि कोई बात नहीं हम जो करते हैं, वहीं करेंगे।

प्रश्न : फाइनल हारने के बाद टीम के दूसरे खिलाड़ियों के मन में क्या चल रहा था?

यशस्वी : माहौल में ऐसा कुछ खास नहीं था। फाइनल हारने का गम था लेकिन सब यही सोच रहे थे कि सभी ने अपनी पूरी कोशिश की। क्रिकेट में हार जीत लगी रहती है। हमारी उम्र अभी छोटी है और हमें आगे बहुत कुछ देखना और सीखना है। हमें ऐसी हार से सीख लेनी है।

प्रश्न : फाइनल के दौरान भारत और बांग्लादेश के खिलाड़ियों के बीच मैदान पर विवाद भी देखने को मिला। आखिर वह माजरा क्या था?

यशस्वी : मुझे इसके बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं है क्योंकि मैं काफी दूर था। हालांकि जो कुछ भी हुआ था वह बाद में सुलझ गया था।

प्रश्न : अब आपको आइपीएल में राजस्थान रॉयल्स के लिए खेलना है। नीलामी में आप सबसे महंगे बिकने वाले जूनियर खिलाड़ियों में से एक थे?

यशस्वी : मुझे लगता है कि आइपीएल खुद को साबित करने का एक अच्छा मंच है। मैं आइपीएल के लिए तैयार हूं और कोशिश करूंगा कि लीग में जितने भी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी आएंगे उनसे ज्यादा से ज्यादा सीख सकूं। साथ ही अपने खेल को बेहतर करने की कोशिश करूंगा।

प्रश्न : आपके कोच ज्वाला सिंह आपको बहुत अनुशासित रखते हैं। क्या स्टार बनने के बाद आपको थोड़ी रियायत मिलेगी?

यशस्वी : ऐसा कुछ नहीं है। वह और ज्यादा सख्त हो गए हैं। मुझे अब और ब़़डे स्तर पर खेलना है तो उनका कहना है कि मुझे और बेहतर तरीके से तैयारी करनी होगी। अब हमें ब़़डे स्तर पर ब़़डे खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी है। बस यही है कि मेरे से जो भी बन पड़ेगा वह मैं करूंगा।

प्रश्न : फाइनल में आपके 88 रन पर आउट होने से क्या ज्वाला निराश थे?

यशस्वी : वह चाहते थे कि मैं थोड़ी देर और खेलता क्योंकि यह हमारी टीम के लिए और भी अच्छा रहता। हालांकि मैं नहीं कर पाया, लेकिन अगली बार मैं यह कोशिश करूंगा।

प्रश्न : आप 10 साल की उम्र में मुंबई गए। आप आजाद मैदान में रहे। टेंट में सोए, आपने जीवन गुजारने के लिए गोल-गप्पे बेचे। इसके बाद आपको ज्वाला सिंह मिले। इस संघर्ष को कैसे देखते हैं?

यशस्वी : जब कभी भी उसके बारे में सोचता हूं तो अच्छा लगता है कि हां मैंने ऐसा किया और वो सब कुछ करके यहां पहुंचा। जब भी खराब परिस्थिति में रहता हूं तो ये सभी बातें मेरा हौसला ब़़ढाती हैं। मैं हमेशा सोचता हूं कि मैंने इतना किया तो और भी कर सकता हूं।

प्रश्न : आपके आदर्श कौन रहे हैं?

यशस्वी : मेरे प्रेरणास्रोत सचिन सर और वसीम सर हैं। मैं उनके जैसा बनना चाहता हूं।

प्रश्न : विश्व कप में खेलने जाने से पहले सचिन या वसीम से आपकी कभी बात हुई?

यशस्वी : विश्व कप खेलने जाने से पहले वसीम सर से मेरी बात हुई थी और उनसे अक्सर मेरी बात होती रहती है। जब भी मुझे जरूरत होती है मैं उनको कॉल कर लेता हूं और वह हमेशा मेरी मदद करते हैं।


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